Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

बिहार का ‘मोर गाँव’, जहाँ सैकड़ों मोर लोगों के बीच रहते हैं

सहरसा जिला मुख्यालय से तकरीबन छह किलोमीटर की दूरी पर बसा सत्तर कटैया प्रखंड की विशनपुर पंचायत का आरण गांव को ‘मोर गांव’ के नाम से भी जाना जाता है।

Sarfaraz Alam Reported By Sarfraz Alam |
Published On :

सहरसा जिला मुख्यालय से तकरीबन छह किलोमीटर की दूरी पर बसा सत्तर कटैया प्रखंड की विशनपुर पंचायत का आरण गांव को ‘मोर गांव’ के नाम से भी जाना जाता है। आरण गांव बिहार का पहला ऐसा गांव है, जहां तकरीबन 500 मोर और मोरनियों का बसेरा है। गांव के घर, गली व खेतों में मोर यूं ही चलते फिरते दिखते हैं। सभी मोर इस गांव के लोगों के साथ अच्छी तरह घुल मिल गए हैं। इनकी एक झलक देखने के लिए इस गांव में आसपास के इलाके के लोग भी आते रहते हैं।

स्थानीय निवासी अंकुर कुमार यादव बताते हैं कि और इस गांव के लोगों को अच्छी तरह पहचानते हैं और उनके साथ घुल मिलकर रहते हैं लेकिन जब कोई बाहरी आदमी जींस पैंट वगैरह पहन कर आता है, तो मोर उनसे डर कर भाग जाते हैं। वह आगे बताते हैं कि ये मोर गांव वासियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। अगर थोड़ा बहुत नुकसान होता भी है तो गांव वालों की तरफ से उन्हें कुछ नहीं कहा जाता। अंकुर कुमार का मानना है कि यहां मोरों के लिए कोई व्यवस्था होगी, तो रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे।

Also Read Story

कटिहार में गेहूं की फसल में लगी भीषण आग, कई गांवों के खेत जलकर राख

किशनगंज: तेज़ आंधी व बारिश से दर्जनों मक्का किसानों की फसल बर्बाद

नीतीश कुमार ने 1,028 अभ्यर्थियों को सौंपे नियुक्ति पत्र, कई योजनाओं की दी सौगात

किशनगंज के दिघलबैंक में हाथियों ने मचाया उत्पात, कच्चा मकान व फसलें क्षतिग्रस्त

“किसान बर्बाद हो रहा है, सरकार पर विश्वास कैसे करे”- सरकारी बीज लगाकर नुकसान उठाने वाले मक्का किसान निराश

धूप नहीं खिलने से एनिडर्स मशीन खराब, हाथियों का उत्पात शुरू

“यही हमारी जीविका है” – बिहार के इन गांवों में 90% किसान उगाते हैं तंबाकू

सीमांचल के जिलों में दिसंबर में बारिश, फसलों के नुकसान से किसान परेशान

चक्रवात मिचौंग : बंगाल की मुख्यमंत्री ने बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की घोषणा की

यहां इतनी संख्या में मोर के होने की सूचना पर 17 दिसंबर 2016 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आरण गांव आए थे। मुख्यमंत्री के आने से पहले वन सरंक्षक ने डीएफओ के साथ गांव का दौरा कर इससे संबंधित जानकारी ली थी। उस वक्त अभ्यारण्य को लेकर चर्चा थी। हालांकि बाद में वन विभाग के अधिकारियों द्वारा सहरसा में जयप्रकाश उद्यान में मोरों को रखने की बात हुई थी। लेकिन इस पर आगे कोई काम नहीं हुआ ।


बताया जाता है कि गांव के ही बुजुर्ग हरिनंदन कुमार उर्फ कारी झा 25 साल पहले पंजाब से 1 जोड़ी मोर और मोरनी लाए थे। इसके बाद उनका कुनबा फैल कर इतना बड़ा हो गया कि अब इस गांव को लोग मोर गांव के नाम से जानते हैं।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

एमएचएम कॉलेज सहरसा से बीए पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर सहरसा से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

Related News

बारिश में कमी देखते हुए धान की जगह मूंगफली उगा रहे पूर्णिया के किसान

ऑनलाइन अप्लाई कर ऐसे बन सकते हैं पैक्स सदस्य

‘मखाना का मारा हैं, हमलोग को होश थोड़े होगा’ – बिहार के किसानों का छलका दर्द

पश्चिम बंगाल: ड्रैगन फ्रूट की खेती कर सफलता की कहानी लिखते चौघरिया गांव के पवित्र राय

सहरसा: युवक ने आपदा को बनाया अवसर, बत्तख पाल कर रहे लाखों की कमाई

बारिश नहीं होने से सूख रहा धान, कर्ज ले सिंचाई कर रहे किसान

कम बारिश से किसान परेशान, नहीं मिल रहा डीजल अनुदान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?

सुपौल: घूरन गांव में अचानक क्यों तेज हो गई है तबाही की आग?