उत्तर प्रदेश UP में कांग्रेस Congress के जाने माने नेता और राहुल गांधी के करीबी जितिन प्रसाद (Jitin Prasada) ने बुधवार 9 जून को BJP का दामन थाम लिया। जितिन ने कांग्रेस से बाहर आने पर कहा कि ऐसी पार्टी में रहने का क्या फायदा अगर आप लोगों के लिए ही काम न कर सके। वहीं जितिन ने बीजेपी ज्वाइन करने पर यहां तक कह दिया कि अगर कोई सच में नेशनल पार्टी है तो वो बीजेपी है। दूसरी पार्टियां तो केवल क्षेत्रीय है, बीजेपी नेशलन पार्टी है। आपको बता दें कि जितिन राजनीति में नए नहीं है, वो कांग्रेस की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके है लेकिन पिछले काफी समय से वो बस हार रहे है। उनके पार्टी छोड़ने की सुगबुगाहट पिछले साल से ही जारी है और अब ये जून 2021 में आखिरकार सच हो गया। हालांकि आपको ये भी बता दें कि कि जितिन के पिता ने भी कांग्रेस से नाखुश होकर बगावत करी थी।
कौन है पूर्व कांग्रेसी नेता जितिन प्रसाद
आपको बता दें कि जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल है जिन्होंने पिछले साल अक्टूबर में सोनिया गांधी को पत्र लिख कर मांग की थी कि पार्टी में बदलाव करने की जरूरत है। बताया जाता है कि इससे पहले 2019 में जब बात सामने आई कि जितिन कांग्रेस छोड़ने की प्लानिंग कर रहे है तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाडरा दोनों ने मिलकर उन्हें रोक लिया था। जितिन कांग्रेस में युवा और ऊंचे कद के नेता है। 2004 में शाहजहांपुर लोकसभा सीट जीती और पहली बार सांसद बने। इसके बाद 2008 में उन्हें केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री बनाए गया। 2009 में धौरहार से चुनाव लड़ा और दूसरी बार जीत के यूपीए 2 में सड़क, परिवहन, पेट्रोलियम और मानव संसाधन विभाग में राज्यमंत्री रहे।
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जितिन के कांग्रेस छोड़ने के क्या है मायने
जितिन प्रसाद कांग्रेस के साथ चुनाव जीतकर कई मुख्य भूमिका निभा चुके है इसलिए यूपी में वो कांग्रेस का जानामाना चेहरा है। लेकिन इसके बाद जितिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव लगातार धौरहरा से चुनाव हारे। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी हाथ आजमाया लेकिन फिर से हार का सामना करना पड़ा। जितिन को कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी इन-चार्ज बनाकर उनको महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी। लेकिन कांग्रेस का बंगाल में बहुत बुरा हाल रहा और चुनाव में पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल सकी।
बीजेपी में क्या माहौल है जितिन के आने से, समझिए
जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने बीजेपी इसे फायदे के तौर पर देख रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केंद्रीय मंत्री पीयुष गोयल की मौजूदगी में जितिन ने बीजेपी ज्वाइन करी। गृह मंत्री अमित शाह ने खुद अपने ट्वीटर पर जितिन की ज्वाइनिंग की खबर शेयर करते हुए लिखा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि उनके पार्टी में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में भाजपा के जनसेवा के संकल्प को और मजबूती मिलेगी। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पार्टी में उनका स्वागत किया। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी लिखा कि जितिन के बीजेपी में आने से पार्टी को अवश्य मजबूती मिलेगी।
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि अगले साल यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव है तो कांग्रेस के लिए जहां ये बुरी खबर है वहीं बीजेपी जितिन के अनुभव और ब्राह्मण समाज में उनके नाम का पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेगी।
जितिन प्रसाद के पिता ने भी कांग्रेस से नाखुश होकर की थी बगावत
जितिन प्रसाद का परिवार पारंपरिक तौर पर कांग्रेसी परिवार रहा है। जितिन के दादा ज्योति प्रसाद कांग्रेस में कई अहम पदों पर रहे है। जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद ने 1970 में विधान परिषद में शामिल होकर अपनी राजनीति शुरु करी। इसके बाद 1971 के लोकसभा चुनाव में वो शाहजहांपुर से चुने गए और वो कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी थे। आपको बता दे कि जितेंद्र राजीव गांधी के राजनीतिक सचिव भी रहे थे।
साल 1997 में जब सोनिया गांधी कांग्रेस की सदस्य बनी और 1998 में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का ऐलान किया तब इस बात से जितिन के पिता खुश नहीं थे और उन्होंने इसका विरोध किया। साल 2000 में ऐसी परिस्थिति बनी कि जितेंद्र प्रसाद सोनिया गांधी के खिलाफ ही अध्यक्ष पद के लिए खड़े हो गए। लेकिन उन्हें बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2001 में उनकी मृत्यु हो गई।
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