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स्कूलों के नये टाइम-टेबल को बदलने की मांग क्यों कर रहे बिहार के शिक्षक?

शिक्षकों का कहना है कि विभाग का यह फैसला व्यावहारिक नहीं है और विभाग मनमाना तरीक़े से निर्णय ले रहा है। हालांकि, शिक्षक विभागीय कार्रवाई के डर से खुल कर अपनी बात रखने से हिचकिचा रहे हैं। कई शिक्षकों ने बताया कि विभाग इसी बात का फायदा उठा रहा है और कार्रवाई की ज़द में शिक्षकों को प्रताड़ित कर रही है।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :
government teachers of bihar are demanding change in the new time table of schools

बिहार के सरकारी स्कूलों के शिक्षक स्कूलों के लिये लागू नये टाइम-टेबल से काफी नाराज़ हैं। टाइम-टेबल बदलने की मांग को लेकर वे कल (16 मई) से ही आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन, शिक्षकों की मानें तो उनकी बातों पर विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। शिक्षकों का कहना है कि उनके प्रति सरकार का यह रवैया सही नहीं है।


शिक्षकों को बिहार के विपक्षी नेताओं का भी साथ मिला। कई नेताओं ने शिक्षकों के समर्थन में बयान जारी किया और कई ने एक्स पर पोस्ट किया। कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ. शकील अहमद ख़ान ने वीडियो जारी कर शिक्षा विभाग की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि शिक्षा विभाग शिक्षा नहीं देना चाहता है, बल्कि, डिक्टेटरशिप चलाना चाहता है।

“बिहार में एक बार फिर शिक्षा विभाग का नया फरमान लागू हो गया है। लेकिन, इस फरमान का शिक्षिका और बच्चों पर बुरे नतायेज (परिणाम) देखने को मिलेंगे। टीचर स्कूल जायें, बच्चों को पढ़ायें, ये सब मैं मानता हूं कि होना चाहिये। लेकिन, इस गर्मी में आपको यह समस्या क्यों नहीं समझ आ रही है कि इससे तकलीफें बढ़ेंगी,” उन्होंने कहा।


उन्होंने आगे कहा, “जो महिला टीचर हैं ख़ासकर, उनके आने-जाने का प्रॉब्लम है, गर्मी चरम सीमा पर पहुंची हुई है। मिला-जुला कर शिक्षा विभाग शिक्षा नहीं देना चाहता है, बल्कि शिक्षा न देकर वह यह समझता है कि यहां पर डिक्टेटरशिप कर लिया जाये। इस डिक्टेटरशिप का नुक़सान अल्टीमेटली जो लोग पठन-पाठन में लगे हुए हैं उनको होता है।”

एक्स पर घंटों चला ट्रेंड #ReviseSchoolTime

शिक्षकों ने सोशल मीडिया साइट एक्स (ट्विटर) पर नये टाइम-टेबल के विरोध में शुक्रवार को #ReviseSchoolTime ट्रेंड चलाया और नये टाइम-टेबल को बदलने की मांग की। इस ट्रेंड में 1 लाख 40 हज़ार से ज़्यादा पोस्ट किये गये। हैशटेग कई घंटों तक एक नंबर पर ट्रेंड करता रहा।

एक्स यूज़र अमित विक्रम ने लिखा, “बिहार में नई स्कूल टाइमिंग को लेकर जितना आक्रोश शिक्षकों में है उसे कहीं ज्यादा आक्रोश अभिभावकों में है। आम बुद्धिजीवी वर्ग भी इस बात को स्वीकार करता है कि इस लू वाली गर्मी में सुबह 6:00 से 12:00 बजे तक बच्चों को विद्यालय में बैठ कर रखना अन्यायपूर्ण है।”

एक अन्य यूज़र पीयुष तिवारी ने लिखा, “अवकाश तालिका में छुट्टियां काट दी गई हम चुप रहे,हमारी गर्मी की छुट्टियाँ काट दी गई हम चुप रहे पर इस समय जब विद्यालय बन्द होना चाहिए उस समय विद्यालय खोलकर शिक्षको और बच्चों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा। आप कहाँ है हमारे सुशासन बाबू”

खुश्बू आनन्द लिखती हैं “05:30 AM में घर से स्कूल के लिए प्रस्थान की और 01:45 PM में घर वापस आई। लगभग 12 PM तक तो सब अच्छा रहा लेकिन उसके बाद गर्मी और थकान की वजह से सिरदर्द का सामना करना पड़ा। अभिभावक स्वरुप माननीय मुख्यमंत्री महोदय @NitishKumar विद्यालय के टाइमिंग में बदलाव करने की कृपा करें”

बिहार विधान परिषद के सदस्य और कांग्रेस नेता मदन मोहन झा ने भी विभाग की आलोचना की।

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उन्होंने एक्स पर लिखा, “सुबह 6 बजे उपास्थित नहीं रहने पर कार्रवाई शिक्षको पर -स्कूलों में 90% उपस्थिति नहीं रहने पर प्रधानाचार्य और शिक्षकों पर कार्रवाई शिक्षको को बंधुआ मजदूर समझ लिए है क्या बिहार सरकार ने ?? कोई चुप है तो उसे दबाते जाओ। जवाब मिलेगा?”

