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लोकसभा चुनाव 2024: किशनगंज में कैसे कांग्रेस ने फिर एक बार जदयू व AIMIM को दी पटखनी?

किशनगंज सीट पर अबतक कांग्रेस 10 बार जीतने में कामयाब रही है। पिछले चार लोकसभा चुनावों के अलावा कांग्रेस ने 1957, 1962, 1971, 1980, 1984 और 1989 में यहां से जीत दर्ज की है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यह सीट कांग्रेस का गढ़ है, और अब तक पार्टी इस सीट पर काफी मजबूत स्थिति में रही है।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
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how did congress once again defeat jdu and aimim in kishanganj loksabha

बिहार के किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस की ये लगातार चौथी जीत है। 2009 में कांग्रेस के मौलाना असरारुल हक़ क़ासमी ने राजद के मोहम्मद तस्लीमुद्दीन से ये सीट छिनी थी। 2014 में दोबारा क़ासमी यहाँ से जीते। उनके देहांत के बाद कांग्रेस के डॉ. मोहम्मद जावेद को पार्टी ने किशनगंज लोकसभा क्षेत्र की कमान सौंपी। 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस, जदयू और AIMIM के बीच हुए त्रिकोणीय मुक़ाबले में दोनों बार जावेद जीतने में सफल रहे।


किशनगंज सीट पर अबतक कांग्रेस 10 बार जीतने में कामयाब रही है। पिछले चार लोकसभा चुनावों के अलावा कांग्रेस ने 1957, 1962, 1971, 1980, 1984 और 1989 में यहां से जीत दर्ज की है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यह सीट कांग्रेस का गढ़ है, और अब तक पार्टी इस सीट पर काफी मजबूत स्थिति में रही है।

किशनगंज लोकसभा सीट पर हमेशा से मुस्लिम सांसदों का कब्जा रहा है। सिर्फ एक बार ऐसा मौका आया जब किसी गैर-मुस्लिम उम्मीदवार ने यहां से जीतने में सफलता प्राप्त की। 1967 के लोकसभा चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे लखन लाल कपूर यहां से सांसद बने।


कांग्रेस व AIMIM का वोट शेयर बढ़ा

2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. मोहम्मद जावेद ने जदयू के मास्टर मुजाहिद आलम को 59,692 वोटों से हराया। AIMIM के अख्तरुल ईमान 3,09,264 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस को 4,02,850 और जदयू को 3,43,158 वोट प्राप्त हुए।

2019 के मुक़ाबले कांग्रेस का वोट शेयर 33.32% से बढ़ कर इस बार 35% हो गया है। जदयू के महमूद अशरफ को 2019 में 30.19% वोट मिले थे, वहीं इस बार मुजाहिद को 29.81% वोट ही मिले हैं। AIMIM के अख्तरुल ईमान का वोट शेयर 26.78% से थोड़ा बढ़ कर 26.87% हुआ है।

पार्टी कांग्रेस जदयू AIMIM
2019 33.32% 30.19% 26.78%
2024 35% 29.81% 26.87%
बदलाव 1.68% (+) 0.38% (-) 0.09% (+)

अमौर-बायसी में कांग्रेस की लहर

तीनों पार्टियों के वोट शेयर के अलावा 2019 और 2024 के चुनाव परिणामों में कई और समानताएं हैं। 2019 की तरह इस बार भी किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 3 विधानसभा क्षेत्र किशनगंज, अमौर तथा बायसी में ही कांग्रेस उम्मीदवार मो. जावेद को सबसे अधिक वोट मिले। वहीं, बहादुरगंज तथा कोचाधामन में AIMIM उम्मीदवार अख़्तरुल ईमान और ठाकुरगंज में जदयू प्रत्याशी को सबसे ज्यादा वोट हासिल हुए।

हालांकि ,जदयू के मुक़ाबले कांग्रेस का मार्जिन बायसी और किशनगंज विधानसभा क्षेत्रों में बढ़ा है। 2019 में कांग्रेस को बायसी विधानसभा में जदयू से 12,682 वोट ज़्यादा मिले थे, इस बार कांग्रेस ने 28,615 वोटों की बढ़त ली है। इसकी एक वजह ये है कि 2019 में जदयू के प्रत्याशी महमूद अशरफ बायसी विधानसभा क्षेत्र के ही निवासी थे।

अमौर में AIMIM के मुक़ाबले कांग्रेस का मार्जिन लगभग 2019 जैसा ही रहा है। अमौर विधानसभा क्षेत्र में पिछली बार कांग्रेस को AIMIM से 21,885 वोट ज़्यादा मिले थे, इस बार जावेद ने 21,737 वोटों की बढ़त ली है।

किशनगंज विधानसभा डॉ. जावेद का गृह क्षेत्र है। यहां कांग्रेस का वोट 68,875 से बढ़ कर इस बार 82,218 हो गया। यहाँ जदयू का वोट 1,778 बढ़ा है, लेकिन AIMIM को 2,477 वोटों का नुकसान हुआ है।

कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र, जो ईमान और मुजाहिद का गृह क्षेत्र है, वहां भी AIMIM को 2,749 वोटों का नुकसान हुआ है, जबकि जदयू को 2019 के मुक़ाबले इस बार 11,986 वोट ज़्यादा मिले। कांग्रेस को भी 3,096 वोटों का फायदा हुआ है।

बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र में भी AIMIM को 4,035 वोट कम मिले। वहीं जदयू का वोट 4,269 और कांग्रेस का 8,945 बढ़ा है।

