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बिहार में उग रहे हिमाचल के सेब, कम जोखिम में बढ़िया कमाई

मनजीत मंडल बताते हैं कि उन्होंने पहले सेब के कुछ पेड़ लगाकर ट्रायल किया था। नतीजा अच्छा निकलने पर साल 2021 में उन्होंने अपनी जमीन पर इसकी खेती करने का फैसला किया।

shadab alam Reported By Shadab Alam |
Published On :
Apple farming in Katihar

बिहार में सीमांचल क्षेत्र के किसान खेती में नए-नए प्रयोग कर अपनी आमदनी और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में अब कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की तरह बिहार के सीमांचल में भी सेब की खेती शुरू हो गई है। कटिहार जिले में इसकी शुरुआत करने वाले युवा मंजीत मंडल यहां के किसानों के लिए एक नई मिसाल पेश कर रहे हैं। मनजीत कोढ़ा प्रखंड की भटवाडा पंचायत के रहने वाले हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से सेब के 230 पौधे लाकर अपनी 1 एकड़ जमीन में लगाए हैं और सेब की खेती शुरू की है।


मनजीत मंडल बताते हैं कि उन्होंने पहले सेब के कुछ पेड़ लगाकर ट्रायल किया था। नतीजा अच्छा निकलने पर साल 2021 में उन्होंने अपनी जमीन पर इसकी खेती करने का फैसला किया।

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सेब की खेती की शुरुआत करने के बारे में किसान मनजीत मंडल बताते हैं कि इससे पहले उनके क्षेत्र में बड़े स्तर पर केले की खेती होती थी। लेकिन केले में पनामा बिल्ट की बीमारी आने के बाद किसान काफी परेशान थे। इसी के चलते उन्होंने हिमाचल प्रदेश में जाकर सेब की खेती देखी और ट्रायल के तौर पर कुछ पेड़ लाकर अपने यहां लगाएं। परिणाम अच्छा निकलने पर उन्होंने केले की बजाए सेब की खेती करने का मन बना लिया। ‌


मंजीत ने बताया है कि सेब की तीन प्रकार की नस्लें पाई जाती हैं, जो हमारे इलाके में उगाई जा सकती है। पहली नस्ल है अन्ना, दूसरी डोरमैट गोल्डन जबकि तीसरी नस्ल माइकल है। माइकल गर्म क्षेत्र में पैदा होने वाला सेब है और उन्होंने इसी को अपनी जमीन में लगाया है। आगे उन्होंने बताया कि एक पेड़ की आयु 25 वर्ष की होती है और उसकी टहनी को हमेशा काटकर छोटा करना पड़ता है ताकि पेड़ पर ज्यादा से ज्यादा फल आ सके।

इसको मार्केट में बेचने और मुनाफा कमाने के सवाल पर युवा किसान बताते हैं कि हमारे क्षेत्र में इस सेब को बेचने पर काफी ज्यादा मुनाफा होने की उम्मीद है क्योंकि यह ऐसे मौसम में आता है जब ठंडे इलाकों से सेब की सप्लाई कम होती है और मार्केट में उसका पैसा ज्यादा मिलता है।

इस दौरान आनेवाली चुनौतियों के बारे में मंजीत मंडल कहते हैं, यहां सेब की खेती करने में ज्यादा कोई चुनौती तो नहीं है, सिर्फ एक ही दिक्कत है कि सेब के पेड़ में फंगस लग जाने से पेड़ को काफी नुकसान होता है।

इस बारे में आत्मा उपनिदेशक शशिकांत झा बताते हैं कि वैज्ञानिकों द्वारा अब मैदानी क्षेत्रों में सेब की खेती की संभावनाएं खोजी गई हैं और इसी के तहत सीमांचल में बहुत से किसान सेब की खेती का प्रयास कर रहे हैं। अगर यह प्रयास सफल होता है तो यह इलाके के लिए एक बहुत अच्छी कैश क्रॉप साबित होगी और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था बढ़ाने में काफी कारगर रहेगी।

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सय्यद शादाब आलम बिहार के कटिहार ज़िले से पत्रकार हैं।

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