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गवाही के लिए 22 बार तारीख मिलने पर भी नहीं पहुंचे आईओ, गिरफ्तारी का आदेश

दरअसल, इस मामले में कुल 9 गवाह हैं, इनमें से 8 गवाहों की गवाही पूरी हो चुकी है और सिर्फ इस मामले के आईओ यानी अजय कुमार की गवाही होनी बाकी है।

Reported By Umesh Kumar Ray |
Published On :
io did not turn up for testimony even after being given date 22 times, arrest order issued

बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के धनहा थाना क्षेत्र में दोहरे हत्याकांड के एक मामले में जांच अधिकारी को ही गिरफ्तार करने का आदेश जिला अदालत ने दिया है ताकि कोर्ट में उनकी गवाही कराई जा सके!


जिला व अपर सत्र न्यायाधीश (चतुर्थ) (बगहा) मानवेंद्र मिश्र ने 30 मई दिये अपने आदेश में कहा, “कार्यालय लिपिक अविलम्ब अनुसंधानकर्ता (आईओ) अजय कुमार जो वर्तमान में पटना पुलिस बल में पदस्थापित हैं, के विरुद्ध गैर जमानतीय अधिपत्र (नॉन-बेलेबल अरेस्ट वारंट) निर्गत करें।”

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इसके साथ ही अदालत ने स्थानीय एसपी को निर्देश दिया कि उक्त आदेश का पालन किया जाए और आईओ को गिरफ्तार कर गवाही के लिए कोर्ट में पेश किया जाए। कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा, “पुलिस अधीक्षक बगहा को निर्देश दिया जाता है कि वे अपने स्तर से न्यायालय द्वारा निर्गत गैर जमानती वारंट की तामिल सुनिश्चित करते हुए उक्त पुलिस पदाधिकारी अजय को गिरफ्तार कर साक्ष्य हेतु 3 जून को इस न्यायालय में प्रस्तुत करें, जिससे पटना हाईकोर्ट द्वारा दिये गये निर्देश का ससमय अनुपालन हो सके।”


क्या है पूरा मामला

हत्याकांड का ये मामला वर्ष 2023 का है। धनहा थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, 5 जून 2023 की रात मुसहरी बैरा बाजार की रहने वाली झलरी देवी और उनके भसूर पहवारी यादव अपने अपने कमरों में सोये हुए थे, तभी अपराधियों ने धारदार हथियार से एक के बाद एक दोनों पर जानलेवा हमला कर दिया था, जिसमें दोनों की मौत हो गई थी।

एफआईआर के लिए थाने में दिये आवेदन में झलरी देवी के पुत्र बनारसी यादव ने बताया कि रात करीब 11 बजे उन्होंने मां की चीख सुनी और जब उनके पास गये, तो देखा कि पेट पर धारदार हथियार से हमला किया गया है, जिससे अंतड़ियां बाहर आ गई हैं। इस घटना के पांच मिनट बाद ही एक और चीख सुनाई दी। ये चीख बनारसी यादव के चाचा पहवारी यादव की थी। उनके भी पेट पर ही हमला किया गया था और उनके पेट की अंतड़ियां भी बाहर आ चुकी थी। दोनों को इलाज के लिए स्थानीय सरकार अस्पताल ले जाया गया, जहां दोनों की मृत्यु हो गई।

आवेदन में बनारसी यादव ने बताया कि दोनों की हत्या अज्ञात अपराधियों ने की है। आवेदन के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और जांच का जिम्मा सब इंस्पेक्टर अजय कुमार को सौंपा। इस मामले में पुलिस ने जांच की और तीन लोगों को आरोपी बनाया। इनमें से दो आरोपी कमल याव और अमला यादव जेल में हैं और एक आरोपी हीरा यादव जमानत पर बाहर है। ये मामला कोर्ट में पिछले साल मार्च में पहुंचा।

लेकिन, कोर्ट में ये मामला अब तक अटका पड़ा है। हैरानी की बात ये है कि पटना हाईकोर्ट में भी ये मामला पहुंचा और पटना हाईकोर्ट ने भी 20 जून तक मामले को निपटाने का आदेश दिया। लेकिन इसके बावजूद मामले में तेजी नहीं आ रही है और इसकी मुख्य वजह ये है कि इस मामले के आईओ कोर्ट में हाजिर ही नहीं हो रहे हैं।

