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Fact Check: अररिया में कर्ज़ में डूबे परिवार ने 9 हज़ार रुपये में अपने डेढ़ वर्षीय बेटे को बेचा?

पेशे से मज़दूर हारून के पांच लड़के और तीन लड़कियां हैं। हारून ने आगे बताया कि बच्चा बेचने की खबर फैलने के बाद पुलिस उसके बेटे को अनाथ आश्रम लेकर चली गई।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :
in araria, a debt ridden family sold their one and a half year old son for rs 9,000

बिहार के अररिया में एक माता पिता पर अपने डेढ़ वर्षीय बच्चे को बेचने का आरोप है। मामला अररिया जिलान्तर्गत रानीगंज थाना क्षेत्र की पचीरा पंचायत स्थित वार्ड संख्या 6 का है। आरोप है कि कर्ज चुकाने के लिए मां-बाप ने अपने डेढ़ वर्षीय दुधमुंहे बच्चे को महज 9 हजार में बेच दिया। सोशल मीडिया पर मामला वायरल हुआ जिसके बाद पुलिस ने बच्चे को बरामद कर बाल कल्याण समिति को सौंप दिया।


मिली जानकारी के अनुसार, पचीरा पंचायत निवासी मोहम्मद हारून ने किसी फाइनेंस कंपनी से 50 हजार रुपये का लोन लिया था। आरोप है कि लोन की रकम चुकाने के लिए हारून ने अपने बच्चे को आरिफ नामी एक व्यक्ति के हाथों बेच दिया।

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पिता ने किया आरोपों से इनकार

मोहम्मद हारून ने 9 हज़ार रुपये में बच्चे को बेचने की बात को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि वह समय से अपना लोन चुका रहा है और उसके बारे में गलत अफवाह उड़ाई गई है। पास में ही बच्चे का ननिहाल है, बच्चा वहां गया हुआ था और वहां से ही उसके मामा के परिवार वालों ने बच्चे को डुमरिया निवासी आरिफ के पास भेज दिया।


हारुन ने आरोप लगाया कि आरिफ ने उसके बच्चे को लौटाने से इनकार कर दिया और बदले में पैसे की मांग की।

“कोई मामला नहीं है बेचने का, वहां से अफवाह फैल रहा है। बच्चा अपने मामू के घर पर था और फिर वहां से बच्चा उनके ससुराल गया, वहां जाने के बाद अफवाह उड़ी। डुमरिया गांव का आरिफ और उसकी पत्नी है… उसके यहां से अफवाह उड़ा कि बच्चा खरीद के लाये हैं। हमलोग बच्चा लेने के लिए गए तो बच्चा नहीं दिया, बोला कि पहले रुपया दीजिये उसके बाद ले जाइएगा,” हारुन ने कहा।

पेशे से मज़दूर हारून के पांच लड़के और तीन लड़कियां हैं। हारून ने आगे बताया कि बच्चा बेचने की खबर फैलने के बाद पुलिस उसके बेटे को अनाथ आश्रम लेकर चली गई। अब बच्चे के घर और गांव वालों से खरीद फरोख्त के आरोप को गलत सिद्ध करने के लिए सबूत मांगा गया है।

“हम तो यही चाहते हैं कि हमको न्याय मिले, हमारा बच्चा वापस मिले। मेरे बच्चे को आरिफ के यहां से पुलिस थाना ले गया और फिर वहां से अनाथ आश्रम पहुंचाया। बच्चे लौटाने की बात पर वे लोग गांव वालों से प्रूफ मांग रहे हैं, हमलोग जमा कर रहे हैं प्रूफ। हम एक रुपया भी किसी का नहीं जानते हैं न किसी से कोई लेनदेन की बातचीत है,” बच्चे के पिता हारून ने कहा।

बच्चे की मां ने उसे बेचने की बात को झूठ बताया और कहा कि बच्चे का मामू तनवीर उसे लेकर ननिहाल गया था। वहां से बच्चे को आरिफ के पास क्यों ले गया इसकी उसे जानकारी नहीं है। परिवार पर कर्ज़ होने की बात पर मां ने कहा कि कर्ज़ देने वाले पैसा मांगने आते हैं और कर्ज़ न चुकाने पर डराते धमकाते हैं।

“50,000 रुपया लोन लिए थे, 2 साल हो गया है और तीन महीने का 10,100 रुपया किश्त बचा हुआ है। कह रहा था कि नहीं हुआ तो घर का टीन उतार के ले जाएंगे,” बच्चे की मां ने कहा।

आरोपी आरिफ ने कहा, ‘पालने लाए थे बच्चा’

वहीं बच्चे को खरीदने का आरोपी डुमरिया निवासी मोहम्मद आरिफ ने खरीद-फरोख्त की बात को अफवाह बताया और पूरे मामले की जांच की मांग की। मोहम्मद आरिफ की मानें तो बच्चे की सेहत खराब होने के कारण लड़के के मामा ने अपनी सास (आरिफ की पत्नी) को उसे सौंपा था और कहा था कि इसकी मां का एक छोटा बच्चा है, इसे अभी पालने में दिक्कत हो रही है।