पटना के पालीगंज से सीपीआई (एमएल) विधायक संदीप सौरभ ने अपने एक्स पोस्ट में विभाग पर निशाना साधते हुए लिखा कि बिहार के स्कूलों की टाइमिंग तत्काल बदलनी चाहिए।

उन्होंने एक्स पर लिखा, “बिहार सरकार शिक्षकों से आख़िर किस बात की दुश्मनी निभा रही है। एक सनकी अधिकारी के सामने भाजपा-जदयू सरकार घुटना टेक कर न केवल बिहार के शिक्षकों का अपमान कर रही है, बल्कि शिक्षकों और बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन से भी खिलवाड़ कर रही है। बिहार के स्कूलों की टाइमिंग तत्काल बदलनी चाहिए! शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग का इस क़दर अमानवीय हो जाना कहीं से उचित नहीं है।”

क्या है स्कूलों के लिये लागू नया टाइम-टेबल

दरअसल, 15 अप्रैल से 15 मई तक स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां थीं। इस बीच, 13 मई को शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने पत्र जारी कर स्कूलों में नये टाइम-टेबल लागू करने की जानकारी दी। पत्र के अनुसार, 16 मई से स्कूलों में पठन-पाठन का समय सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक होगा।

नया टाइम-टेबल लागू करने के पीछे विभाग ने तर्क दिया कि गर्मी के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े इसलिये सभी विद्यालयों (प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, संस्कृत विद्यालय) को प्रातः कालीन पाली में संचालित किए जाने का निर्णय लिया गया है।

पत्र के अनुसार, 10-10.30 बजे के बीच बच्चों को मध्याहन भोजन देने का समय रखा गया। मध्याह्न भोजन के बाद कक्षाएं 12 बजे तक चलेंगी। 12 बजे बच्चों की छुट्टी हो जायेगी, लेकिन, शिक्षकों को 1.30 बजे तक स्कूल में रहना होगा।

12 बजे से 1.30 बजे के बीच शिक्षक स्कूल के कमजोर बच्चों को मिशन दक्ष के तर्ज पर विशेष कक्षाओं का संचालन करेंगे तथा इसके अतिरिक्त अन्य कार्य, जैसे कि बच्चों को दिया जाने वाला होमवर्क, कॉपियों की जाँच, साप्ताहिक मूल्यांकन वाली कॉपियों की जांच, मासिक मूल्यांकन वाली कॉपियों की जाँच करेंगे।

सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापक इस दौरान इन कार्यों के अतिरिक्त छात्रों का नामांकन और अन्य प्रशासनिक कार्य भी करेंगे। पत्र के मुताबिक़, नया टाइम-टेबल 30 जून तक प्रभावी रहेगा।

नये टाइम-टेबल का क्यों हो रहा विरोध

16 मई से लागू नये टाइम-टेबल पर बिहार के शिक्षक विरोध जता रहे हैं। ‘मैं मीडिया’ ने शिक्षकों से बात कर नये टाइम-टेबल से हो रही परेशानी पर बात की।

शिक्षकों का कहना है कि विभाग का यह फैसला व्यावहारिक नहीं है और विभाग मनमाना तरीक़े से निर्णय ले रहा है। हालांकि, शिक्षक विभागीय कार्रवाई के डर से खुल कर अपनी बात रखने से हिचकिचा रहे हैं। कई शिक्षकों ने बताया कि विभाग इसी बात का फायदा उठा रहा है और कार्रवाई की ज़द में शिक्षकों को प्रताड़ित कर रही है।

शिक्षक अरुण ठाकुर ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि मॉर्निंग सेशन वाला टाइम-टेबल बहुत पहले से 6 बजे से 11.30 बजे तक चला आ रहा था, लेकिन, अब उसको बदल कर 6 बजे से 1.30 बजे तक कर दिया गया है, जो कि व्यावहारिक नहीं है।