22 बार आईओ के मिली तारीख, पर नहीं हुए हाजिर

दरअसल, इस मामले में कुल 9 गवाह हैं, इनमें से 8 गवाहों की गवाही पूरी हो चुकी है और सिर्फ इस मामले के आईओ यानी अजय कुमार की गवाही होनी बाकी है।

अदालती आदेश बताते हैं कि 8 अक्टूबर 2024 से लेकर अब तक आईओ को 22 दफा कोर्ट में हाजिर होकर अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दिया जा चुका है, लेकिन वे लगातार सुनवाइयों से नदारद हैं। अजय कुमार फिलहाल पटना में पस्थापित हैं।

चूंकि, पटना हाईकोर्ट ने 20 जून तक मामले को निपटाने का आदेश दिया, ऐसे में ये जरूरी है कि सभी गवाहियां जल्द पूरी हो जाए।

न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र ने अपने आदेश में कहा कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा क्रिमिनल मिसलेनियस पर सुनवाई करते हुए 30 अप्रैल 2025 में दिये गये निर्देश के आलोक में स्पीडी विचारण प्रभारी, अभियोजन पदाधिकारी, संबंधित अनुसंधानकर्ता को साक्ष्य देने हेतु निर्धारित तिथि से अवगत कराया जा चुका है। बावजूद इसके पिछली 22 तिथियों में दोहरे हत्याकांड जैसे जघन्य अपराध में अनुसंधानकर्ता का साक्ष्य देने हेतु उपस्थित नहीं होना/अभियोजन द्वारा प्रस्तुत नहीं करना, अभियोजन के अपने कर्तव्य के प्रति उदासीनता का प्रत्यक्ष उदाहरण है। उक्त पुलिस पदाधिकारी एवं अभियोजन पदाधिकारी के कृत्य से न्याय का उद्देश्य विफल हो सकता है।

इसके बाद कोर्ट ने आईओ के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

io got date 22 times, but did not appear

आईओ की लापरवाही की और भी कहानियां

केस को लेकर आईओ की लापरवाही की ये कोई इकलौती कहानी नहीं है। जिला व अपर सत्र न्यायाधीश (बगहा) में हत्या का एक मामला पिछले 22 साल से सिर्फ इसलिए लंबित पड़ा हुआ है क्योंकि उक्त केस के अनुसंधानकर्ता (आईओ) व अन्य पुलिस कर्मचारी, जो मामले में गवाह हैं, उक्त मामले की सुनवाई में हाजिर ही नहीं हो रहे हैं।

ये केस वर्ष 2003 का है, जिसमें बगहा के ठकहारा थाना क्षेत्र में फलीम अंसारी नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कुल 6 आरोपी हैं। वर्ष 2005 में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई और कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई। मगर, अब तक वो मामला कोर्ट में ही अटका हुआ है।

अदालती दस्तावेजों से पता चलता है कि इस मामले के अनुसंधानकर्ता दिनेश्वर प्रसाद समेत ठकहारा थाने के पांच पुलिस कर्मचारी गवाह हैं। लेकिन इनमें से कोई भी पुलिस कर्मचारी कोर्ट में गवाही देने को हाजिर नहीं हुआ है जबकि स्वतंत्र गवाहों की गवाही पूरी हो चुकी है।

दस्तावेजों से ये भी मालूम होता है कि पांचों पुलिस कर्मचारियों की गवाही ससमय सुनिश्चित करने के लिए पूर्व में कोर्ट ने उन्हें भी गिरफ्तार करने का आदेश जारी किया था और एसपी को उक्त आदेश का पालन करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद वे पुलिस कर्मचारी गवाही देने नहीं पहुंचे।

