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बिहार के औरंगाबाद में बेटे की चाहत में बुजुर्ग की नरबलि!

शव का गला काटकर अलग करना और शरीर के अन्य हिस्सों को होलिका के साथ जला देना, हत्या की कोई सामान्य घटना नहीं थी, इसका एहसास स्थानीय लोगों और पुलिस को भी था।

Reported By Umesh Kumar Ray |
Published On :
in aurangabad, bihar, an old man was sacrificed for the sake of having a son

होलिका दहन के 6 दिन बाद 55 वर्षीय राजाराम यादव तक जब ये बात पहुंची कि पड़ोस के गांव में होलिका दहन की राख में कुछ हड्डियां मिली हैं, तो वह काफी डर गये। दरअसल, जिस गांव में होलिका दहन हुआ था, उसी गांव के कुछ लोग अगले दिन वहां से राख लाने गये थे, जहां उन्होंने मानव हड्डियां देखी थीं, लेकिन ये बात गांव तक ही सिमट कर रह गई थी। हड्डियां मिलने का खुलासा बड़े स्तर पर तब हुआ, जब राजाराम यादव के कानों तक ये बातें पहुंचीं।


बिहार के औरंगाबाद जिले के मदनपुर थानांतर्गत गुलाब बिगहा के रहने वाले राजाराम के बड़े भाई युगल यादव (65 वर्ष) 13 मार्च यानी होलिका दहन के दिन से ही लापता थे। उन्हें पड़ोस के गांव के कुछ लोग अपने साथ ले गये थे।

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“रामाशीष भुइयां घर पर आया था और उन्हें साथ चलने को बोला, तो घर में बनी पकौड़ी, कचरी आदि लेकर वह साइकिल से उसके साथ चले गये,” मैं मीडिया के साथ बातचीत में राजाराम कहते हैं। लेकिन, उसके बाद से उनका कुछ पता नहीं चल रहा था। उन्होंने अपने साथ मोबाइल फोन रखा था, लेकिन वह भी लगातार बंद आ रहा था। राजाराम आगे बताते हैं, “जिसके यहां वह शराब पीते थे, उसके पास गये तो उसने कहा कि रामाशीष व कुछ अन्य लोगों के साथ वह शराब पीने आये थे, लेकिन शाम को वे लोग चले गये थे।”


युगल यादव आर्थिक तौर पर कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं और उनकी तीन बेटे व तीन बेटियां जिनकी शादी हो चुकी है। वह खेती-बारी कर आजीविका चला रहे थे ।

राजाराम ने लगातार 5-6 दिनों तक उनकी खोजबीन की, लेकिन वे नहीं मिले। इसी बीच 19 मार्च को उन्हें खबर मिली कि पड़ोस के गांव पूर्णाडीह में होलिका दहन की राख में कुछ हड्डियां देखी गई हैं।

राजाराम वहां पहुंचे, तो उन्हें हड्डियां मिलीं, मगर तब तक वह निश्चित नहीं हो पाये कि वे हड्डियां उनके लापता भाई की है या किसी और की। “हमलोग कुछ चीज ढूंढने लगे जिससे उनकी पहचान हो सके,” उन्होंने बताया। ढूंढते ढूंढते वह पास की आरा मशीन पर गये, तो वहां उनकी चप्पल मिली और जमीन पर सूख चुकी खून की धार। हड्डियां लिये वह सीधे मदनपुर थाने में पहुंच गये।

“हम हड्डी और चप्पल लेकर थाने में चले गये और पुलिस को बताए कि ये हड्डियां उनके भाई की हो सकती है, तो पुलिस ने हमको डांटा कि उन्हें हाथ क्यों लगाया,” वह बताते हैं।

इस वाकये के बाद जिला पुलिस ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईआटी) का गठन किया और मामले की छानबीन शुरू की। पुलिस ने जांच में खोजी कुत्ते को भी लगाया, जो घटनास्थल के पास मिले खून के धब्बे को सूंघते हुए घटनास्थल से सीधे रामाशीष भुइयां के घर गया और वहां से फिर गेहूं के एक खेत में पहुंचा, जहां से युगल यादव का कटा हुआ सिर बरामद किया गया।

