गत 23 सितंबर को देश के गृह मंत्री अमित शाह पूर्णिया आए थे। यहां उन्होंने ‘जन भावना रैली’ को संबोधित किया। गृह मंत्री ने ‘पूरण देवी मंदिर’ की ‘मां पूरण देवी’ को श्रद्धा के साथ प्रणाम कर अपने संबोधन की शुरुआत की थी। इसके बाद से इस मंदिर के चर्चे बढ़ गए हैं।
पूरण देवी मंदिर, पूर्णिया जिला मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर चिमनी बाज़ार मार्ग (पूर्णिया सिटी) में है।
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पूर्णिया-कसबा स्टेट हाई-वे के नाका चौक के पास से पश्चिम की ओर चिमनी बाज़ार मार्ग निकलता है। नाका चौक (पूर्णिया सिटी) से मात्र 1 किलोमीटर दूरी पर यह मंदिर स्थित है। मंदिर के प्रांगण में एक तालाब भी है जिसका जीर्णोद्धार करवाया जा रहा है।
विभिन्न पर्व-त्योहारों के साथ-साथ नववर्ष जैसे मौकों पर हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। मंदिर के पुजारी के अनुसार पूर्णिया जिले का नाम पूरण देवी के नाम पर ही पड़ा है। यहां दुर्गा के दसों बहनों की पूजा होती है। मगर एक अन्य मान्यता के अनुसार पूर्णिया के जंगल से आच्छादित होने की वजह से इसका नाम पूर्णिया(पूर्ण अरण्य) पड़ा।
किवदंती के अनुसार, यह मंदिर 500-600 साल पुराना है। वर्तमान में मंदिर के पुजारी परमानंद मिश्र के अनुसार करीब पांच शताब्दी पहले, शौकत अली नाम का एक नवाब था।
नवाब होने के नाते उसके पास बहुत जमीन थी। यह क्षेत्र आलमगंज के नाम से जाना जाता था। इसी क्षेत्र में हाथीनाथ नाम का एक संत भी था। इसी संत ने इस पूरण देवी मंदिर की स्थापना की थी। एक बार संत तालाब में स्नान कर रहे थे। उसी समय एक व्यक्ति एक हाथी को उस स्थान पर ले आया। उसने बड़े घमंड के लहजे में संत से हाथी के लिए रास्ता बनाने को कहा। संत ने कहा कि हाथी को प्रतीक्षा करनी चाहिए। उस आदमी ने कहा कि हाथी नवाब का है और हाथी को पानी में ले गया। संत ने बहुत क्रोधित होकर उसके दाँत तोड़ दिए। हाथी की मौत हो गई, जबकि वह आदमी मौके से फरार हो गया। तब से, दांतों को मंदिर के कमरे में बहुत सावधानी से संरक्षित किया गया है। मान्यताओं के अनुसार हाथीनाथ को ही मंदिर स्थापना का स्वप्न आया था।
हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल है पूरण देवी मंदिर
इस घटना के बाद नवाब शौकत अली ने मंदिर के लिए अपनी जमीन का बड़ा हिस्सा दान कर दिया। परमानंद मिश्र बताते हैं कि इस मंदिर की जमीन जिले के विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई है। यहां तक कि पड़ोसी जिले अररिया में भी मंदिर की जमीन है। मगर बाद में बनने वाले महंतों ने धीरे-धीरे पूरी जमीन बेच दी। अब मंदिर के पास अत्यंत कम जमीन बची हुई है।
उन्होंने बताया कि महंत प्रथा खत्म होने के बाद एक ट्रस्ट समिति द्वारा मंदिर का संचालन किया जाता है। इसमें कई सरकारी पदाधिकारी भी सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि इस मंदिर की जमीन सिकटी, मदनपुर, बागनगर, बरदाहा, कुंआरी सहित कई अन्य जगहों पर है।
मंदिर के पुजारी परमानंद मिश्र के अनुसार मंदिर के अंतिम महंत ने परंपरा के विपरीत जाकर शादी कर ली तथा मंदिर की जमीन को बेचना शुरू किया। इसके विरुद्ध कोर्ट जाया गया। इसमें मंदिर की 56 बीघा 8 कट्ठा 8 धुर जमीन को बचाया जा सका।
यह जमीन मां पूरण देवी के नाम पर है। इसमें 20 बीघा में मंदिर का कंपाउंड है। बाकी की जमीन पर खेती होती है। मंदिर के जीर्णोद्धार पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे मंदिर पर आस्था रखने वालों ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
पूर्णिया निवासी रत्नेश बताते हैं, “पूरण देवी मंदिर जिले की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। इस मंदिर से जिले तथा आसपास के जिलों के लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। वे यहां आकर मन्नतें मांगते हैं और उनकी मन्नतें पूरी भी होती हैं। कई मौकों पर तो मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है।”
उन्होंने आगे बताया, “पहले पूर्णिया सिटी का क्षेत्र ही मुख्य पूर्णिया था। उस समय पीसी लाल यहां के राजा थे। उनके समय में हर धर्म के धर्म स्थल बनाए गए। मगर पूरण देवी मंदिर सबसे पुराना तथा शहर का मुख्य पर्यटक स्थल भी है। उनके कैम्पस में धर्मशाला बनी हुई है तथा मंदिर के पीछे तालाब है। इस कारण यहां लोग शादी-ब्याह से लेकर पिकनिक तक मनाने जाते हैं।”
इस दृष्टि से देखें, तो पूरण देवी मंदिर का पूर्णिया जिले के लिए विशेष महत्व है। स्थानीय इसे पौराणिकता से जोड़कर देखते हैं। रत्नेश हालांकि मंदिर के राजनीतिकरण के सवालों से बचते नजर आए। मगर, अमित शाह द्वारा अपने भाषण में मंदिर के जिक्र पर उन्होंने कहा कि, “रैली में हिन्दू जनता के उपस्थित होने के नाते अमित शाह द्वारा मंदिर का जिक्र आम बात है। इसे हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण से जोड़कर देखना गलत होगा।’
हिन्दू-मुस्लिम मामले से नहीं है इंकार
शहर के सामाजिक कार्यकर्ता एसएम झा इसे हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण से जोड़कर देखते हैं। उनके मुताबिक, पूर्णिया तथा किशनगंज में अमित शाह द्वारा मंदिर का जिक्र और दर्शन राजनीतिक कदम है। वह कहते हैं, “अमित शाह द्वारा अपने भाषण में पूरण देवी का जिक्र पूरी तरह हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति के तहत है। ऐसे समय में उन्हें बेरोजगारी और महंगाई पर बोलना चाहिए। मगर, वह मंदिर पर बात कर रहे हैं।”
एसएम झा ने कहा, “भाजपा केवल ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है। इससे पहले उस समय के मंत्री शाहनवाज हुसैन तथा कृष्ण कुमार ऋषि ने पूरण देवी में 100 करोड़ की लागत से कॉरिडोर बनाने की बात कही थी, लेकिन वह काम आज तक ना हो पाया। काम के नाम पर मंदिर के प्रांगण में थोड़ा-बहुत निर्माण भर हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्री उसी मंदिर की बात कर रहे हैं। इससे साफ है कि उनका मकसद सिर्फ मंदिर-मस्जिद और हिन्दू-मुस्लिम है।”
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