अल्पसंख्यक विभाग द्वारा छात्रों के लिए अररिया जिले में बनाए गए छात्रावासों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। इन छात्रावासों की देखरेख नहीं हो रही है जिससे ये भवन खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं। दरअसल सरकार का उद्देश्य था कि अल्पसंख्यक बहुल जिलों में एमएसडीपी योजना से छात्रों के लिए हॉस्टल बनाया जाए ताकि इनका उपयोग ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले छात्र कर पाएं और शहर में रहकर अच्छी पढ़ाई करें।
इसी उद्देश्य से जिला मुख्यालय स्थित गर्ल्स हाई स्कूल के कैंपस में छात्राओं के लिए सन 2010 में एक छात्रावास बनाया गया था। इसका उपयोग आज तक नहीं हो पाया है। देखरेख के अभाव में यह भवन जर्जर स्थिति में पड़ा हुआ है।
Also Read Story
उसी तरह से आजाद एकेडमी स्कूल कैंपस में भी सन 2011 में अल्पसंख्यक छात्रावास बनाया गया था जिसका उपयोग आज तक नहीं हो पाया है। यह भवन भी अब जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़ा हुआ है। शहर के वार्ड नंबर 26 सदर अस्पताल के पास भी करोड़ों की लागत से एक अल्पसंख्यक छात्रावास बनाया गया था जो आज खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। इसके बनने के बाद से आज तक किसी छात्र को इसका लाभ नहीं मिल पाया है। इसे विभाग की उदासीनता या जिला प्रशासन की लापरवाही बताई जा सकती है।
भवन बना, पर पानी, शौचालय की व्यवस्था नहीं
गर्ल्स हाई स्कूल के प्रधानाचार्य डॉक्टर फरहत आरा से हॉस्टल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सरकार ने 2010 में इस हॉस्टल का निर्माण गर्ल्स स्कूल कैंपस में कराया था। हॉस्टल में 9 कमरे बनाए गए। बाउंड्री वाल दिए गए। लेकिन इसमें ना तो शौचालय बनाया गया और ना ही बिजली पानी की ही व्यवस्था की गई, इसलिए यह भवन यूं ही बेकार पड़ा हुआ है।

उन्होंने बताया, “पहले स्कूल कैंपस की दीवार नहीं थी, तो यह भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया था। साल 2016 में जब मैंने प्रधानाचार्य के रूप में गर्ल्स स्कूल में पदभार ग्रहण किया, तो इस भवन की पूरी जानकारी ली और प्रशासनिक आला अधिकारियों को इसके बारे में बताया। कई बार पदाधिकारी आए निरीक्षण किए और चले गए। हाल यह है कि आज भी यह भवन बिना किसी उपयोग के यूं ही पड़ा हुआ है।” उन्होंने बताया कि जब कभी हमारे सेंटर पर परीक्षा होती है, छात्रों की संख्या अधिक हो जाने पर इस भवन की साफ सफाई कराकर वहां परीक्षा दिलाने का काम किया जाता है। लेकिन, छात्रावास के रूप में इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि उनके विद्यालय में 14 सौ छात्राएं पढ़ती हैं। इनमें कई ऐसी छात्राएं हैं जो ग्रामीण इलाके से रोजाना आवाजाही करती हैं। अगर यह हॉस्टल चालू स्थिति में होता, तो इन छात्राओं फायदा मिलता।
साल 2011 में हुआ था निर्माण
अल्पसंख्यकों के विद्यालय आजाद एकेडमी स्कूल के प्रधानाचार्य अब्दुल मन्नान ने बताया कि इस भवन का निर्माण 2011 में करवाया गया था। तत्कालीन विधायक मोईदुर रहमान, जो इस स्कूल के अध्यक्ष भी थे, की सहमति से यह भवन बनाया गया था। लेकिन आज तक यह भवन जस का तस पड़ा है।