वहीं ठाकुरगंज में इस बार ज़्यादा पोलिंग हुई और तीनों ही पार्टियों के वोट बढ़े, लेकिन जदयू और कांग्रेस के बीच 2019 की तरह 2024 में भी 2026 वोटों का फासला रहा।

विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस जदयू AIMIM
बहादुरगंज 2024 53,437 56,755 63,590
2019 44,492 52,486 67,625
ठाकुरगंज 2024 71,618 73,644 49,557
2019 69,283 71,309 37,706
किशनगंज 2024 82,218 62,610 38,139
2019 68,875 60,832 40,616
कोचाधामन 2024 40,080 50,707 65,493
2019 36,984 38,721 68,242
अमौर 2024 74,938 47,515 53,201
2019 73,269 47,742 51,384
बायसी 2024 80,179 51,564 39,031
2019 73,917 61,235 29,286
पोस्टल वोट 2024 380 363 253
2019 197 226 170
किशनगंज जिला 2024 247,353 243,716 216,770
2019 219,634 223,348 214,189
पूर्णिया जिला 2024 155,117 99,079 92,232
2019 147,186 108,977 80,670

किशनगंज बनाम पूर्णिया

किशनगंज जिले के अंतर्गत आने वाले चार विधानसभा क्षेत्र कोचाधामन, बहादुरगंज, ठाकुरगंज और किशनगंज सदर को देखें तो 2019 में जदयू 2,23,348 वोटों के साथ सबसे आगे था। दूसरे स्थान पर 2,19,634 वोटों के साथ कांग्रेस थी। AIMIM को 2,14,189 वोट मिले थे।

वहीं, इस आम चुनाव में किशनगंज ज़िले में भी कांग्रेस ने 2,47,353 वोटों के साथ बढ़त ली, 2,43,716 वोटों के साथ जदयू दूसरे और 2,16,770 के साथ AIMIM तीसरे स्थान पर रहा।

पूर्णिया जिले के अंतर्गत आने वाले अमौर और बायसी विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस का वोट 1,47,186 से बढ़कर 1,55,117 और AIMIM का वोट 80,670 से 92,232 हो गया। जदयू को 2019 में यहां 1,08,977 वोट मिले थे, लेकिन इस बार 99,079 वोट ही मिल पाए।

भाजपा नेताओं ने दिया कांग्रेस का साथ?

जदयू के कई नेताओं ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, भाजपा के कई नेताओं ने मुजाहिद को हराने के लिए प्रचार किया। इस वजह से कम से 25% पारंपरिक भाजपा वोटरों ने कांग्रेस को वोट किया। कई ऐसे बूथ, जहाँ भाजपा के वोट ज़्यादा हैं, वहाँ वोटिंग परसेंटेज भी कम रहा।

जदयू के एक मुस्लिम नेता कहते हैं, “AMU किशनगंज और अल्पसंख्यक से जुड़े कई मामले में मुजाहिद आलम के सख्त स्टैंड की वजह से भाजपा के नेता उन्हें पसंद नहीं करते हैं। इसलिए एक गलत नैरेटिव सेट किया गया कि मुजाहिद हार्डलाइनर है। बाज़ारों में ये भी बात फैलाई गई कि ये जीत गया तो व्यापारी वर्ग को परेशान करेगा।”

वह आगे कहते हैं, “इन नेताओं ने किशनगंज शहर के साथ-साथ आसपास की पंचायतों में भी प्रभाव डाला और कांग्रेस के पक्ष में वोट ट्रांसफर करवाया। हालांकि दूर के ग्रामीण इलाकों जैसे टेढ़ागाछ, दिघलबैंक आदि में भाजपा के वोट जदयू को ही मिले।”

वहीं AIMIM के एक नेता कहते हैं, “मुस्लिम मतदाताओं में NDA के जीतने का डर और गैर-मुस्लिम मतदाताओं में AIMIM के जीतने का डर फैला कर उन्हें कांग्रेस के पीछे गोलबंद किया गया।”

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उक्त नेता आगे कहते हैं, “हमारे विधायकों के छोड़ कर जाने से भी नुकसान हुआ। उन विधायकों पर AIMIM को हराने का दबाव था, ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव में उन्हें कड़ा मुक़ाबला न मिले।”

हैदराबाद में ओवैसी की कांग्रेस से दोस्ती

किशनगंज में 2019 के मुक़ाबले इस बार AIMIM के कार्यकर्ता सुस्त दिखे। कई जानकार इसकी प्रमुख वजह AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी की हैदराबाद में कांग्रेस से बढ़ती नज़दीकियों को मानते हैं।

तेलंगाना में AIMIM सिर्फ हैदराबाद लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ी। आसपास की सीटों पर AIMIM ने खुल कर कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र में ओवैसी के खिलाफ कांग्रेस ने मजबूती से चुनाव नहीं लड़ा।

पार्टी के कई कार्यकर्ता ये भी मानते हैं कि AIMIM के पास इस बार फंड की भी भारी कमी रही, जिसका असर चुनाव प्रचार पर पड़ा।

परिणाम के बाद हार की वजह बताते हुए AIMIM प्रत्याशी अख्तरुल ईमान ने कहा था, “सबसे बड़ी कमी रही कि माली इतबार से हमलोग उतने मजबूत नहीं हैं। इलेक्शन में एक चीज़ है दलाल मैनेजमेन्ट, वो हमलोग नहीं कर पा रहे हैं।”

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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