Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

सहरसा जिले के इस गांव में घर घर कैंसर के मरीज़

60 वर्षीय वृद्ध तारा देवी फेफड़ों के कैंसर से ग्रसित हैं। परिजन इलाज के लिए पटना ले गए, लेकिन खर्च करीब तीन लाख रुपए बताया गया।

Sarfaraz Alam Reported By Sarfraz Alam |
Published On :
A cancer patient from Saharsa

60 वर्षीय वृद्ध तारा देवी फेफड़ों के कैंसर से ग्रसित हैं। परिजन इलाज के लिए पटना ले गए, लेकिन खर्च करीब तीन लाख रुपए बताया गया। तारा देवी का परिवार ये खर्च उठा पाने में असमर्थ है।


अपने गाँव में तारा देवी अकेली कैंसर मरीज नहीं है।

दरअसल, बिहार के सहरसा जिला अंतर्गत सत्तर कटैया प्रखंड के सत्तर पंचायत में कैंसर के मरीज़ों की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्थानीय लोग अपनी क्षमता अनुसार इलाज कराते हैं, लेकिन पैसों की कमी के कारण मरीज़ों की मौत हो जाती है। गांव निवासियों का कहना है कि कैंसर से पीड़ित मरीज़ों के परिवार वाले ज़मीन बेचकर और क़र्ज़ लेकर इलाज करवाते हैं जिससे उनकी माली हालत बेहद खराब हो चुकी है।


मरीज और परिजन

तारा देवी की देवरानी हिरा देवी बताती हैं कि मरीज की स्थिति बहुत खराब है, सरकार कोई सहयोग नहीं कर रही है।

प्रमोद यादव दो साल से लीवर कैंसर से ग्रसित हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने ज़मीन और गाड़ी बेचकर इलाज कराया, लेकिन 3 – 4 लाख रुपए से अधिक खर्च होने के बावजूद उनका इलाज सफल नहीं रहा। उन्होंने कहा कि सरकार से किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिली और अब पैसे ही नहीं बचे हैं कि आगे इलाज करा सकें।

विवेक कुमार के पिता 32 वर्षीय पिता महशर यादव कैंसर से लड़ाई हार गए, पिछले हफ्ते उनकी मृत्यु हो गई। विवेक ने बताया कि पिता के इलाज के लिए बड़े-बड़े शहरों में गए, कर्ज लेकर इलाज करवाया, लेकिन पैसे के अभाव में बड़े अस्पतालों में इलाज नहीं करा पाने से उनकी मौत हो गई।

भयभीत ग्रामीण

स्थानीय निवासी मनोज यादव का कहना है कि गांव में कैंसर घर घर देखने को मिलता है। सरकार के द्वारा कोई ख़ास सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई है। जहां तक होता है, इलाज करवाते हैं, फिर नहीं हो पाता, तो छोड़ देते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 2019 में पहली बार गांव में कैंसर का मरीज़ मिला, उससे पहले भी उस तरह की बीमारी से कई लोग मर गए थे, लेकिन जांच न होने पर कैंसर का पता नहीं चल सका था। मनोज यादव की मानें तो सत्तर पंचायत में पांच सालों में कैंसर से अब तक ढाई सौ से अधिक मौत हो चुकी हैं। गांव में कैंसर के इतने मामले क्यों हैं इसकी जानकारी किसी को नहीं है।

इस इलाके में कई प्रकार की जांच भी की जाती रही है, लेकिन वहां की जांचों में ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे यह पता चल सके कि गांव में कैंसर के इतने मामले क्यों आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कैंसर होने का मुख्य कारण तंबाकू, आर्सेनिक एवं यूरेनियम है। इन में कारसोजेनिक पाया जाता है जिससे शरीर में कैंसर की कोशिकाएं उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता है। डब्लूएचओ की वेबसाइट पर आर्सेनिक युक्त पानी से जिन 10 देशों में सबसे अधिक कैंसर के मामले सामने आते हैं उसमें भारत भी शामिल है।

गांव निवासी कुंदन यादव ने कहा कि इस गांव में लगभग हर घर में कैंसर का मरीज मिलता है। कभी-कभी जांच टीम आती है और कैंप लगाकर लोगों की जांच की जाती है लेकिन उसके आगे कोई कार्रवाई नहीं होती है। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों पहले आई एक जांच टीम ने कहा था कि यहां का पानी आयरन युक्त है, लेकिन इस विषय में अभी तक कोई ठोस खोज नहीं की जा सकी है।

गांव वालों ने बताया कि यहां रहने वाले ज्यादातर ग्रामीण गरीब तबके से आते हैं। उनके पास इतना पैसा नहीं है कि इलाज करवा सकें।

क्या कहते हैं आकड़ें?

