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होली संग इफ़्तार, बिहार के मसौढ़ी में भाईचारे की अनूठी परम्परा

सर्वधर्म समभाव समिति के सदस्य और पेशे से पत्रकार व नाटक कलाकार अरविंद रंगकर्मी ने बताया कि वे लोग न केवल इस तरह के समारोह आयोजित करते हैं बल्कि धार्मिक उन्माद की स्थिति होने पर शान्ति मार्च भी निकालते हैं।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :
iftar with holi, a unique tradition of brotherhood in masaurhi, bihar

इस बार रंगों का त्यौहार होली, रमज़ान महीने के शुक्रवार को पड़ने से देश में अलग अलग जगह विवादित बयानों का बाज़ार गर्म रहा। कोई होली के दिन जुमे की नमाज़ घर पर पढ़ने की नसीहत दे रहा था तो कोई नमाज़ के समय होली को रोकने की बात करने लगा। इस गहमा-गहमी के बीच बिहार से कुछ ऐसी तस्वीरें आईं जिनकी सभी ने तारीफ की।


बीते 10 मार्च को राजधानी पटना के मसौढ़ी में होली मिलन समारोह का आयोजन हुआ। ख़ास बात ये थी कि होली समारोह के साथ साथ इफ़्तार पार्टी भी रखी गई। मसौढ़ी के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होली मिलन समारोह में चल रहे गीत के दौरान मंच पर लोगों ने इफ़्तार किया। इस नज़ारे का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया। दरअसल सर्वधर्म समभाव समिति नामक एक सामाजिक संगठन सालों से होली मिलन समारोह करता आ रहा है। इस बार होली का पावन पर्व और पवित्र महीना रमज़ान एक साथ आया जिसके बाद संगठन के लोगों ने होली मिलन समारोह में इफ्तार पार्टी का भी आयोजन करने फैसला किया।

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इफ्तार पार्टी के आयोजकों में से एक अरविंद रंगकर्मी ने ‘मैं मीडिया’ से बताया कि सात साल पहले सामाजिक संगठन सर्वधर्म समभाव समिति की शुरुआत की गई। उद्देश्य था मसौढ़ी में धार्मिक सद्भाव और भाईचारे को प्रचलित करना। यह संगठन हर वर्ष होली और ईद मिलन जैसे कार्यक्रम कराता है। ख़ास बात यह है कि इन कार्यक्रमों में सभी धर्म और जाति के लोग मिलकर काम करते हैं।


“होली मिलन हुआ तो उसकी अध्यक्षता मुस्लिम भाई करते हैं। ईद मिलन हुआ तो हिन्दू भाई अध्यक्षता करते हैं। 10 मार्च को हुए इस होली मिलन की अध्यक्षता अरफराज़ साहिल साहब ने की थी,” अरविंद रंगकर्मी बोले।

होली मिलन व इफ्तार पार्टी में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता, प्रशासनिक अधिकारी और जन प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। वीडियो वायरल हुआ तो सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर प्रशासनिक अधिकारीयों तक सबने इसकी जमकर सराहना की।

आपसी भाईचारा है मसौढ़ी की विरासत

सर्वधर्म समभाव समिति के सदस्य और पेशे से पत्रकार व नाटक कलाकार अरविंद रंगकर्मी ने बताया कि वे लोग न केवल इस तरह के समारोह आयोजित करते हैं बल्कि धार्मिक उन्माद की स्थिति होने पर शान्ति मार्च भी निकालते हैं।

मसौढ़ी में धार्मिक सद्भाव की ये कोशिशें वर्षों पुरानी है। देश के स्वतंत्रता से पहले भी इस तरह के कार्यक्रम होते रहे हैं। मुस्लिम मोहल्लों में हिन्दू समाज के लोग जाकर ईद मिलन का कार्यक्रम करते वहीँ होली जैसे पर्व में हिन्दू मोहल्लों में मुस्लिम समाज के लोग समारोह का आयोजन करते। इन कार्यक्रमों में बड़े नेता और अधिकारियों की शिरकत रहती थी। ये परंपरा मसौढ़ी में आज भी जारी है।

