“मैं डॉगेश बाबू, पिता-डॉगेश के पापा, माता-डॉगेश की मम्मी, ग्राम/मोहल्ला – खरौंध, वार्ड – 11, डाकघर – शेरपुर, थाना- सिरदला, जिला- नवादा बिहार का निवासी हूं. मैं ये प्रमाणित करता/करती हूं कि मेरे द्वारा दी गई उपरोक्त जानकारी मेरे ज्ञान और विश्वास के अनुसार सत्य है।”
निवास प्रमाण पत्र के लिए 29 जुलाई को आवेदन के तौर पर जमा किये गये फॉर्म-XII के स्वयं शपथ पत्र में डॉगेश बाबू ने उक्त शपथ दी थी। लेकिन, अब शायद डॉगेश बाबू का आवास प्रमाण पत्र नहीं बन पायेगा क्योंकि उक्त फॉर्म में पासपोर्ट साइज के फोटो के स्थान पर जो तस्वीर लगाई गई है, वह साइबेरियन हस्की प्रजाति के एक कुत्ते की है, जो पूर्वोत्तर एशिया में पाया जाता है।
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नहीं, आवेदन के खारिज होने की वजह आवेदक डॉगेश बाबू का साइबेरियन हस्की प्रजाति का होना नहीं है, वजह ये है कि किसी ने शरारत के तहत कुत्ते के नाम से आवेदन कर दिया है।
नवादा जिला, जहां ये आवेदन ऑनलाइन डाला गया है, के जिला मजिस्ट्रेट रवि प्रकाश ने उक्त आवेदन को अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए मजाकिया लहजे में लिखा – कॉपी कैट (नकलची)… या यूं कहें कि कॉपी डॉग, सिरदला, रजौली से निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने की कोशिश में पकड़ा गया। घटिया हास्य-व्यंग्य के लिए एफआईआर दर्ज की जा रही है।”
नवादा के मामले में संयोग से आवेदन करने की प्रक्रिया के दौरान ही इस घटिया मजाक का पर्दाफाश कर दिया गया, लेकिन इससे पहले के कई मामलों में सरकारी बाबुओं के नाक के नीचे से कुत्ते, बिल्लियों के नाम पर निवास प्रमाण पत्र जारी कर दिये गये, जिसने बिहार के सरकारी दफ्तरों की लापरवाही को उजागर कर दिया और राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का पर्याप्त मजाक उड़ाया गया।
पहला मामला
कुत्ते के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी होने का पहला मामला जुलाई के चौथे हफ्ते में सामने आया, जब सोशल मीडिया पर कुत्ते की तस्वीर लगा हुआ आवासीय प्रमाण पत्र घूमने लगा। यह प्रमाण पत्र 24 जुलाई को निर्गत हुआ था और आवेदन का नाम डॉग बाबू था। आवासीय प्रमाण पत्र पटना के मसौढ़ी के पते पर जारी हुआ था। हालांकि उक्त आवासीय प्रमाण पत्र पर रेवेन्यू अफसर के हस्ताक्षर नहीं थे।
गौरतलब हो कि बिहार में फिलहाल मतदाता सूची में रिविजन का काम चल रहा है। इस रिविजन में वर्ष 2003 के बाद की मतदाता सूची में शामिल मतदाताओं को अपनी नागरिकता की पहचान के लिए जन्म तिथि और जन्म स्थान से जुड़े दस्तावेज देने हैं। वांछित दस्तावेजों में 11 तरह के दस्तावेज शामिल हैं, जिनमें निवास प्रमाण पत्र भी एक है।
सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने उक्त प्रमाण पत्र की प्रति अपने सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक पर डालते हुए लिखा – बिहार में 24 जुलाई को एक कुत्ते ने निवास प्रमाण पत्र बना लिया। यह वही प्रमाणपत्र है जिसे बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में मान्य किया जा रहा है, जबकि आधार और राशन कार्ड को फर्जी बताया जा रहा है। आप खुद फोटो और नाम जांच लीजिए।
उन्होंने आगे लिखा, “परेशान ना हों: सरकार ने इस मामले में कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है! चुनाव आयोग के जवाब की प्रतीक्षा है।”
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता व नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी उक्त निवास प्रमाण पत्र को अपने सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक पर पोस्ट किया।
