किशनगंज के कोचाधामन प्रखंड में विकास बेकाबू हो गया है, हल्दीखोरा पंचायत में सालों पहले बनी लाइब्रेरी की बिल्डिंग गोश्त के दुकान में तब्दील हो चुकी है।
नीतीश सरकार का दावा है की बिहार चचरी पुल से मुक्त हो चूका है, लेकिन आज भी किशनगंज के बहादुरगंज प्रखंड में चचरी पुल का जाल बिछा है, क्या सरकार किशनगंज को बिहार का हिस्सा नहीं मानती है?
अपने घर से हज़ारों किलोमीटर दूर आपको अपनी रोज़ी रोटी के लिए अगर हफ्ते के सात दिन 12 घंटे काम करना पड़े तो कैसा लगेगा?
किशनगंज शहर के मुख्य सड़क पर बड़े बड़े गड्ढे हैं, और गड्ढे भी इतने की मारवाड़ी कॉलेज से पश्चिमपाली जाना किसी चुनौती से कम नहीं।
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बिहार के इस गाँव में स्कूल नहीं है, बच्चे नेपाल के स्कूल में पढ़ रहे हैं और नेपाल से देशभक्ति सीख रहे हैं। उनके जुबान पर नेपाल का राष्ट्रगान है, जन गण मन, वन्दे मातरम् कभी सुना नहीं; महात्मा गांधी, नेहरू को नहीं जानते, लेकिन पुष्पकमल दाहाल से वाकिफ़ हैं।
बारात मोटरसाइकिल पर, मय्यत नाव पर और बीमार कंधे पर सवार होकर आते-जाते है। पूर्णिया ज़िले के बायसी प्रखंड अंतर्गत बायसी पंचायत के मदरसा टोला के लोगों की यह आम दिनचर्या है।
पंचायत में दो साल पहले जलमीनार बनाया गया, पाइपलाइन का जाल बिछाया गया, लेकिन CM का दौरा रद्द हो गया, और साथ ही रद्द हो गया गाँव का विकास।
36 साल पुराने Girls School तक जाने के लिए कोई सड़क नहीं है, कीचड़नुमा खेतों के बीच से लड़कियां जाती है स्कूल, विकास तुम कहाँ हो?
तत्कालीन विधायक व वर्त्तमान सांसद डॉ जावेद आज़ाद ने 9 महीने पहले पोठिया के सतमेढ़ी घाट पर पुल का शिलान्यास किया था, लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हुआ।