औरंगाबाद जिले के एसपी अंबरीश राहुल ने मीडिया के साथ बातचीत में बताया, “हड्डिया मिलने के बाद एफएसएल की टीम को बुलाकर डीएनए टेस्ट के लिए सैम्पल इकट्ठा किया गया। वहीं, खोजी कुत्ता खून के धब्बे को सूंघता हुआ रामाशीष भुइयां के घर गया, तो हमलोगों को रामाशीष पर शक हुआ। लेकन रामाशीष घर पर मौजूद नहीं था, इसलिए हमलोगों ने उसके रिश्तेदार धर्मेंद्र भुइयां से पूछताछ की। पूछताछ में उसने युगल यादव की हत्या कर शवों के हिस्से को होलिका के साथ जलाने की घटना में रामाशीष व अन्य लोगों की संलिप्तता स्वीकार कर ली।”

हत्या के पीछे की वजह

शव का गला काटकर अलग करना और शरीर के अन्य हिस्सों को होलिका के साथ जला देना, हत्या की कोई सामान्य घटना नहीं थी, इसका एहसास स्थानीय लोगों और पुलिस को भी था।

पूर्णाडीह गांव के एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “होलिका दहन के अगल रोज जब कुछ लोग राख लाने गये, तो हड्डियां देखकर उसी वक्त शक हो गया था कि ये मामला जादू-टोना से जुड़ा हुआ है। हड्डियां मिलने के बाद गांव के लोगों में डर था और चौक-चौराहों पर इसको लेकर लगातार फुसफुसाहट थी।”

वहीं, पुलिस ने जब मामले की तहकीकात की, तो पता चला कि तांत्रिक रामाशीष भुइयां, जो इस मामले में फरार है, के ही निर्देश पर नर बलि दी गई थी और बलि देने में उसकी भी भूमिका थी।

पुलिस जांच के मुताबिक, सुधीर पासवान नाम के एक व्यक्ति को बेटा नहीं हो रहा था, तो उसने तांत्रिक रामाशीष भुइयां से संपर्क किया। रामाशीष भुइयां ने पासवान दंपत्ति से कहा कि उन्हें बच्चा हो सकता है, लेकिन इसके लिए उन्हें नर बलि देनी होगी। इस पर सुधीर पासवान राजी हो गये, तो उन लोगों ने युगल यादव को अपना टारगेट बनाया और शराब पिलाने ले गये, जहां से अगवा कर उनकी हत्या कर दी। “मृतक का सिर काटकर एक पोखरे में गाड़ दिया गया था। हमलोगों ने पोखरे में छानबीन की, लेकिन वहां कोई सिर नहीं मिला। हमने दोबारा खोती कुत्ते को बुलाया, तो वह गेहू के एक खेत में गया, जहां से अंततः सिर बरामद किया गया। वहीं, नाले से धारदार हथियार बरामद किया गया, जिससे हत्या की गई थी,” मदनपुर थाने के एक पुलिस अधिकारी ने मैं मीडिया को बताया।

इस मामले में पुलिस ने एक नाबालिग समेत कुल छह लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें से पांच लोगों – सुधीर पासवान, नन्हकू उर्फ संजीव कुमार, करण भुइयां, धर्मेंद्र भुइयां व नाबालिग की गिरफ्तारी हो चुकी है जबकि मुख्य आरोपी तांत्रिक रामाशीष फरार है। पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है।

पुलिस जांच में ये भी पता चला है कि नरबलि देने से लेकर बच्चा होने तक के लिए तीन लाख रुपये में सौदा हुआ था जिसमें से आधी रकम सुधीर पासवान ने रामाशीष को दे दी थी और बाकी रुपये बच्चा होने के बाद देने की डील हुई थी।

