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किशनगंज: मैदान को बना दिया डम्पिंग ग्राउंड, गंदगी से लोग परेशान

किशनगंज के मोतीबाग में एक हराभरा मैदान हुआ करता था, जो देखते ही देखते डम्पिंग ग्राउंड में तब्दील हो गया। इस डम्पिंग ग्राउंड के चलते आसपास रहने वाले लोग काफी परेशान हैं।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :
tracker dumping waste at moti bagh kishanganj

किशनगंज के मोतीबाग में एक हराभरा मैदान हुआ करता था, जो देखते ही देखते डम्पिंग ग्राउंड में तब्दील हो गया। इस डम्पिंग ग्राउंड के चलते आसपास रहने वाले लोग काफी परेशान हैं।


दिन भर दर्जनों ट्रक कूड़ा और अलग प्रकार के वेस्ट मीटियरल को मोतीबाग की चारदिवारी में फील्डनुमा स्थान पर फेंक दिया जाता है, यह जाने बिना कि इससे स्थानीय लोगों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।

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‘मैं मीडिया’ की टीम जब डम्पिंग ग्राउंड पहुंची, तो पाया कि दीवारों से घिरे एक ग्राउंड में कूडों का अंबार लग चुका है। ग्राउंड के मुख्य द्वार पर काफी ज्यादा कीचड़ और कूड़ा करकट दिखाई पड़ा।


थोड़ी देर तक हम कचरे के अंबार की कुछ तस्वीरें खींचते रहे। उसी दौरान 4-5 ट्रक कूड़ा वहां फेंक दिया गया।

Waste Dumping ground Moti Bagh Kishanganj

पेशे से ई-रिक्शा चालक संजय सोनार कहते हैं, “पिछले 8-10 सालो से इस जगह पर कूड़ा करकट फेंका जा रहा है। यहां कूड़ा फेंकने से कई बार मना किया गया। इसी चक्कर में विवाद भी हुआ, लेकिन कूड़ा फेंकना नहीं रुका।”

संजय ने आगे कहा, “यहाँ रहने में हमको बहुत दिक्कत झेलना पड़ता है। घर के ट्यूबवेल के पानी में बदबू आती है। सेहत भी अक्सर खराब रहती है। हमारी मांग है कि इसे पूरी तरह से बंद किया जाए। इतने साल हो गये, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।”

स्थानीय लोगों के साथ कूड़ा फेंकने वालों की झड़प

स्थानीय लोगों ने यह भी बताया के कुछ महीने पहले उन्होंने मिलकर डम्पिंग ग्राउंड का मुख्य द्वार बंद कर दिया था, लेकिन कूड़ा फेंकने वालों ने दरवाजा तोड़ कर कूड़ा फेंक दिया। इसको लेकर लड़ाई-झगड़ा भी हुआ। मारपीट के आरोप में पुलिस ने कुछ लोगो को गिरफ्तार भी किया।

कूड़े का ढेर आसपास रहने वाली महिलाओं के लिए भी कई तरह की कठिनाईयां पैदा करता है। स्थानीय निवासी रिंकी कुमारी कहती हैं कि डंपिंग ग्राउंड के पास रहने से यहां की लड़कियों की शादी में अड़चन आती है।

उन्होंने कहा, “सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि हमारे यहां कोई आना नहीं चाहता। रिश्ते की बात होती है और जब पता चलता है कि उनका घर कूड़े के ढेर के पास है, तो कोई नहीं आता। ऐसी गंदी जगह कौन शादी करना चाहेगा?”

“हमारी मांग है कि कूड़े के मैदान को साफ कर यहां किसी विभाग का दफ्तर, कोई भवन या लड़कियों के लिए कोई ट्रेनिंग सेंटर खोल दिया जाए,” रिंकी ने कहा।

रिंकी आगे कहती हैं, “मेरी तरह और भी कई लड़कियां हैं, जो कचड़े के ढेर के पास रहने से बहुत कुछ झेलती हैं। इसके अलावा घर के ट्यूबवेल में पानी खराब आता है। कचरे की वजह दीवार के आस पास के पेड़ सूख रहे हैं। यहां आंगनबाड़ी जैसे केंद्र खोले जाने चाहिए ताकि पढ़ी-लिखी महिलाओं को रोजगार का अवसर मिले और इसमें बच्चे भी पढ़ सकें।”

Locals at Moti Bagh dumping ground Kishanganj

मोतीबाग का इलाका वार्ड नंबर 5 में आता है। कुछ महीने पहले वार्ड पार्षद मोहम्मद अब्दुल्लाह के निधन के बाद से पार्षद का पद खाली है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि डम्पिंग ग्राउंड की जगह पहले हराभरा मैदान हुआ करता था। साल 2008 में इस मैदान में चहारदीवारी डाल दी गई और एक मुख्य द्वार बनाया गया था। उस समय कहा गया था कि यहां एक बड़ा-सा दफ्तर बनेगा। दफ्तर तो नहीं बना, लेकिन कुछ साल खाली पड़े रहने के बाद घिरा हुआ मैदान डम्पिंग ग्राउंड में तब्दील हो गया।

सुमित्रा देवी ने बताया, “पूरे शहर की गंदगी यहां लाकर फेंक दी जाती है। हम अगर कुछ बोलते हैं, तो कूडा डम्प करने वाले कहते हैं कि कूड़ा हमारे घर में गिरा देंगे। जिसको वोट देते हैं, वही लोग यह सब बनवाया है। जब दीवार घेरी जा रही थी तो कहा गया था कि यहां कचरा की फैक्टरी बनाई जाएगी।” वह कचरा प्रसंस्करण फैक्टरी की बात कर रही थीं।

