पिछले तीन महीनों में हमने government aid से चल रहे 1128, 205 और 609 केटेगरी के करीब एक दर्जन मदरसों को दौरा किया। इन मदरसों की हालत इतनी दयनीय है की राज्य में अगर कोई सरकारी स्कूल इस हालत में दिख जाए तो मेनस्ट्रीम मीडिया से लेकर सरकारी महकमे में हलचल मच जायेगी।
बिहार के कटिहार में कई लोग आज भी ऐसे हैं, जो कपड़ों को रंगने काम करते हैं। कपड़ों में रंगाई करने वाले ये लोग रंगरेज़ कहलाते हैं। रंगरेज़ रंगों और केमिकल से कपड़ों को रंगने का काम करते हैं।
डोरिया गांव में एक नहर के किनारे रह रहे चरवाहों ने बताया कि वे साल में 6 महीने अररिया जिले के आसपास के इलाके व सुपौल के सीमावर्ती इलाकों में भेड़ चराने निकल जाते हैं। अमूमन ये लोग नदी किनारे मैदानों में भेड़ चराते हैं और 4 से 5 लोगों झुंड में एक जगह अस्थाई टेंट बनाकर निवास करते है।
साइबर चोरी में पैसे खोने वालों में अधिकतर बैंक खाते महिलाओं के हैं। जालसाज़ों ने उन लोगों को शिकार बनाया है, जो सीएसपी यानी ग्राहक सेवा केन्द्रों पर जाकर अपना पैसा निकलवाते हैं, इनमें से अधिकतर खाता धारकों के पास डेबिट कार्ड भी नहीं है।
किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत पौआखाली नगर पंचायत के मीरभिट्टा गांव के वार्ड संख्या 1 और 2 का रास्ता फ्लाईओवर बनने से बंद हो गया है। गांव के लोगों को हाईवे पर चढ़ने के लिए ढलान वाले रास्ते का इस्तेमाल करना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि इतने ऊंचे रास्ते से चढ़ने और उतरने में काफी दिक्कतें पेश आती हैं जिसके लिए सर्विस रोड की आवश्यकता है।
मनरेगा मजदूरों को इस योजना से फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा हो रहा है। काम करने के बाद वे महीनों भुगतान के इंतजार में बैठे रहते हैं जिससे उन्हें और उनके परिवारों को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता है। इसी वजह से ज्यादातर मजदूर प्रदेश पलायन कर रहे हैं।
बलि के लिए स्थानीय लोग सूअर के पिल्लों, मुर्गियों, अंडों और शराब लेकर मेले में पहुंचे थे। यह आयोजन उनके लिए रोजगार था। मैदान में चाकू लेकर एक दर्जन से अधिक डोम और मुसहर समुदाय के लोग भी पहुंचे थे, जो कुछ पैसा लेकर बलि देते थे। इनमें 14-15 साल के बच्चे से लेकर 40 साल के अधेड़ शामिल थे।
बिहार में मखाना का सबसे ज़्यादा उत्पादन आज सीमांचल के चार जिलों पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया में हो रहा है। इसी को देखते हुए अगस्त 2020 में भारत सरकार ने 'मिथिला मखाना' को GI टैग दिया है।
दिल्ली से किशनगंज लौटने के लिए वह बुधवार को नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस ट्रेन पर सवार हो गया, लेकिन अपनी मंज़िल से करीब 460 किलोमीटर दूर रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन हादसे का शिकार हो गया।
बलरामपुर अनुमंडल अंतर्गत अझरैल रेलवे स्टेशन को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क 2017 के सैलाब में बह गई थी लेकिन अब तक सड़क नहीं बनायी गयी। जहां सड़क हुआ करती थी, वह बरसात के मौसम में तालाब में तब्दील हो जाती है। ग्रामीण नांव पर बैठकर स्टेशन और दूसरे स्थानों तक पहुंचते हैं।
40 वर्षीय सोमा देवी, चमार समुदाय से आती हैं, जो बिहार में महादलित समूह में शामिल है। 23 सितंबर की रात गांव के ही यादव समुदाय के प्रमोद सिंह यादव व उसके पुत्र ने सोमा को निर्वस्त्र कर बेरहमी से पिटाई की और मुंह पर कथित तौर पर पेशाब कर दिया।
बिहार के सीमांचल में प्रवासी मज़दूरों की संख्या काफी अधिक है। दुर्घटना का शिकार होने वाले इस क्षेत्र के मज़दूरों के परिवार किस हाल में हैं, यह जानने के लिए हम कटिहार जिले के अलग अलग गांव गए।
रामकृष्ण डालमिया का जन्म 7 अप्रैल 1893 में राजस्थान के एक छोटे से गांव में हुआ। उन दिनों कलकत्ता देश की औद्योगिक राजधानी हुआ करती थी। हर राज्य के लोगों के लिए रोजगार का अल्टीमेट डेस्टिनेशन कलकत्ता हुआ करता था। राजस्थान के बहुत सारे व्यापारी उत्तर कलकत्ता में अपना धंधा चला रहे थे।
1930-1933 के आसपास विकसित हुआ डालमियानगर अगले पांच दशकों तक औद्योगिक कस्बों का सिरमौर रहा। लेकिन, साल 1970 के बाद डालमियानगर के दुर्दिन शुरू हो गये। एक के बाद एक इकाइयां बंद होने लगीं। 9 सितम्बर 1984 को वह निर्णायक तारीख भी आ गई, जब सारी फैक्टरियों की चिमनियों से धुआं निकलना बंद हो गया। 8 जुलाई 1984 तक इन इकाइयों में अफसरों से लेकर वर्करों को मिलाकर कुल 12629 लोग काम करते थे, जो एक झटके में बेरोगार हो गये और उनके घरों के चूल्हे भी ठंडे पड़ गये।
दोनों बेटों पत्रकार विमल और सरपंच गब्बू की हत्या के बाद घर में वृद्ध माता-पिता, दो विधवा और तीन छोटे-छोटे बच्चे बचे हैं। विमल यादव का बेटा अभिनव आनंद रानीगंज के ही एक निजी स्कूल में नौवीं कक्षा का छात्र है और बेटी रोमा कुमारी आठवीं में पढ़ती है। वहीं सरपंच गब्बू यादव का बेटा ज्ञान प्रकाश गाँव के ही एक स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ता है। लेकिन हाल के दिनों में परिवार को ज़्यादा धमकियां मिलने लगीं, इसलिए माँ ने स्कूल जाने और बाहर खेलने से मना कर दिया।