“आप 6-1.30 बजे तक स्कूल कर दिये हैं। लोगों का विद्यालय 30-40 किलोमीटर दूर है, ऐसे में शिक्षक किस हालात में समय पर स्कूल पहुंचेंगे। सुबह उठने के बाद नित्य क्रिया है। महिला शिक्षकों के पास छोटे-छोटे बच्चे हैं। घर में कोई बीमार व्यक्ति है या शिक्षक खुद भी बीमार है तो इतना आपा-धापी में कैसे समय पर स्कूल पहुंच पायेंगे,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “16 मई से दोबारा स्कूल खुला है तो कई घटनाएं भी हुई हैं। कहीं गर्मी के कारण बच्चा बेहोश हुआ है, कहीं शिक्षक का एक्सीडेंट हो गया। इस ऊहापोह की स्थिति और डर-भय के माहौल में आप क्वालिटी एजुकेशन खोजियेगा तो यह संभव नहीं है। क्वालिटी एजुकेशन के लिये आपको वातावरण को अच्छा बनाना पड़ेगा। सुखद माहौल में ही आप कोई बेहतर चीज़ की कल्पना कर सकते हैं।”

“विभाग ने गर्मी की छुट्टी भी ख़त्म कर दी”

शिक्षकों ने बताया कि सरकार ने गर्मी की छुट्टी भी ख़त्म कर दी है, क्योंकि, गर्मी की छुट्टी के दौरान भी उनको स्कूल आना पड़ता था।

दरअसल, विभाग ने इस साल की गर्मी की छुट्टी के दौरान पूर्णतः छुट्टी नहीं दी थी। शिक्षकों को 8 बजे से 10.30 बजे तक स्कूल में रहना पड़ता था। इस दौरान ‘मिशन दक्ष’ के तहत कमज़ोर बच्चों की कक्षाएं लगती थीं। शिक्षकों को ‘मिशन दक्ष’ के तहत चुने गये बच्चों को पढ़ाना पड़ता था।

शिक्षकों का कहना है कि एक तो विभाग ने गर्मी की छुट्टी ख़त्म कर दी, ऊपर से नया टाइम-टेबल लागू कर दिया, जिससे शिक्षकों को परेशानी हो रही है। एक अन्य शिक्षक राकेश ने बताया कि वे लोग सोच रहे थे कि गर्मी की छुट्टी होगी तो वे कुछ अन्य कार्य करेंगे, लेकिन, विभाग ने गर्मी की छुट्टी को ही ख़त्म कर दिया।

“हर साल गर्मी की छुट्टी होती थी जून के महीने में। मौसम विभाग भी यही बोलेगा कि सबसे ज़्यादा गर्मी जून में ही होती है। विभाग कहता है कि पूरे कैलेण्डर वर्ष में 220 दिन पढ़ाई होनी है। ठीक है हम शिक्षकों ने उसको स्वीकार कर लिया कि 220 दिन पढ़ाना है। बचे हुए दिन जो कि छुट्टी के हैं उनमें कई तरह का प्रशिक्षण, इलेक्शन ड्यूटी या फिर किसी परीक्षा में ड्यूटी दे दिया जाता है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “गर्मी की छुट्टी एक चालाकी के तहत ख़त्म की गयी है। विभाग को लगा कि इलेक्शन आ रहा है 15 अप्रैल से, तो क्यों ना गर्मी की छुट्टी को इसी में इस्तेमाल कर लूं। टीचर घर भी नहीं जायेंगे, इलेक्शन भी हो जायेगा और गर्मी की छुट्टी भी दिखाने के लिये हो जायेगा।”

टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के एक पदाधिकारी ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि विभाग द्वारा नया टाइम-टेबल लागू करने का फैसला सही नहीं है और इसको वापस लिया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारियों ने एसी कमरों में बैठकर तुग़लकी फरमान जारी कर दिया है, जो कि व्यावहारिक नहीं है।

‘मैं मीडिया’ ने इस मुद्दे को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव के कार्यालय में कॉल कर विभाग का पक्ष जानने की कोशिश की। फोन रिसीव करने वाले कर्मी ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक वीडियो कांफ्रेंसिंग में व्यस्त हैं, इसलिये उनसे बात नहीं हो सकती है। हमने जानना चाहा कि इस पूरे मुद्दे पर विभाग की क्या प्रतिक्रिया है, तो उन्होंने कहा कि वह कमेंट करने के लिये ऑथराइज़्ड नहीं हैं।

‘मैं मीडिया’ ने बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के मोबाइल नंबर पर भी कॉल किया, लेकिन, उधर से फोन काट दिया गया।

इस बीच, शिक्षा विभाग ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से एक पोस्ट शेयर किया है। पोस्ट में शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के तहत प्रति दिन शिक्षकों के लिए निर्धारित कार्य अवधि का ज़िक्र है।

विभाग ने पोस्ट में लिखा, “निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत प्रतिदिन शिक्षकों के लिए कार्य अवधि 7.5 घंटे (इसमें पठन-पाठन की तैयारी भी शामिल) है।”

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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