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बाढ़ प्रभावित सहरसा में सरकारी नाव उपलब्ध नहीं, लोग चंदा इकट्ठा कर बना रहे नाव

जबकि बाढ़ का समय आ चुका है तो लोग अपनी सुरक्षा की तैयारी में खुद जुट गए हैं और खुद से नाव तैयार कर रहे हैं। लोगों ने बताया कि सरकारी नाव की व्यवस्था नहीं है, इसलिये लोग आपस में चंदा इकट्ठा कर नाव तैयार कर रहे हैं। स्थानीय सुभाष यादव बताते हैं कि बाढ़ आने पर हर तरह का काम नाव से ही किया जाता है।

Sarfaraz Alam Reported By Sarfraz Alam |
Published On :
government boats are not available in flood affected saharsa, people are building boats by collecting donations

बिहार के कोसी इलाके में हर साल लोगों को बाढ़ की तबाही का दंश झेलना पड़ता है। कोसी और कमला बलान नदी में बाढ़ की आहट से सहरसा जिले के बाढ़ग्रस्त इलाके में लोग नाव बनाने में जुट गए हैं। जिले के नौहट्टा प्रखंड की दर्जनों पंचायतें हर साल बाढ़ से प्रभावित होती हैं। अब जबकि बाढ़ का समय आ चुका है तो लोग अपनी सुरक्षा की तैयारी में खुद जुट गए हैं और खुद से नाव तैयार कर रहे हैं। लोगों ने बताया कि सरकारी नाव की व्यवस्था नहीं है, इसलिये लोग आपस में चंदा इकट्ठा कर नाव तैयार कर रहे हैं। स्थानीय सुभाष यादव बताते हैं कि बाढ़ आने पर हर तरह का काम नाव से ही किया जाता है।


लोगों ने बताया कि एक नाव तैयार करने में लगभग पंद्रह दिन लग जाते हैं और 20 से 25 हजार रुपये ख़र्च आता है। बाढ़ के समय यहां के लोगों के आवागमन के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है। नाव पर सवार होकर लोग आवाजाही करते हैं और पशुओं के लिए चारे का इंतज़ाम करते हैं। स्थानीय वीरेन्द्र यादव बताते हैं कि लोग अपनी सुरक्षा के लिए खुद से नाव बनाते हैं, क्योंकि, सरकार की तरफ से अभी तक सरकारी नाव उपलब्ध नहीं करायी गयी है।

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नौहट्टा प्रखंड के रसलपुर गांव निवासी ब्रह्मदेव यादव बताते हैं कि अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो ऐसे में नाव के ही सहारे मरीज़ को अस्पताल ले जाना होता है। क्योंकि, बाढ़ में आवाजाही पूरी तरीक़े से बंद रहती है। उन्होंने बताया कि उनके गांव में अभी तक कोई अधिकारी खोज-ख़बर लेने तक नहीं आया है।


बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सरकारी नाव ना होने और लोगों द्वारा खुद के पैसे से नाव बनाने के सवाल पर नौहट्टा प्रखंड के अंचलाधिकारी मोनी कुमारी ने बताया कि इसकी जानकारी उनको मिली है। उन्होंने आगे बताया कि प्रशासन की तरफ़ से नौहट्टा प्रखंड क्षेत्र में कुल 10 नाव की व्यवस्था की गई है फिर भी अगर बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में और भी सरकारी नाव की जरूरत होगी तो वो उपलब्ध कराया जाएगा।

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एमएचएम कॉलेज सहरसा से बीए पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर सहरसा से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

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