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत में केवल 2022 में कैंसर के 14,61,427 मामले सामने आए। बिहार भारत के उन चार राज्यों में से एक हैं, जहां प्रत्येक वर्ष कैंसर के एक लाख से अधिक मामले सामने आते हैं।

अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसीन के अनुमान अनुसार साल 2026 तक बिहार में प्रत्येक वर्ष 1,36,000 से अधिक कैंसर मामले होने की आशंका है। 2011 तक सालाना आंकड़ा 86,000 था।

मेड क्रेव नामक एक संस्था ने एक शोध में पाया कि देश में तम्बाकू के सेवन से सबसे अधिक कैंसर के मामले बिहार में देखे जा रहे हैं। वर्ष 2019-20 में बिहार में तम्बाकू के सेवन से होने वाले कैंसर की संख्या 23,679 थी।

क्या कहते हैं सिविल सर्जन?

इस मामले को लेकर सहरसा के सिविल सर्जन किशोर कुमार मधुप बताते हैं कि गांव में तम्बाकू से होने वाले कैंसर की संख्या सबसे अधिक देखी जा रही है।

Also Read Story

बिहार की ममता कर्मी क्यों कर रही हैं प्रदर्शन?

किशनगंज के एक ही गाँव में एक सप्ताह में तीन बच्चों की मौत, सैंपल की हो रही जांच

बिहार में एंबुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर क्यों हैं?

बिहार में इन 26 प्रखंडों में बनेंगे 30 बेड वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, निर्माण के लिए टेंडर निकला

किशनगंज के प्राइवेट नर्सिंग होम में लापरवाही से महिला की मौत, डॉक्टर ने माना ट्रेंड स्टाफ की कमी

क्या बिहार में कुपोषण से हो रही महादलित बच्चों की मौत?

अररिया: अज्ञात बीमारी से बच्चों की मौत की जांच के लिए पटना से सर्वेक्षण टीम पहुंची

वर्षों से अनुपस्थित बिहार के सात सरकारी डॉक्टर बर्खास्त, पांच सीमांचल के

अज्ञात बीमारी से अररिया में तीन बच्चों और दो बुजुर्गों की मौत

उन्होंने यह भी बताया कि आईजीएमएस पटना और होमी भाभा इंस्टीट्यूट की टीम के अलावा स्वास्थ्य विभाग की कई टीमों ने इस गांव का दौरा किया था और विभाग द्वारा बराबर उस गांव में स्प्रे का भी छिड़काव कराया जाता है। उनके अनुसार मधेपुरा के जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज में बहुत जल्द मुफ्त कैंसर इलाज भी शुरू होने वाला है।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

एमएचएम कॉलेज सहरसा से बीए पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर सहरसा से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

Related News

पॉलीमेलिया: छह पैरों वाले बछड़े का जन्म क्या कोई चमत्कार है?

कटिहार में ओवरलोडेड प्रतिबंधित जुगाड़ गाड़ी दुर्घटना ने चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी

पूर्णिया में डेंगू के तीन मरीज़ मिले, सिविल सर्जन ने कहा- ‘सफाई का रखें ख़्याल’

किशनगंज में बग़ैर सीजर के महिला ने 5 बच्चों को दिया जन्म, मां और बच्चे स्वस्थ

सरकारी योजनाओं से क्यों वंचित हैं बिहार के कुष्ठ रोगी

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को कैंसर, नहीं करेंगे चुनाव प्रचार

अररिया: टीका लगाने के बाद डेढ़ माह की बच्ची की मौत, अस्पताल में परिजनों का हंगामा

One thought on “सहरसा जिले के इस गांव में घर घर कैंसर के मरीज़

  1. बिहार में कैंसर का मुफ्त इलाज किया जाना चाहिए। क्यों की यहां के आदमी की अर्थिक इस्थती बहुत weak hai

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

दशकों से एक पुराने टूटे पुल के निर्माण की राह तकता किशनगंज का गाँव

क्या पूर्णिया के गाँव में मुसलमानों ने हिन्दू गाँव का रास्ता रोका?

बिहार में जीवित पेंशनधारियों को मृत बता कर पेंशन रोका जा रहा है?

शादी, दहेज़ और हत्या: बिहार में बढ़ते दहेज उत्पीड़न की दर्दनाक हकीकत

किशनगंज: एक अदद सड़क को तरसती हजारों की आबादी