बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने अररिया, कटिहार और किशनगंज जिलों के मदरसों का स्थल निरीक्षण किया। विभाग के अपर सचिव ने 23 नवंबर को अररिया और 24 नवंबर को किशनगंज व कटिहार के मदरसों का दौरा किया। उन्होंने इस दौरान मदरसों के लिए जमीन उपलब्धि, छात्रावास, लाइट, किचन, शौचालय और कार्यालय की जरूरतों की जांच की।
विभागीय जांच में अपर सचिव ने जमीनी दस्तावेज़ (LPC) , लंबित कानूनी मामले और मदरसों की बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता का जायज़ा लिया। बिहार राज्य मदरसा सुदृढ़ीकरण योजना के तहत जिला अनुमोदन समिति से मिले प्रस्ताव के बाद विभाग ने यह जांच कराई है।
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बता दें कि 2018-19 से शुरू हुई बिहार मदरसा सुदृढ़ीकरण योजना में राज्य के मदरसों को भवन, कार्यालय, कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय जैसी कई सुविधाएं दी जाती हैं। इसके अलावा इस योजना के तहत मदरसों के पाठ्यक्रम में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान जैसे विषयों को जोड़ा जाता है।
खबर का असर
बिहार के मदरसों की बदहाली पर ‘मैं मीडिया’ के ग्राउंड रिपोर्ट के बाद विभाग ने सीमांचल के मदरसों की जांच कराई है। जनवरी 2024 में हमने सीमांचल के मदरसों की बदहाली पर “फूस के कमरे, ज़मीन पर बच्चे, कोई शिक्षक नहीं – बिहार के सरकारी मदरसे क्यों हैं बदहाल?” शीर्षक के साथ एक खबर चलाई थी। इस रिपोर्ट में कई ऐसे मदरसे पाए गए थे जो शिक्षक, भवन और मुलभुत सुविधाएं न होने के कारण लंबे समय से बंद हैं।
किशनगंज और कटिहार के कई मदरसों को लंबे समय से कोई सरकारी मदद प्राप्त नहीं हुई और कई मदरसों में शिक्षकों के रिटायर होने के बाद कभी बहाली नहीं की गई। कुछ मदरसे स्थानीय कमेटी के निजी खर्चे पर चल रहे हैं हालांकि अधिकतर मदरसों में न टीचर हैं न कोई मूलभूत सुविधा।
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