इस पर अरविंद कहते हैं, “तमाम मुस्लिम समुदाय के लोग हैं, उन्होंने ही बढ़ चढ़ कर इस होली मिलन को आयोजित किया है। अब ईद मिलन भी करेंगे तो उसकी अध्यक्षता हिन्दू लोग करते हैं। यह प्रथा बहुत वर्षों से मसौढ़ी में चली आ रही है। हमारे पूर्वज पहले मोहल्लों में जाकर इस तरह का कार्यक्रम करते थे। हिन्दू लोग, मुस्लिम मोहल्लों में जाकर ईद मिलन करते थे और मुस्लिम लोग हिन्दू मोहल्लों में जाकर होली मिलन किया करते थे।”

उत्तर प्रदेश के सम्भल और बिहार के दरभंगा में होली और जुमे की नमाज़ पर प्रशासनिक अधिकारियों के बयानों ने देश भर में सुर्खियां बटोरीं। इन बयानों से विवाद भी हुआ और अलग अलग राजनीतिक पार्टियों की तरफ से प्रतिक्रियाएं भी आईं। मसौढ़ी में इसके उलट होली मिलन और इफ्तार पार्टी का एक साथ आयोजन किया गया।

“यह जो होली मिलन में इफ्तार का कार्यक्रम हुआ है, यह पहली बार हुआ है। इस बार ऐसा माहौल देख कर संगठन ने ऐसा किया ताकि नफरत फैलाने वालों को कड़ा संदेश दिया जा सके। यूपी और बाकी जगहों से जो खबरें आईं उसके बाद इस तरह के कार्यक्रम की ज़रूरत महसूस की गई। होली और रमज़ान पर एक संदेश दिया गया कि दोनों समुदायों के बीच मोहब्बतें हैं,” अरविंद बोले।

आगे उन्होंने बताया कि सर्वधर्म समभाव समिति संगठन से करीब 120 लोग जुड़े हुए हैं। इनमें मसुलिम, हिन्दू, सिख, ईसाई, सभी धर्म व समुदाय के लोग हैं। यही कारण है कि संगठन को सर्वधर्म समभाव समिति का नाम दिया गया।

holi samaroh masaurhi

दंगे के बाद जब गांधी जी मसौढ़ी पहुंचे

मसौढ़ी में हिंदू-मुस्लिम एकता की हालिया तस्वीरें ऐतिहासिक साझी विरासत की झलक पेश करती हैं। प्रचलित है कि मसौढ़ी हिन्दू-मुस्लिम समुदायों के आपसी सहयोग से विकसित हुआ था। यहां मंदिर, मस्जिद, विद्यालय, सहकारी बैंक जैसे संस्थान दोनों समुदायों के लोगों ने मिलकर स्थापित किए।

कहा जाता है कि 1946 में एक मिल मालिक के उकसाने पर मसौढ़ी में सांप्रदायिक दंगा हुआ जिसके बाद महात्मा गांधी खुद मसौढ़ी पहुंचे थे। उनकी शांति अपील के परिणामस्वरूप 50 से अधिक दंगाइयों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। महात्मा गांधी ने जिस जगह लोगों से संवाद किया था वहां उनकी प्रतिमा लगाई गई और उस मैदान को गांधी मैदान का नाम दिया गया। होली मिलन और ईद मिलन का समारोह हर साल इसी मैदान परिसर में किया जाता है।

“हम एकता का परिचय देते रहेंगे”

बीते 10 मार्च को मसौढ़ी में हुए होली मिलन समारोह की अध्यक्षता कर रहे सर्वधर्म समभाव समिति के सदस्य और कांग्रेस प्रदेश महासचिव मोहम्मद अरफराज़ साहिल ने कहा कि जानबूझ कर त्योहारों के समय माहौल खराब करने की कोशिश की जाती है। इससे कुछ लोग फायदा उठाते हैं लेकिन मसौढ़ी में करीब 100 साल पुरानी परंपरा आज भी कायम है।

