किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड स्थित ये बगलबाड़ी गांव है, इस गांव में कभी हँसते खेलते सैंकड़ों परिवार हुआ करते थे। यहाँ के किसान अपनी उपजाऊ जमीन में खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण किया करते थे। लेकिन पिछले कई सालों से महानंदा नदी के तांडव से गांव उजड़ गया, लोग बेघर हो गए।
बिहार के कटिहार जिले के उदामारहिका के किसान इन दिनों काफी परेशान हैं। कटिहार जिले के सदर विधायक तारकिशोर प्रसाद सूबे के उपमुख्यमंत्री हैं। कभी के किसान के लिए गोभी की फसल काफी लाभदायक हुआ करती थी, लेकिन अब कोभी किसान अपनी किस्मत को रो रहे हैं।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओ में से एक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना गरीबों को भोजन उपलब्ध करा रहा है। लेकिन, जिन बीपीएल परिवारों को राशन की ज्यादा जरूरत है वही परिवार आज राशन से वंचित रह गया है। मामला बिहार के किशनगंज ज़िले का है। ठाकुरगंज प्रखंड के मालेनगांव पंचायत में सैकड़ो ऐसे बीपीएल परिवार हैं जो आज भी राशन कार्ड से वंचित हैं।
बिहार से बंगाल को जोड़ने वाली मुख्य सड़क NH 81 वर्षों से टूटी फूटी और कच्ची अवस्था में हैं। बिहार और बंगाल दोनों राज्य के लोगों को इस सड़क से आने जाने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।
[vc_row][vc_column][vc_column_text]बिहार के किशनगंज जिले में ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा करोड़ों की लागत से बन रहा एक पुल उद्घाटन से पहले ही धंस गया है। जिले के दिघलबैंक प्रखंड के पथरघट्टी पंचायत स्थित गोआबाड़ी गांव में ये पुल एक करोड़ 42 लाख की लागत से बन रहा था। पुल निर्माण का कार्य 25 जून 2019 को शुरू […]
पिछले दिनों अररिया टोल प्लाजा के समीप उत्पाद विभाग ने तीन ट्रक अंग्रेज़ी शराब ज़ब्त की, जिसे वहां मौजूद स्कूल कैम्पस में रखा दिया गया। फिलहाल कोरोना की वजह से स्कूल बंद है, लेकिन प्लस टू में पढ़ने वाले बच्चे फॉर्म भरने के लिए स्कूल आ रहे हैं। वीडियो में आप साफ़ देख सकते हैं कि स्कूल कैंपस में कैसे शराब रखी हुई है और आस-पास छात्र-छात्राएं आ जा रहे हैं। शराब लदे ट्रक को स्कूल कैंपस में रखे जाने से छात्र व शिक्षक परेशान है। प्रिंसिपल ने आलाअधिकारियों से शिकायत भी की है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
PM मोदी ने बिहार के जिस गाँव से गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की थी, वहाँ के ज़्यादातर मज़दूर वापस पलायन कर चुके हैं। CM नीतीश ने जिस मज़दूर से 24 मई को बात की थी, वो आज तक बेरोज़गार है।
बिहार में बाढ़ अभी नहीं आयी है। लेकिन, बारिश के पानी से ही जगह-जगह बाढ़ जैसे हालात हैं। ये पूर्णिया ज़िले में नेशनल हाईवे से कुछ ही दूर स्थित एक गाँव है। लगभग 200 परिवारों की ये बस्ती ज़िले के एक मुख्य मार्ग बायसी-अमौर सड़क पर स्थित है। गाँव का नाम बजरडीह है और मोहल्ले […]
अररिया शहर की आबादी का एक हिस्सा आज भी आवागमन की असुविधाओं से जूझ रहा है। नगर परिषद वार्ड नबंर 29 के मरया टोला तक जाने के लिए परमान नदी को पार करना होता है, जहाँ आवागमन का एक मात्र सहारा नाव ही है। सरकारी सुविधा से वंचित इस शहरी इलाके में नगर परिषद की कोई सुविधा नहीं है।
सरकार की कुम्भकरण वाली नींद ने कार्यालय आने वाले आम लोगों से लेकर काम कर रहे कर्मियीं और अधिकारीयों तक को अपनी जान बचाए रखने के लिए हेलमेट पहने रहने को मजबूर कर दिया है।
किशनगंज अंतर्गत कोचाधामन के बगलबारी पंचायत के लगभग 150 परिवार महानंदा ब्रिज के नीचे खुले आसमान के नीचे शरण लिए हुए हैं।
किशनगंज के कोचाधामन प्रखंड में विकास बेकाबू हो गया है, हल्दीखोरा पंचायत में सालों पहले बनी लाइब्रेरी की बिल्डिंग गोश्त के दुकान में तब्दील हो चुकी है।
नीतीश सरकार का दावा है की बिहार चचरी पुल से मुक्त हो चूका है, लेकिन आज भी किशनगंज के बहादुरगंज प्रखंड में चचरी पुल का जाल बिछा है, क्या सरकार किशनगंज को बिहार का हिस्सा नहीं मानती है?
अपने घर से हज़ारों किलोमीटर दूर आपको अपनी रोज़ी रोटी के लिए अगर हफ्ते के सात दिन 12 घंटे काम करना पड़े तो कैसा लगेगा?
किशनगंज शहर के मुख्य सड़क पर बड़े बड़े गड्ढे हैं, और गड्ढे भी इतने की मारवाड़ी कॉलेज से पश्चिमपाली जाना किसी चुनौती से कम नहीं।