उन्होंने आगे कहा, “पूजा-अर्चना में भी बहुत दिक्कत आती है। घर में कोई मेहमान नहीं आता। घर के बाहर तो नाली का पानी है, कूड़ा करकट है। बहुत बीमारी भी होती है कभी-कभी तो सांस लेने में भी दिक्कत होती है।”

कचरे के ढेर से थोड़ी दूर एक हनुमान मंदिर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर के होते हुए भी कूड़े और उसकी बदबू के चलते वे लोग त्योहारों को उस तरह नहीं मना पाते, जिस तरह अन्य जगहों पर मनाया जाता है।

उनके अनुसार, इस गंदगी के कारण उनकी बस्ती में बाहर से कोई आना नहीं चाहता।

हम जब डम्पिंग ग्राउंड से लगे हुए एक घर में गए, तो देखा कि घर के ट्यूबवेल के पास नाले और कीचड़ का पानी जमा हो गया है। हमने घर वालों से बात करनी चाही, तो पहले तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। लेकिन पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर वे बात करने को तैयार हुए। घर की एक महिला ने कहा, “हमें अब कोई उम्मीद नहीं है। दसियों बार मीडिया वाले आए, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई। भगवान जैसा रखेगा, वैसे ही रहेंगे और क्या कर सकते हैं?”

कूड़े के चलते पेयजल में प्रदूषण

उस महिला ने आगे बताया, “शुरू शुरू में जब ये दीवार घेरी गई थी, तो कहा गया था कि यहां सब्जी मार्केट बनेगा। किसी ने कहा कि यहां फैक्टरी लगेगी। हम तो अपने घर का पानी भी खाने पीने में इस्तेमाल नहीं कर सकते। रोज़ पानी खरीद कर लेना पड़ता है। ट्यूबवेल के पानी के इस्तेमाल से हाथों में खरोंच आ जाती है।” उन्होंने अपने हाथ दिखाए, जिसमे खरोंच के निशान थे।

“इस डम्पिंग ग्राउंड में तो मरा हुआ जानवर तक फेंका जाता है। बरसात में और ज्यादा गंदगी होती है। मक्खियां व कीड़े घरों में मंडराते रहते हैं। यहां कीड़े मकौड़ों को भगाने के लिए किसी रसायन का छिड़काव भी नहीं होता है। हम से कोई पूछता है कि कहां रहती हो, हमें लैंडमार्क के रूप में कचरा वाला ढेर बताना पड़ता है,” महिला ने आगे कहा।

उनके अनुसार, 13-14 साल पहले डम्पिंग ग्राउंड काफी हरा भरा हुआ करता था, लेकिन अब कूड़े के चलते बड़ी परेशानी हो रही है। गंदगी का आलम तो यह है कि एक बच्चे ने ,मैं मीडिया, को बताया कि उसके दो तीन दोस्त कुछ समय पहले वहां पतंग लूटने गए थे, तो सभी बीमार हो गये।

किशनगंज बिहार के सबसे हरियाली वाले इलाको में से एक है, लेकिन मोतीबाग का यह डम्पिंग ग्राउंड कुछ सालों में देखते देखते हरियाली से जहरीली हवा का स्रोत बन गया है।

क्या कहते हैं नगर परिषद के अधिकारी

इस पूरे मामले में किशनगंज नगर परिषद का पक्ष जानने के लिए किशनगंज नगर परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक कुमार से संपर्क किया गया, तो उन्होंने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि मोतीबाग स्थित डंपिंग ग्राउंड काफी पुराना है। उनके अनुसार, 50-55 साल से इस जगह को कूड़ा करकट फेंकने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि 2007-08 से पहले इस इलाके में कूड़ा डंप नहीं किया जाता था। इस सवाल पर दीपक कुमार ने कहा, “ऐसा नहीं है। यहां लंबे समय से कूड़ा फेंका जा रहा है। इस इलाके का चयन इसलिए किया गया था क्योंकि यह जगह शहर से अलग थलग है। स्थानीय लोग बाद में आकर यहां बस गए।

दीपक कुमार ने चहारदीवारी घेरे जाने पर कहा कि इस जगह को डंपिंग ग्राउंड होने के नाते ही घेरा गया था। “अगर, हम यहां कूड़ा न गिरवाएं तो कहां गिरवाएं? यह जगह काफी सालों से शहर के लिए डंपिंग ग्राउंड रहा है,” दीपक कुमार ने आगे कहा।

Moti Bagh dumping ground

उनके अनुसार महेश बथना में एक और जमीन ली गई है जिसे नगर परिषद सेकेंडरी डंपिंग ग्राउंड की तरह इस्तेमाल करेगा ताकि मोतीबाग वाले ग्राउंड में गंदगी कुछ कम हो सके।

उन्होंने आगे कहा कि किशनगंज नगर परिषद, केंद्र सरकार के कचरा रिसाइक्लिंग कार्यक्रम के इंतजार में है। केंद्र सरकार ने पूरे भारत में कचरे का पुनर्नवीनीकरण करने के लिए एक केंद्रीकृत अभियान चलाने की बात कही थी। दीपक कुमार ने उम्मीद जताई है कि जैसे ही योजना का लाभ भारत के विभिन्न राज्य लेना शुरू करेंगे, किशनगंज के मोतीबाग डंपिंग ग्राउंड में भी एक रीसायकल फैक्ट्री लगाने का प्रयास किया जाएगा।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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