30 मई को ही इस मामले में भी सुनवाई करते हुए जिला व अपर सत्र न्यायाधीश (चतुर्थ) (बगहा) मानवेंद्र मिश्र ने तीखी टिप्पणी की और कहा कि ऐसे मामले में सैकड़ों में हैं, जिनमें पुलिस पदाधिकारी गवाही देने के लिए पहुंच ही नहीं रहे हैं। उन्होंने अपने आदेश में कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि जिला अभियोजन अधिरोपित विधि द्वारा अपने कर्तव्यों के प्रति गंभीर नहीं है। न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र ने अपने आदेश में आगे कहा कि ऐसे अनेक मामले इस न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान आये हैं, जिनसे यह प्रतीत होता है कि न्यायिक आदेशों के अनुपालन के प्रति पुलिस पदाधिकारी गंभीर नहीं है, विशेषक हत्या, बलात्कार, अपहरण जैसे पुराने वाद इस न्यायालय के समक्ष सैकड़ों की संख्या मे हैं, जिनमें वर्षों से गवाह नहीं आ रहे हैं।”

ऐसा ही एक मामला बगहा के रामनगर थाना क्षेत्र का है। बाइक चोरी के इस मामले में 13 बार तारीख दिये जाने के बावजूद पुलिस पदाधिकारी गवाही देने के लिए कोर्ट में हाजिर नहीं हुए।

इसी तरह मुजफ्फरपुर के औराई थाना क्षेत्र में नाबालिग से रेप के एक मामले में आईओ पांच सालों के बाद भी जांच रिपोर्ट जमा नहीं कर सका था। इसको लेकर मुजफ्फरपुर की अदालत ने आईओ और थानाध्यक्ष पर पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया।

केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में बताया था कि देश की विभिन्न जिला अदालतों में लगभग 4.5 करोड़ मामले लंबित हैं। वहीं, वर्ष 2023 में पटना हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बताया था कि बिहार की विभिन्न जिला अदालतों में 7.8 लाख मामले दो दशकों से लंबित हैं।

वकीलों का कहना है कि किसी भी मामले के त्वरित निपटारे में अनुसंधानकर्ता (आई) की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, लेकिन उनकी तरफ से लगातार लापरवाही बरतने के कारण केस लंबित होते चले जाते हैं।

जरूरतमंद कैदियों को निःशुल्क कानूनी मदद देने वाली स्वयंसेवी संस्था लॉ फाउंडेशन से जुड़े पटना के वकील संतोष कुमार कहते हैं, “आईओ की लापरवाही बहुत ज्यादा है और ये एक बड़ी वजह है केसों के लंबित होन की। आईओ अगर समय पर सबकुछ कर दे तो केस का निपटारा तुरंत हो जाएगा।” “आलम तो ये है कि जमानत तक के लिए केस डायरी उपलब्ध कराने में आईओ इतना अधिक विलम्ब करता है कि आरोपियों को महीनों तक जमानत नहीं मिल पाती है,” उन्होंने कहा।

उल्लेखनीय हो कि किसी भी केस में जांच घटना घटित होने के 90 दिनों के भीतर हो जानी चाहिए, लेकिन वकीलों का कहना है कि कई मामलों में तो साल-साल भर तक जांच नहीं होती है। हालांकि, वकीलों का ये भी मानना है कि जज भी आईओ की लापरवाही पर कठोर कार्रवाई नहीं करते हैं, जिससे आईओ अपनी ड्यूटी के प्रति गंभीर नहीं हो हो रहे हैं।

पटना के एक अन्य वकील अशोक कुमार कहते हैं, “देखने से तो लगता है कि आईओ की लापरवाही है, लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि इस लापरवाही पर न्यायपालिका कार्रवाई क्यों नहीं करती है। मान लीजिए कि बेल का कोई केस कोर्ट में आया है और जज ने आईओ से केस डायरी मांगी है। अब आईओ केस डायरी नहीं दे रहा है, तो कोर्ट को चाहिए कि वह डायरी की गैरमौजूदगी में बेल के केस को डिस्पोज कर दे और आईओ पर ठोस कार्रवाई करे। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।”

“अगर न्यायपालिका आईओ की लापरवाही पर कार्रवाई करना शुरू कर दे, तो आईओ भी समय पर अपना काम करने लगेंगे जिससे मामले लंबित नहीं होंगे,” उन्होंने कहा।

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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

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