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रुपौली विधनसभा उपचुनाव: जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल ने माना, रुपौली में अपराध ज़्यादा

पूर्व शिक्षक और सोनमा पंचायत के पूर्व मुखिया कलाधर मंडल ने 2020 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर रुपौली से विधानभा चुनाव लड़ा था। तब उन्हें कुल 6,197 मत मिले थे और वह चौथे स्थान पर रहे थे।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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jdu candidate kaladhar mandal

बिहार के पूर्णिया जिलांतर्गत रुपौली विधानसभा सीट पर इन दिनों उपचुनाव चल रहा है। करीब 24 वर्ष से रुपौली से विधायक रहीं बीमा भारती फिर से चुनावी मैदान में हैं। राजद की बीमा भारती के सामने जदयू के टिकट पर कलाधर प्रसाद मंडल चुनाव लड़ रहे हैं। कलाधर मंडल ने अपने चुनावी अभियान और क्षेत्र के मुद्दों पर ‘मैं मीडिया’ से बात की। उन्होंने कहा कि रुपौली की जनता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामों से खुश हैं और वह उन्हें विजयी बनाने का मन बना चुकी है।


पूर्व शिक्षक और सोनमा पंचायत के पूर्व मुखिया कलाधर मंडल ने 2020 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर रुपौली से विधानभा चुनाव लड़ा था। तब उन्हें कुल 6,197 मत मिले थे और वह चौथे स्थान पर रहे थे। कलाधर मंडल ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि 2020 में उन्हें राजद से टिकट मिलने वाला था लेकिन गठबंधन से रुपौली विधानसभा में सीपीआई को टिकट मिला। इसके बाद उन्होंने समर्थकों की मांग पर निर्दलीय चुनाव लड़ा।

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रुपौली में बढ़ता अपराध एक बड़ा मुद्दा

रुपौली में बढ़ते अपराध के मामलों पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले कई वर्षों में काफी काम किया है। वह राज्य और राज्य के बाहर सुशासन बाबू के नाम से जाने जाते हैं। आगे भी वह राज्य में सुशासन का राज चलाएंगे। कलाधर मंडल ने यह माना कि रुपौली में आपराध एक बड़ी समस्या है, लेकिन इसके लिए वह राज्य सरकार को नहीं बल्कि सरकार द्वारा नियुक पदाधिकारियों को ज़िम्मेदार मानते हैं।


इस बारे में कलाधर मंडल ने कहा, “माननीय मुख्यमंत्री पदाधिकारी नियुक्त करते हैं, अब उस पदाधिकारी का आत्मबल क्या है वो उस पदाधिकारी का निजी मामला होता है। नीतीश कुमार की इसमें कहीं कोई कमी नहीं है, उस पदाधिकारी की कमज़ोरी है। हमारे भवानीपुर में एक व्यवसायी गोपाल यादुका की हत्या हुई तो उसमें तुरंत वहां के थानाध्यक्ष का तबादला किया गया और एसपी को भी सख्त हिदायत दी गई।”

रुपौली विधानसभा क्षेत्र के कुछ घाटों पर लोग लंबे समय से पुल की मांग कर रहे हैं। इस बारे में पूछने पर जदयू प्रत्याशी ने कहा कि बलिया घाट में निजी जमीन के कारण वहां पुल नहीं बन सका है लेकिन रुपौली विधानसभा क्षेत्र में लगभग सभी घाटों पर पुल और सड़क का काम जदयू के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा ने कर दिया है। जो काम बच गया है उसे जीतने के बाद पूरा करेंगे।

रुपौली में डिग्री कॉलेज की मांग है जिसके लिए कलाधर मंडल ने कहा कि रुपौली विधानसभा का उपचुनाव जीतने के बाद वह लोगों की इस मांग को पूरा करेंगे, साथ ही महिला कॉलेज की मांग को भी पूरा करने का प्रयास करेंगे। ”

“रुपौली बाजार में जलजमाव के लिए बीमा भारती जिम्मेदार”

रुपौली विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत भवानीपुर और रुपौली बाज़ार में वर्षों से जलजमाव की समस्या रही है। इस पर कलाधर मंडल ने कहा कि भवानीपुर में बीमा भारती का घर है, वह 24 वर्षों से विधायक रहीं, लेकिन वहां सड़क का निर्माण नहीं कराया।

“24 साल के लगभग माननीय बीमा भारती जी का कार्यकाल रहा है। वहीं उनका घर है, हमको लगता है कि भवानीपुर और रुपौली को उन्हें दुल्हन बना कर रखना चाहिए। जहां पर लोग मोटरसाइकिल पर चलने में भी अपना पैजामा ऊपर करते हैं, वहां पर तो उसको दुल्हन बना कर रखना चाहिए। घर का बाज़ार है और रुपौली विधानसभा का मुख्य मार्किट है भवानीपुर,” कलाधर मंडल ने कहा।

क्या रुपौली में कमज़ोर हुई है जदयू?

2024 लोकसभा चुनाव में रुपौली क्षेत्र से जदयू को पहले के मुकाबले कम वोट मिले। क्या क्षेत्र में जदयू का प्रभाव कम हुआ है, इस पर कलाधर मंडल ने कहा कि रुपौली जदयू का मजबूत इलाका है। लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी को लेकर संभवतः लोगों में नाराज़गी थी इसलिए रुपौली विधानसभा क्षेत्र से जदयू के वोटों में कमी आई। उनके अनुसार क्षेत्र में पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा की उपस्तिथि कम रही जिसके कारण उन्हें कुछ वोट कम मिले।

कलाधर कहते हैं, “जदयू कहीं कमज़ोर नहीं है। कुशवाहा जी के काम या संस्कार पर कोई बात नहीं है। केवल उनकी उपस्थिति के अभाव में वोट घटा है जिसके लिए हमलोग सोच रहे हैं कि इस विधानसभा में पूर्ति कर के जवाब देने का काम करेंगे।”

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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