बिहार के पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में दो दशक के बाद राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव की वापसी हुई है। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर लगातार दो बार से जीत रहे जदयू के संतोष कुशवाहा को 23,847 वोटों से हराया। यहाँ राजद उम्मीदवार बीमा भारती सिर्फ 27,120 (2.27%) मत लाकर तीसरे स्थान पर चली गईं।
तीसरी बार निर्दलीय बने सांसद
बतौर निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव की ये तीसरी जीत है। 2024 के चुनाव से पहले 1991 और 1999 में पप्पू यादव निर्दलीय पूर्णिया से जीत चुके हैं।
पप्पू यादव 1991 (चुनाव आयोग द्वारा परिणाम पर रोक के बाद 1995 में आया रिजल्ट), 1996 और 1999 में पूर्णिया से चुनाव जीते थे। 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के उदय सिंह उर्फ़ पप्पू सिंह ने उन्हें 12,883 वोटों के अंतर से हराया, जिसके बाद यादव मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे।
2009 में सज़ायाफ्ता होने की वजह से पप्पू यादव चुनाव नहीं लड़ पाए, इसलिए उन्होंने अपनी माँ शांति प्रिया को पूर्णिया से चुनाव लड़वाया, लेकिन 1,86,227 वोटों से उनकी हार हुई। 2014 और 2019 का चुनाव पप्पू यादव ने मधेपुरा से लड़ा।
1970 के बाद लगातार तीसरी बार कोई नहीं जीत पाया
पूर्णिया में 1951, 1957, 1962 और 1967 का चुनाव लगातार चार बार कांग्रेस के फणी गोपाल सेन गुप्ता जीते। लेकिन उनके बाद यहाँ से कोई लगातार तीसरा चुनाव नहीं जीत पाया।
1980 और 1984 में कांग्रेस की माधुरी सिंह लगातार दो बार चुनाव जीतीं, लेकिन अगले ही चुनाव में चौथे स्थान पर चली गईं।
1991 और 1996 में पप्पू यादव पूर्णिया से जीते, लेकिन 1998 में भाजपा के जय कृष्ण मंडल ने उन्हें हरा दिया।
ठीक ऐसे ही 2004 और 2009 में भाजपा के उदय सिंह (माधुरी सिंह के बेटे) पूर्णिया के सांसद बने, लेकिन अगले चुनाव में पराजित हुए।
2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा और जदयू अलग-अलग चुनाव लड़े। अपनी पारंपरिक सीट नालंदा के अलावा नीतीश कुमार की पार्टी सिर्फ पूर्णिया ही जीत पाई। कुशवाहा समाज से आने वाले संतोष कुमार 2010 में पहली बार ही भाजपा टिकट पर विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह जदयू में शामिल हुए और विपरीत परिस्थितियों में भाजपा प्रत्याशी उदय सिंह को 1 लाख से ज़्यादा वोटों से हरा कर सांसद बने।
2019 में जदयू, भाजपा के साथ गठबंधन में था। ऐसे में जदयू के संतोष कुशवाहा का मुक़ाबला कांग्रेस के उदय सिंह से हुआ। इस बार कुशवाहा ने सिंह को 2.63 लाख से ज़्यादा वोटों से हराया।
सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त ले पाई जदयू
पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें पूर्णिया, बनमनखी, धमदाहा, रुपौली, कसबा और कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। कोढ़ा विधानसभा कटिहार ज़िले में आता है। इसी तरह पूर्णिया जिले के दो विधानसभा क्षेत्र अमौर और बायसी किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।
पूर्णिया लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों की बात करें तो 2020 के चुनावों में तीन सीट (पूर्णिया, बनमनखी और कोढ़ा) भाजपा जीती, दो (धमदाहा और रुपौली) सीट जदयू और एक सीट कसबा कांग्रेस के पास है।
2019 के लोकसभा चुनाव में सभी छह विधानसभाओं में जदयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा को सबसे अधिक वोट प्राप्त हुए थे और कांग्रेस उम्मीदवार उदय सिंह दूसरे नंबर पर रहे।
वहीं, इस बार जदयू सिर्फ अपने पारंपरिक धमदाहा और रुपौली विधानसभा क्षेत्रों में ही बढ़त ले पाया। भाजपा के कब्जे वाली तीनों विधानसभा क्षेत्रों पूर्णिया, बनमनखी और कोढ़ा में जदयू पिछड़ गया।
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2019 के चुनाव में जदयू ने कांग्रेस के मुक़ाबले धमदाहा में 58,481 वोटों की बढ़त ली थी, इस बार पप्पू के मुक़ाबले पार्टी सिर्फ 15,455 वोटों की बढ़त ही ले पाई। वहीं रुपौली में 2019 के चुनाव में जदयू ने 73,561 वोटों की बढ़त ली थी, लेकिन इस बार मार्जिन घट कर 24,674 हो गया। हालांकि यहाँ से जदयू का चेहरा रहीं बीमा भारती बगावत कर खुद राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रही थीं। भारती को रुपौली में सिर्फ 10,968 वोट मिले।
पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र से साल 2000 से भाजपा जीतती रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA ने यहाँ से 38,772 वोटों की बढ़त ली थी, लेकिन इस बार पप्पू यादव 4,391 वोटों से यहाँ आगे निकल गए।
बनमनखी विधानसभा क्षेत्र से भी 2000 से लगातार भाजपा जीत रही है। 2019 के आम चुनाव में NDA को यहाँ 56,697 वोटों की बढ़त मिली थी, लेकिन इस चुनाव में पप्पू यादव ने संतोष कुशवाहा को यहाँ 13,854 वोटों से पीछे छोड़ दिया।
कटिहार ज़िले का कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र भी अभी भाजपा के कब्जे में है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू यहाँ 29,717 वोटों से आगे था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में 9,873 वोटों से पिछड़ गया।
कसबा विधानसभा क्षेत्र से 2005 से ही कांग्रेस के आफ़ाक़ आलम जीत रहे हैं। NDA की तरफ से यहाँ भाजपा नेता प्रदीप दास भाजपा या उसके साथी दलों के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे हैं।
संतोष कुशवाहा के कैंपेन में शामिल स्थानीय युवा नेता विकास आदित्य कहते हैं, “इस बार पूर्णिया में भाजपा-आरएसएस ने सहयोग नहीं किया, इसलिए जदयू अपने विधानसभा क्षेत्रों में तो जीत गयी, लेकिन, भाजपा के विधानसभा क्षेत्रों में जाकर चुनाव हार गयी। भाजपा के नेता ऊपर-ऊपर से साथ रहे, लेकिन, बूथ स्तर पर उन्होंने काम नहीं किया।”
आदित्य आगे कहते हैं, “सीमांचल के चार सीटों में तीन पर जदयू का प्रत्याशी था, एक भाजपा लड़ी। जदयू के तीनों प्रत्याशी हार गए और भाजपा का एकलौता उम्मीदवार जीत गया। इसी से खेल साफ़ समझ आता है।”
2.29% कम हुआ मतदान
पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में मतदान 65.37% से गिर कर इस बार 63.08% पर आ गया। मतदान में करीब 2.29% गिरावट का मतलब है, लगभग 43,366 वोट इस बार कम पड़े और पूर्णिया में पप्पू यादव की जीत का मार्जिन सिर्फ 23,847 वोट है।
एक जदयू नेता ने बताया, “400 पार का नारा हमारे लिए उल्टा पड़ गया। भाजपा के वोटरों में ये संदेश चला गया कि मोदी जी 400 जीत ही रहे हैं, एक पूर्णिया हार जाएंगे तो क्या ही फर्क पड़ेगा। इसलिए भाजपा के वोटरों ने यहाँ 399 का मन बना लिया। 400 पार के ओवर-कॉन्फिडेंस में भाजपा के कई वोटर घरों से भी नहीं निकले। वोट में जो गिरावट आई, उसका 80 फीसद वोट हमारा था, इसलिए हमें नुकसान हो गया”
वो आगे कहते हैं, “भाजपा के नेता चाहते थे कि जब तक जदयू का प्रत्याशी यहां से हारेगा नहीं तब तक भाजपा के प्रत्याशी को वापस मौका नहीं मिलेगा। क्यूंकि पहले यहाँ से भाजपा ही चुनाव लड़ती रही।”
चुनाव के दौरान ‘मैं मीडिया’ के पब्लिक ओपिनियन में भी पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के कई वोटर ने कहा था, “केंद्र में मोदी, पूर्णिया में पप्पू।” यहाँ तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में भी बड़े संख्या ऐसे भाजपा समर्थक आये थे, जो खुलेआम मीडिया के सामने पप्पू यादव को वोट करने की बात कर रहे थे।
सांसद के खिलाफ नाराज़गी
पूर्णिया में संतोष कुशवाहा की हार का मार्जिन और NOTA को पड़े वोट लगभग बराबर हैं। जदयू यहाँ 23,847 वोट से हारी है और NOTA को 23,834 वोट मिले हैं। इसमें ज़्यादातर ऐसे वोटर हैं जो NDA के उम्मीदवार से नाराज़ थे, लेकिन निर्दलीय पप्पू यादव या राजद की बीमा भारती को भी वोट नहीं करना चाहते हैं। ऐसे में उन्होंने NOTA का बटन दबा कर अपनी नाराज़गी का इज़हार किया।
विधानसभा क्षेत्र | पप्पू / कांग्रेस | जदयू | राजद | |
रुपौली | 2024 | 72,795 | 97,469 | 10,968 |
2019 | 44,242 | 1,17,803 | ||
कसबा | 2024 | 113,367 | 77,802 | 1,839 |
2019 | 83,200 | 89,129 | ||
बनमनखी | 2024 | 93,554 | 79,700 | 4,813 |
2019 | 48,911 | 1,05,608 | ||
पूर्णिया | 2024 | 99,607 | 95,216 | 2,385 |
2019 | 66,519 | 1,05,291 | ||
धमदाहा | 2024 | 88,021 | 103,476 | 4,067 |
2019 | 58,836 | 1,17,317 | ||
कोढ़ा | 2024 | 99,523 | 89,650 | 2,945 |
2019 | 67,570 | 97,287 | ||
पोस्टल वोट | 2024 | 689 | 396 | 103 |
2019 | 185 | 489 |
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