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बिहार के गाँव-गाँव में बन रहे कचरा घरों का कितना हो रहा है इस्तेमाल?

योजना के तहत प्रत्येक परिवार को दो बाल्टियाँ दी जाती हैं - एक में जैविक (गलने योग्य) कचरा और दूसरी में अजैविक (न गलने योग्य) कचरा जमा करने के लिए। ये बाल्टियाँ परिवारों को इस उद्देश्य से दी जाती हैं कि वे कचरे को अलग-अलग रख सकें, जिससे कचरे के निपटान में आसानी हो। पंचायत स्तर पर एक सुपरवाइजर और प्रत्येक वार्ड में एक सफाई कर्मी की नियुक्ति की गई है, जो कचरे को इकट्ठा कर उसे वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुँचाते हैं।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
Published On :
garbage houses being built in every village of bihar

बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में कूड़ा-करकट के प्रबंधन के लिए लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान फेज 2 के तहत राज्य की सभी पंचायतों में वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट्स (WPU) का निर्माण किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य कचरे के उचित प्रबंधन के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देना है।


जिन पंचायतों में कचड़ा घर का निर्माण हो गया है वहां के प्रत्येक वार्ड में एक-एक सफाई कर्मी और पंचायत स्तर पर एक सुपरवायजर की नियक्ति की गई है।

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योजना के तहत प्रत्येक परिवार को दो बाल्टियाँ दी जाती हैं – एक में जैविक (गलने योग्य) कचरा और दूसरी में अजैविक (न गलने योग्य) कचरा जमा करने के लिए। ये बाल्टियाँ परिवारों को इस उद्देश्य से दी जाती हैं कि वे कचरे को अलग-अलग रख सकें, जिससे कचरे के निपटान में आसानी हो। पंचायत स्तर पर एक सुपरवाइजर और प्रत्येक वार्ड में एक सफाई कर्मी की नियुक्ति की गई है, जो कचरे को इकट्ठा कर उसे वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुँचाते हैं।


प्रत्येक घर से कचरा इकट्ठा करने के लिए वार्ड स्तर पर एक-एक ट्रॉली दी गई है, वहीं पूरे पंचायत के लिए एक ई-रिक्शा भी खरीदा गया है। सफाई कर्मियों का काम है कि वे ट्रॉली और ई-रिक्शा के माध्यम से पंचायत के प्रत्येक घर से इकट्ठा किए गए कचरे को WPU यानी वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुँचाएँ। पंचायत का सारा कचरा WPU में आ जाने के बाद, सफाई कर्मी कचरों को दोबारा अलग-अलग भागों में बाँटने का काम करते हैं।

हमने योजना की जमीनी स्थिति की जाँच के लिए किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड का दौरा किया। सबसे पहले हमने पहाड़कट्टा पंचायत के WPU का दौरा किया, जो डोंक नदी के किनारे स्थित है। इस यूनिट की स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि यह स्थान बरसात के मौसम में चारों ओर से पानी से घिर जाता है, जिससे यहाँ कचरा पहुँचाना मुश्किल हो जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि WPU बनने के बाद से यहाँ कभी भी कचरा नहीं डाला गया है।

अगले पड़ाव में, हमने बुधरा पंचायत का दौरा किया, जहाँ का वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट पोठिया के प्रखंड कार्यालय से महज 500 मीटर की दूरी पर है। फिर भी, स्थानीय निवासी बताते हैं कि यह इकाई भी कचरा प्रबंधन में निष्क्रिय है।

“करीब दो महीने पहले कचरे का डब्बा दिया गया था, लेकिन हमलोगों के घर से कचरा लेने कोई नहीं आता है। पता नहीं, यहाँ कौन कचरा गिरा कर गया है। ये घर तो हमेशा बंद ही रहता है।”

वहीं फाला पंचायत के लोग बताते हैं करीब एक साल पहले कचरा घर बनाया गया है। सिर्फ उद्घाटन के दिन इसका इस्तेमाल हुआ, उसके बाद से यहाँ ताला जड़ा हुआ है।

एक सफाई कर्मी के लिए सिर्फ 2500 रुपये प्रति माह और सुपरवायजर के लिए 5000 रुपये प्रति माह मानदेय तय है। लेकिन करीब नौ महीनों से इन्हें वेतन नहीं मिला है। फाला पंचायत की एक सफाई कर्मी पूनम कुमारी बताती हैं, 2500 का वेतन परिवार चलाने के लिए बहुत कम है। वो आगे कहती हैं, उन्हें चार घंटे सुबह-शाम काम करने को कहा गया है, लेकिन वेतन नहीं मिलने की वजह से वो सिर्फ दो घंटे ही काम करती हैं। उन्हें सफाई के लिए इस्तेमाल होने वाला झाड़ू और दूसरे सामान भी नहीं दिया गया है।

फाला पंचायत की मुखिया जामिनी देवी के पति नरेन्द्र सिंह बताते हैं ग्रामीण कचरा देने से इंकार कर देते हैं, अभी लोगों में जागरूकता की कमी है। साथ ही उन्होंने बताया कि इस काम के लिए कुल 13 वार्ड वाली उनकी पंचायत में 29 कर्मियों की बहाली हुई है।

पोठिया के पूर्व प्रमुख मो. ज़ाकिर हुसैन के अनुसार प्रखंड की कुल 22 पंचायतों में से मुश्किल से दो-चार जगह ही काम हो रहा है। भवन नज़र आता है, लेकिन काम कहीं नहीं दिखता। हुसैन आगे बताते हैं, प्रत्येक पंचायत में अभियान के लिए लाखों रुपये खर्च किये गए हैं।

लेकिन, पोठिया के बीडीओ मो. आसिफ़ का दावा है कि 22 में से 20 पंचायतों में विधिवत काम चल रहा है। दो पंचायतों में भवन निर्माणाधीन है, वहाँ भी जैसे ही भवन बनेगा काम शुरू हो जाएगा।

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Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

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