इस बार के आम बजट में, विपक्ष के मुताबिक, केंद्र सरकार ने बिहार के लिए खजाना ही खोल दिया। मिथिला पेंटिग से सजी साड़ी पहन कर संसद पहुंची वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते बिहार के लिए कम से कम 10 बड़ी घोषणाएं कीं। बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री ने मखाना उत्पादन बढ़ाने, मखाना की प्रोसेसिंग और बाजार उपलब्ध कराने के लिए मखाना बोर्ड का गठन करने और चार ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट स्थापित करने की घोषणा की। इसके अलावा राज्य में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार करते हुए 7500 सीटें जोड़ने और आईआईटी पटना में 6500 अतिरिक्त सीटें देने के अलावा तीन एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) सेंटर स्थापित करने की घोषणा भी वित्तमंत्री ने की।
हालांकि, पिछले साल जुलाई में बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 59 हजार करोड़ रुपये के स्पेशल पैकेज का ऐलान किया था, लेकिन इस साल स्पेशल पैकेज की कोई घोषणा नहीं हुई है।
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इसी साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में इन घोषणाओं को चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व सांसद जयराम रमेश ने कहा कि बिहार, जहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाला है, को घोषणाओं का खजाना मिला है, मगर, आंध्रप्रदेश को नजरअंदाज किया गया है।
इन घोषणाओं में से किस-किसको अमलीजामा पहनाया जाएगा, इसको लेकर संदेह जताया जा रहा है क्योंकि चुनाव के मद्देनजर घोषणाएं तो हो जाती हैं, लेकिन उन घोषणाओं को मूर्त रूप देने की रफ्तार काफी धीमी होती है। ऐसा संदेह इसलिए भी जताया जा रहा है क्योंकि पिछले बजट में भी ऐसी ही तमाम घोषणाएं डंके की चोट पर की गईं, मगर इनमें से ज्यादातर घोषणाएं अभी भी शुरुआती स्टेज में ही है।
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए इसी तरफ संकेत दिया। उन्होंने कहा, “बजट के बारे में कोई भी समझदारी भरा बयान देने से पहले हम इसके विवरण पर गौर करें, क्योंकि बजट हमेशा ही विवरणों में उलझता रहता है और हम केवल वित्तमंत्री के भाषण को सुनकर कोई भी निर्णय नहीं ले सकते हैं। कई नये प्रस्ताव आए हैं, लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए कि पिछले बजट में घोषित प्रस्तावों का क्या हुआ है। पिछले बजट में भी कुछ बड़ी योजनाओं की घोषणा की गई थी, उनकी स्थिति क्या है।”
कई योजनाएं डीपीआर के स्टेज पर
पिछले बजट में निर्मला सीतारमण ने कहा था कि रोड कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए बक्सर से भागलपुर तक 360 किलोमीटर लम्बा एक्सप्रेसवे बनाया जाएगा। इस साल पेश की गयी बजट घोषणा क्रियान्वयन रिपोर्ट 2024-25 में बताया गया है कि पुराने मार्ग को ही अपग्रेड किया जाएगा न कि नया मार्ग बनाया जाएगा। दस्तावेज बताते हैं कि इनमें से 280 किलोमीटर मार्ग पहले से ही फोरलेन है। इस योजना का 78.5 किलोमीटर हिस्सा, जो मोकामा से मुंगेर के बीच पड़ता है, सिर्फ उसे ही फोरलेन किया जाना है, जिसके लिए अब तक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) ही तैयार की जा सकी है।
इसी तरह बजट में बोधगया, राजगीर, वैशाली व दरभंगा तक हाईवे का प्रस्ताव था, लेकिन इसके लिए तो अब तक डीपीआर भी तैयार नहीं हो पाई है। हाल ही में नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने डीपीआर तैयार करने के लिए निविदा आमंत्रित किया है।
पिछले साल 300 किलोमीटर लम्बे पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे बनाने की घोषणा की गई थी, अब तक इस प्रोजेक्ट के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का काम ही शुरू हो पाया है। लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का काम मार्च 2026 से शुरू होने का अनुमान है।
इन योजनाओं की व्यवहार्यता रिपोर्ट भी नहीं बनी
पिछले साल के बजट में ही भागलपुर के पीरपैंती में 21400 करोड़ रुपये की लागत से 2400 मेगावाट क्षमता वाले कोयला आधारित पावर प्लांट की घोषणा की गई थी, लेकिन बजट में घोषणा होने के बाद से लेकर अब तक इस योजना पर भी ठोस काम शुरू नहीं हो पाया है। दस्तावेज से पता चलता है कि इस प्रोजेक्ट के लिए नवम्बर में व्यवहार्यता रिपोर्ट पर चर्चा हुई है और संशोधित व्यवहार्यता रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। व्यवहार्यता रिपोर्ट किसी प्रोजेक्ट की बिल्कुल शुरुआती प्रकिया होती है। इस अध्ययन से ही पता चलता है कि उक्त प्रोजेक्ट पर आगे काम लाभकारी होगा कि नहीं।
पिछले बजट में ही गया के विष्णुपद मंदिर और बोधगया के महाबोधि मंदिर के लिए कॉरिडोर बनाने की घोषणा हुई थी। इसे काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के तर्ज पर बनाने की बात कही गई थी। लेकिन, अब तक इसके लिए बेसलाइन सर्वे तक शुरू नहीं हो पाया है। बेसलाइन सर्वे वो सर्वे होता है, जिसमें योजना जहां स्थापित की जानी है वहां की आबादी कितनी है, उक्त आबादी की सामाजिक व आर्थिक स्थिति क्या है और वहां पानी व अन्य सुविधाएं कितनी सुगमता से उपलब्ध है, इनकी विस्तृत जानकारी जुटाई जाती है।
दस्तावेज बताते हैं कि केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए राज्य सरकार से बेसलाइन सर्वे करने को कहा है। राजगीर के विकास की घोषणा भी की गई थी बजट में, लेकिन इसके लिए भी बेसलाइन सर्वे अब तक शुरू नहीं हो पाया है। राजगीर, हिन्दू, बौद्ध और जैन के लिए धार्मिक महत्व है। राजगीर में 20वें जैन तीर्थंकर मुनिसुव्रत मंदिर स्थित है और रात गर्म पानी की धाराएं धार्मिक महत्व की हैं।
नालंदा को पर्यटन का केंद्र और नालंदा विश्वविद्यालय की समृद्ध परम्परा को पुनर्जीवित करने के लिए विकास कार्य किये जाने की घोषणा भी बजट का हिस्सा थी, लेकिन इसके लिए भी अभी तक बेसलाइन सर्वे नहीं हुआ है।
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