इस भवन में कई कमियां हैं जिनके कारण यह भवन छात्रों के काम नहीं आ सका। अगर यह भवन चालू होता, तो ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को यहां रहकर पढ़ाई करने में काफी सुविधा होती। इसके चालू नहीं रहने से कई छात्र जो थोड़े संपन्न हैं, वे पैसे खर्च कर निजी हॉस्टलों में या मकान किराए पर लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारा इलाका गरीब इलाका है, यहां के छात्र आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उनके लिए यह हॉस्टल काफी लाभकारी होता।”
कोर्ट में है छात्रावास का मामला
सदर अस्पताल के नजदीक वार्ड नंबर 26 में वर्षों से बनकर खड़ा अल्पसंख्यक छात्रावास खुलने की आस में अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। जमीन विवाद के कारण इसपर ग्रहण लगा हुआ है।

अररिया अल्पसंख्यक बहुल ज़िले में शुमार है और गरीबी के कारण यहाँ के ज्यादातर बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं। इसे देखते हुए सरकार ने साल 2000 में लगभग एक करोड़ की लागत से शहर के वार्ड नंबर 26 में यह छात्रावास बनवाया था ताकि ग्रमीण इलाकों के अल्पसंख्यक छात्रों को यहाँ रहकर पढाई करने में सुविधा हो। उसके बाद से इसे कई बार खुलवाने की कोशिश की गई मगर सफलता नहीं मिली। ज्यादा दिनों तक बंद रहने के कारण इसमें टूट-फूट भी हुई, तो मरम्मत करना पड़ा।
स्थानीय पूर्व वार्ड पार्षद महताब आलम बताते हैं कि इस हॉस्टल की यहाँ बहुत आवश्यकता है। अब तो ये खंडहर बनता जा रहा है और आसपास लोगों ने अतिक्रमण भी कर रखा है। माइनॉरिटी कमेटी के पूर्व सदस्य सेवानिवृत्त शिक्षक मो.मोहसिन ने बताया कि इस भवन का मामला कोर्ट में लंबित होने के कारण अब इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। दरअसल जिस भूमि पर इसका निर्माण हुआ है उसपर किसी ने अपना दावा कर रखा है कि यह जमीन उनकी है। इस कारण यह मामला कोर्ट चला गया। लेकिन यहाँ सवाल यह उठता है कि इतने बड़े निर्माण को कराने के पहले जिला प्रशासन ने क्यों नहीं जमीन को अपने नाम करवाया था। अगर विवाद है तो इस जमीन का मुआवजा भी तो दिया जा सकता है। इस अल्पसंख्यक छात्रावास का नहीं खुलना सरकारी राशि की बर्बादी के साथ प्रशासनिक उदासीनता को भी दर्शाता है।

विधानसभा में भी उठाया गया है अल्पसंख्यक छात्रावास का मुद्दा
आज़ाद एकेडमी स्कूल के अध्यक्ष सह अररिया विधायक अबिदुर रहमान ने बताया कि सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए जो वादा किया था, उसपर वो खरा नहीं उतर पाई है। इसलिए आजतक इन अल्पसंख्यक छात्रावासों की स्थिति खराब है। विधायक ने कहा, “इसको लेकर मैंने हाल ही में विधानसभा में भी प्रश्न उठाया था। अल्पसंख्यकों से जो सरकार ने वादा किया था, वह पूरा नहीं कर रही है।” उन्होंने बताया कि छात्रावास संबंधी मामले के साथ मैंने छात्रों को बाहर रहकर पढ़ाई करने में सरकार द्वारा सहयोग किए जाने का मामला भी उठाया था। उन्होंने साथ ही यह भी बताया कि अल्पसंख्यकों के और भी कई मामले हैं, लेकिन आज तक सरकार इस पर गंभीर नहीं दिखी है।

उन्होंने कहा, शहर मुख्यालय में जो छात्रावास बनाए गए हैं, वे आज नहीं खुले और अब वे खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। विभाग के साथ सरकार को भी चाहिए कि इन हॉस्टलों को फिर से दुरुस्त करे ताकि यहां के गरीब छात्रों को इसका लाभ मिल सके, वरना आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
Purnea Airport: किसानो ने कहा – जान दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं
क्या अग्निपथ प्रदर्शन में जलाया गया बुलडोज़र?
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।