देखते ही देखते ये प्रमाणपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, तो आनन-फानन में पटना जिला प्रशासन की तरफ से थाने में इसकी शिकायत दर्ज करा दी गई और साथ ही उक्त निवास प्रमाण पत्र को भी रद्द कर दिया गया है।
इस बीच, मोतिहारी में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें निवास प्रमाण पत्र के लिए सोनालिका ट्रैक्टर के नाम से आवेदन किया गया है। ये आवेदन ऑनलाइन किया गया था और जब ये आवेदन आगे बढ़ा, तो सीओ ने इसकी शिनाख्त करते हुए अपने स्तर से जांच की। सीओ मोनिका आनंद ने बताया कि आवेदन के सामने आते ही उसे रिजेक्ट कर दिया गया है और आरटीपीसी कर्मचारी से फर्जी आवेदन करने वाले के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने को कहा गया है।
किस स्तर पर हो रही गलतियां
उल्लेखनीय हो कि फिलहाल निवास प्रमाण पत्र से लेकर तमाम तरह के दस्तावेजों के लिए ऑनलाइन आवेदन लिये जा रहे हैं और अन्य सारी प्रक्रियाएं भी ऑनलाइन हो रही हैं। ऐसे में किसी भी नाम से आवेदन भर कर ऑनलाइन जमा कर देना आसान है क्योंकि ऑनलाइन आवेदन जमा करने पर किसी तरह की जांच-परख नहीं होती है।
इसके बाद की प्रक्रिया भी ऑनलाइन ही होती है, लेकिन इन प्रक्रियाओं पर अधिकारियों की नजर होती है, ऐसे में अगर कुत्ते की तस्वीर वाला या कुत्ता नाम वाला निवास प्रमाण पत्र जारी हो रहा है, तो निश्चित तौर पर इसमें अधिकारियों की लापरवाही उजागर होती है।
निवास प्रमाण पत्र जारी होने की प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “आवेदन ऑनलाइन जमा करने के बाद वह आवेदन रेवेन्यू अफसर या सर्किल अफसर के पास आता है। ये अफसर आवेदन का नाम वगैरह देखता है और उस पर डिजिटल हस्ताक्षर कर देता है, जिसे आवेदक को हस्तातरित कर दिया जाता है।”
“अगर कुत्ते के नाम पर निवास प्रमाण पत्र जारी हो गया है, तो इसका सीधा मतलब है कि या तो सीओ ने आवेदन और प्रमाण पत्र देखा ही नहीं और देखा भी तो इसे फर्जी करार देने की जगह पास कर दिया,” उक्त अधिकारी ने कहा।
यहां यह भी बताते चलें कि विभिन्न विभागों में दस्तावेजीकरण ऑनलाइन होने के कारण कम्प्यूटर पर डाटा इंट्री करने के लिए बड़ी संख्या में डेटा इंट्री ऑपरेटरों की नियुक्ति हुई है। ये डेटा ऑपरेटर मुख्य तौर पर ठेके पर काम करते हैं। इन्हें कार्यपालक सहायक कहा जाता है। सूत्रों का कहना है कि ऊपर के अधिकारी कई बार बिना दस्तावेज देखे कार्यपालक सहायक से डिजिटल हस्ताक्षर कर प्रमाण पत्र निर्गत करने को कह देते हैं और कार्यपालक सहायक भी आदेश का पालन करते हुए ऐसा कर देता है, जिस वजह से ऐसी गलतियां हो जाती हैं।
मसौढ़ी से डॉग बाबू के नाम से जारी निवास प्रमाण पत्र की जांच में इसी कार्यपालक सहायक की भूमिका सामने आई है।
अब तक की जांच में पता चला है कि निवास प्रमाण पत्र निर्गत करने संबंधी कार्य में लगे कार्यपालक सहायक मिंटू कुमार निराला ने अपने स्तर से उक्त प्रमाण पत्र पर कुत्ते की तस्वीर लगा दी थी।
बताया जा रहा है कि आवेदन आने के बाद निवास प्रमाण पत्र बनाया गया, तो सबसे पहले मिंटू कुमार निराला ने इसे एक्सेस किया था और उन्होंने ही कथित तौर पर तस्वीर बदल दी थी। इस मामले में मिंटू कुमार निराला समेत तीन कर्मचारियों को निलंबित कर जांच शुरू की गई है। हालांकि, प्रशासन की तरफ से ये नहीं बताया गया कि क्या तस्वीर के अलावा नाम वगैरह किसने बदला।
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