मदनपुर थाने के एक अन्य पुलिस अधिकारी ने मैं मीडिया को बताया, “रामाशीष भुइयां ने मृतक का गला काटा था और बाकी लोगों ने उसे पकड़ कर रखा था। बाद में जब गला कटने से मृत्यु हो गई, तो उसका शव बाकी लोग ही ले जाकर होलिका में दहन किये थे और फिर साइकिल छिपाए थे।”

crowd gathered at the house of the deceased
मृतक के घर पर जुटी लोगों की भीड़

युगल की तरह एक और व्यक्ति की दी गई थी नरबलि

आरोपियों से पूछताछ में एक और सनसनीखेज मामले का खुलासा हुआ। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार लोगों ने जानकारी दी है कि रामाशीष ने एक साल पहले भी एक व्यक्ति की नरबलि दी थी।

पुलिस के अनुसार, पिछले साल जुलाई में 16 साल के एक किशोर की रामाशीष ने बलि दी थी। उसका भी सिर काटकर धड़ से अलग कर दिया गया था और सिर को कहीं। छिपाकर, धड़ कुएं में फेंक दिया गया था।

मदनपुर थाने के एसएचओ ने बताया कि उक्त मामले में पुलिस ने सिर कटा शव तो बरामद कर लिया था, लेकिन सिर बरामद नहीं किया जा सका था और न ही उस मामले में आरोपियों की शिनाख्त हो पाई थी। “आरोपियों ने पूछताछ में जिस जगह पर किशोर की बलि दिये जाने की बात कही थी, उस जगह को वेरिफाई करने पर सत्य पाया गया है। रामाशीष की गिरफ्तारी हो जाती है, तो किशोर का सिर बरामद कर लिया जाएगा और उक्त केस की जांच आगे बढ़ेगी,” उन्होंने कहा।

उल्लेखनीय हो कि नरबलि देने की ऐसी ही एक घटना भागलपुर में भी हुई थी, जहां एक व्यक्ति ने बेटे की चाहत में एक तांत्रिक के कहने पर अपने ही भतीजे की नरबलि दे दी थी। साल 2019 में हुई इस घटना में पुलिस ने तांत्रिक समेत उस युवक को भी गिरफ्तार किया था, जिसे बेटे की चाहत थी। पिछले साल इस मामले में स्थानीय कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी थी और 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया था।

इसी तरह साल 2021 में अररिया जिले में भी एक तांत्रिक के इशारे पर जितेंद्र कुमार सिंह नाम के एक युवक की नरबलि दे दी गई थी। युवक दिल्ली में रहकर पढ़ाई करता था और दुर्गापूजा की छुट्टियों में घर आया था। बताया जाता है कि दुर्गा मूर्ति के विसर्जन के बाद कुछ लोग आईपीएल का मैच देखने के लिए उसे दुर्गा मंदिर के पास ले गये, जहां उसकी नरबलि दे दी गई थी।

रामाशीष का झाड़-फूंक का फैला कारोबार

पूर्णाडीह गांव के लोगों का कहना है कि रामाशीष पिछले दो दशकों से झाड़-फूंक कर रहा था और उसका नाम दूर तक फैला हुआ था।

एक स्थानीय युवक के मुताबक, रामाशीष के घर पर हमेशा लोगों का आना-जाना लगा रहता था और उनमें से अधिकांश लोग किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होते थे और झाड़-फूंक के माध्यम से समाधान चाहते थे। इनमें ज्यादा संख्या महिलाओं की होती थी।

“भूत-प्रेत का साया की शिकायत लेकर ज्यादातर लोग आते थे। झाड़-फूंक के काम में रामाशीष का बेटा व परिवार के अन्य सदस्य भी सक्रिय रहते थे। इसी झाड़-फूंक के एवज में वह पैसा लेता था और कमाई इतनी ज्यादा थी कि थोड़े ही दिनों में उसने पक्का मकान बनवा लिया था। हालांकि, गांव में किसी को ये नहीं मालूम था कि वो झाड़-फूंक के साथ साथ नरबलि भी देता है,” एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया।

घटना के खुलासे के बाद वह और उसके निकट परिजन फरार हैं। उसके पक्के मकान पर ताले झूल रहे हैं, मगर गांव में खौफ का माहौल है।”

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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

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