“इसमें खरीद फरोख्त का कोई मामला नहीं है। उसका (बच्चे की मां का) हालात बहुत बुरा है, बहुत कमज़ोर है वह, बच्चा को नहीं पाल पाएगी। वह बच्चा को दे दिया कि मोमानी लेते जाइये हमारे यहां मजबूरी है। बच्चे को बुखार था फिर हमने उसको दवा दी तो वह ठीक हुआ,” आरिफ ने कहा।

उसने आगे कहा, “जो मोबाइल से यह अफवाह फैलाया है उसे चेक किया जाए, कौन वायरल किया है, कहां से ये बात आया है? खरीद बिक्री की कोई बात नहीं है। उसकी मां को हम कितना रोके कि रहो पांच दिन यहां, तुम्हारा सेहत अच्छा होगा, तुमको दवाई दिला देंगे डॉक्टर से। मेरी पत्नी लड़के के मामू की सास है, उसको देख कर रहम आ गया तो वह लेके आ गई, यही गलती हो गई।”

स्थानीय मुखिया ने कहा नहीं बेचा गया था बच्चा

हमने इस मामले में पचीरा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि महेंद्र प्रसाद मंडल से बात की। उन्होंने बताया कि गरीबी के कारण मोहम्मद हारून के परिवार ने उसके बेटे को पालने के लिए डुमरिया निवासी आरिफ की पत्नी को दिया था। उनके अनुसार बच्चे को बेचने वाली बात सही नहीं है।

“बेचा नहीं था, वो परिवार महागरीब है, महिला के भाई का ससुर है वह, उसको लिया था लेकिन प्रक्रिया से नहीं लिया। बेचने वाली बात नहीं थी। यदि पंचायत से लिखा कर देता तो कोई दिक्कत नहीं होती, हवा उड़ गया कि बच्चा को बेच दिया। वो परिवार बहुत गरीब है लेकिन बेचने की कोई बात नहीं थी।”

मुखिया प्रतिनिधि ने आगे बताया कि पुलिस थाने में मुखिया, सरपंच और गांव वालों की लिखित गवाही मांगी गई है। जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी कर बच्चे को उसके मां बाप को सौंप दिया जाएगा।

पुलिस कर रही है मामले की जांच

इस घटना को लेकर सदर एसडीपीओ रामपुकार सिंह ने बताया कि मामले की जानकारी सोशल मीडिया के द्वारा थानाध्यक्ष को मिली थी जिसके बाद पुलिस की एक टीम को डुमरिया गांव भेजा गया। डुमरिया वार्ड संख्या 10 निवासी मोहम्मद आरिफ के घर से बच्चे को बरामद कर बाल कल्याण समिति भेजा गया।

“प्रथम दृष्टि में सत्य पाया गया था कि आर्थिक तंगी में ऐसा किया गया लेकिन जिनके द्वारा लिया गया था, उनका कहना था कि मां बाप बच्चे का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं हैं इस लिए उसको लिए थे। जो वैध नियम है उसके तहत कार्रवाई नहीं की गई थी”, सिंह कहते हैं।

बच्चे को बेचने के आरोपों पर एसडीपीओ ने कहा, “शुरुआत में समाज में बच्चे को बेचने की बातें चल रही थीं, लेकिन पुलिस के हस्तेक्षप के बाद परिस्थितियां बदल जाती हैं लोग बयान से मुकर जाते हैं इसमें जांच पड़ताल चल रही है।”

क्षेत्र में गरीबी से बढ़ रहे हैं ऐसे मामले?

अररिया के रानीगंज क्षेत्र में ही कुछ महीने पहले बच्चा बेचने का एक और मामला प्रकाश में आया था जिसमें एक मां ने अपने बच्चे को बेच दिया था।

एसडीपीओ रामपुकार सिंह ने इस पर कहा, “रानीगंज क्षेत्र में एक महिला द्वारा बच्चे को बेच दिया गया था और अपहरण का नाटक किया था। बच्चे को रिकवर करके जब लाया गया तो पता चला कि यह सब मां के द्वारा किया गया था। निश्चित रूप से आर्थिक विफलता भी इसका कारण है।”

बिहार भारत का सबसे पिछड़ा राज्य और सीमांचल बिहार का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है। यह बात नीति आयोग की एक हालिया रिपोर्ट सिद्ध करती है जिसके अनुसार बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है जहां अब भी 33.76% जनसंख्या गरीबी में जीवनयापन कर रही है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि अररिया राज्य का सबसे गरीब जिला है, इसके बाद पूर्णिया दूसरा सबसे गरीब जिला है।

नीति आयोग द्वारा जारी गरीबी सूचकांक के अनुसार अररिया में बहुआयामी गरीबी में रहने वाली जनसंख्या का प्रतिशत सबसे अधिक है। अररिया में 52.07%, जबकि पूर्णिया में 50.70% लोग बहुआयामी गरीबी का शिकार हैं। ये आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) 2019-21 के आधार पर हैं।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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