कोरोना महामारी के बीच किशनगंज में पालतू सूअरों की मौत से लोगों में दहशत है। पिछले दो माह में जिले में पांच सौ से ज्यादा सुअरों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों सुअर अभी भी इस अज्ञात बीमारी की चपेट में हैं। अज्ञात बीमारी से सैकड़ों सुअरों की मौत से सुअर पालकों में मायूसी छायी हुई है क्योंकि यही उनकी कमाई का जरिया है। पशुपालकों का कहना है कि पशु पालन विभाग कुम्भकर्ण की नींद सोया हुआ है। विभाग की तरफ से न तो बीमारी के संबंध में कोई जानकारी दी जाती है और न ही दवाई दी जा रही है।
उधर लगातार सुअरों की मौत से आम नागरिक भी परेशान हैं। शहर के गांव मोहल्ले में जहां तहां सुअरों के मरने से एक तरफ दुर्गंध फैली हुई है, तो दूसरी ओर इससे लोगों में बीमारी फैलने का भी डर है। एमबीबीएस डॉक्टर ने कहा कि सुअरों की मौत या तो महामारी फैलने या फिर स्वाइन फ्लू के चलते हो रही होगी।
मामले को लेकर जिला पशुपालन पदाधिकारी से पूछने पर उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि मृत सुअरों का सैंपल लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा। जांच रिपोर्ट के आने के बाद भी मौत की वजह बताई जा सकती है। उन्होंने कहा कि अफ्रीकी स्वाइन फीवर होने से इस तरह सुअरों की मौते होती है। उन्होंने कहा कि इस फ्लू के आम इंसान में फैलने का कोई खतरा नहीं है।
अज्ञात बीमारी से सुअरों के मरने का सिलसिला पिछले दो महीनों से जारी है, लेकिन पशुपालन विभाग को इससे कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में मृत सुअरों से इंसानों में अगर कोई महामारी फैलती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जिला पशुपालन पदाधिकारी ने हालांकि मृत सुअरों के सैम्पल को जांच के लिए भेजने की बात कही है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि विभाग आगे कितनी गंभीरता दिखाता है।
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