वह कहते हैं, “यह सदियों से होता आ रहा है और आगे भी होगा। हमलोग इस पुरानी परंपरा को ऐसे ही चलाते रहेंगे और एकता का परिचय देते रहेंगे। नफरत फैलाने वाले लोग जो धर्म के ठेकेदार बने हुए हैं, ये तस्वीर उनके मुंह पर तमाचा है। यह सदियों से हमारी परंपरा रही है कि हिन्दू के पर्व में मुस्लिम समुदाय के लोग भागीदारी निभाते हैं और मुस्लिम समुदाय के पर्व में हिन्दू भाई (भागीदारी) देते हैं। ”

आगे उन्होंने कहा, “इस बार हुए होली मिलन समारोह में एक तरफ होली का गीत और कार्यक्रम चल रहा था तो दूसरी तरफ मंच पर लोग इफ्तार कर रहे थे। जो धर्म के ठेकेदार हैं, धार्मिक प्रचार करते हैं और धर्म का ठेका लिए हुए हैं उन लोगों के लिए यह आईना है।”

वहीं, इस विषय पर अरविंद रंगकर्मी कहते हैं, “यह एक पार्टी विशेष का काम है जो देश में उन्माद फैलाना चाहती है। हमारे मुसलमान भाइयों को हिंदू से अलग करना चाहते हैं। हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश है, सबका बराबर का अधिकार है। सब मिल-जुलकर अपना पर्व मनाएं, यही तो लोकतंत्र की खबूसूरती है। ‘हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई भाई’ के नारे को हमलोग सार्थक रूप देना चाहते हैं।”

“हम यही संदेश देंगे कि हमारा देश सबको अपने पर्व को मनाने का अधिकार देता है। इस देश में सभी मिल-जुलकर रहें, बहकावे में न आएं। नफरत के इस दौर में हमलोग मोहब्बत का पैग़ाम देना चाहते हैं। यह हमारा देश बहुत खूबसूरत देश है, इसमें सभी लोग अपनी भागीदारी निभाएं और मिल जुलकर रहें,” उन्होंने आगे कहा।

ईद मिलन समारोह में एकता की मिसाल

मसौढ़ी में ईद की नमाज़ के बाद ईदगाह के बाहर गले मिलने के लिए हिन्दू समुदाय के लोगों की लंबी कतार रहती है। ईद मिलन के कार्यक्रम में भाजपा, जदयू, राजद, कांग्रेस, लोजपा समेत सभी पार्टी के लोग आते हैं। मेहमानों को चादर और टोपी पहना कर सम्मानित किया जाता है और सेवइयां खिलाई जाती हैं।

“यहां यह बहुत पुरानी परंपरा है। भारत देश एकता का देश है और ये महान देश है। यहां न हिन्दू आज आया है न मुसलमान आज आया है, ये परंपरा सदियों से चलती आई है। मैं भारत माता पूजा समिति का एकलौता मुस्लिम कार्यकरणी सदस्य हूँ। पूजा कराना, प्रसाद वितरण, दान के पैसों का प्रबंधन आदि सारा काम देखता हूँ,” अरफराज़ साहिल ने बताया।

वह आगे बोले, “मेरे घर पर ईद में 500 हिन्दू समाज के लोग सेवइयां खाने आते हैं। सांसद रामकृपाल यादव समेत कई राजनीतिक लोग भी आते हैं मेरे यहाँ। नफरत फैलाने वाले लोग मसौढ़ी आएं और देखें आकर।”

सालों पहले वली मियां नामक एक व्यक्ति मसौढ़ी में ईद मिलन पर इसी तरह का कार्यक्रम किया करते थे। इसी को अरविंद रंगकर्मी, अरफराज़ साहिल और उनके संगठन के बाकी लोगों ने दोबारा जीवित किया है।

“वली साहब मंत्री, विधायक और हिन्दू समुदाय के लोगों को बुलाकर दरी बिछाकर ईद मिलन का समारोह करते थे। वह मेहमानों को चारखानेदार चादर से नवाज़ते थे। मैं वो कार्यक्रम बचपन में देखा करता था। वली साहब के इंतक़ाल के बाद यह कार्यक्रम 10-15 साल तक बंद हो गया। जब हमें होली मिलन समारोह की जिम्मेदारी दी गई तो हमने ईद मिलन समारोह का प्रस्ताव रखा जिससे सब राज़ी हुए और फिर से ईद मिलन का कार्यक्रम शुरू हुआ,” अरफराज़ साहिल ने कहा।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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