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गोपालगंज मामले में ग्रामीणों पर FIR, JCB से सड़क काटने का आरोप

FIR उस शख्स के खिलाफ की गई है जिसने पुल ढहने की चेतावनी 24 घंटे पहले ही दे दी थी। मैं मीडिया ने कल आपको संजय राय का वीडियो दिखाया था जिसमें उन्होंने न सिर्फ पुल का हिस्सा गिरने की चेतावनी दी थी बल्कि निर्माण कार्य में हुई अनियमिताओं की भी कलई खोल दी थी। वो सोच रहे होंगे कि प्रशासन और सरकार उनकी तारीफ करेगा, वाहवाही करेगा लेकिन ऐसा हो न पाया। ठेकेदार उदय कुमार सिंह ने संजय राय समेत अज्ञात लोगों पर काम में बाधा पहुंचाने और उनसे खतरा होने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करा दी।

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Published On :
Gopalganj Bridge FIR registered against villagers

खेत खाय गदहा, मारल जाय जोलहा ….


अरे ना ना , हम बिहार सरकार को गदहा नहीं कह रहे, ये तो भोजपुरी की एक कहावत है जिसका मतलब होता है, किसी और की गलती की सजा किसी और को मिलना। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, तो जनाब कहानी ही कुछ ऐसी है कि जिसे देखकर आपका भी सिर चकरा जाएगा और माथा पकड़ कर बोल बैठेंगे बस भाई बस, अब और सुशासन नहीं चाहिए।

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तो ये कहानी है बिहार के गोपालगंज की जहां 8 सालों के लंबे इंतजार के बाद इलाके के लोगों को एक पुल मिला, पुल का नाम तो सत्तरघाट है लेकिन इसी प्रोजेक्ट में मौजूद एक पुलिया की अप्रोच रोड 30 दिन भी नहीं टिक पाई। मने बिल्कुल भी नहीं टिक पाई। ये तस्वीरें बीते 3 दिनों से सोशल मीडिया पर बिहार सरकार की किरकिरी का कारण बनी हुई हैं।


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लेकिन वो सरकार ही क्या जो अपनी गलती मान ले… तो बिहार सरकार ने भी सफाई दे दी कि भैया मुख्य पुल सही सलामत खड़ा है, वो तो उससे जुड़ी एक पुलिस का संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त हुआ है। अभी सरकार इस किये धरे पर रफ्फू साट ही रही थी कि उसी पुलिया के दूसरे तरफ का हिस्सा भी गंडक नदी में समा गया। मानो कह रहा हो कि हमारा साथी बह गया है, हम कैसे खड़े रह सकते हैं।

हालांकि, सरकार ये साबित करने पर तुली हुई है कि सत्तरघाट पुल को कुछ नहीं हुआ है लेकिन वो ये बताने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही कि जो सड़क टूटी है, वो भी 264 करोड़ रुपए के उसी प्रोजेक्ट का हिस्सा थी। कोई ये भी सच्चाई नहीं बता रहा कि इस सड़क के बह जाने से पुल पर जाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो चुका है। लेकिन सरकार को इससे क्या …उन्होंने तो पुल पर गाड़ी दौड़ाकर दिखा दिया कि नीतीश जी की इज्जत सही-सलामत है, विपक्ष और मीडिया झूठ मूठ का रोना रो रहा है।

लेकिन अगर सरकार इतने पर ही रुक जाती तो क्या बात थी, 15 जुलाई को सड़क बहने की LIVE तस्वीरें आपके सामने हैं। साफ दिख रहा है कि पानी के दबाव की वजह से रेत की तरह ये सड़क भरभरा कर बह गई। सड़क की क्वालिटी के बारे में हम क्या ही बोलें, वो तो आपको दिख ही रहा होगा। लेकिन अगर हम कहें कि आप जो देख रहे हैं वो झूठ है, यहां एक अदृश्य JCB मशीन मौजूद है जिसकी मदद से ग्रामीण सड़क को काट रहे हैं। आप कहेंगे, हम बेवकूफ हैं, क्या बकवास कर रहे हैं, तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं। लेकिन ठहरिए, ऐसा हम नहीं बोल रहे बल्कि बिहार पुल निगम की ओर से अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज कराई गई FIR में ऐसा ही लिखा हुआ है। FIR की कॉपी आपकी स्क्रीन पर है, पढ़ लीजिए और समझ जाइये कि 1 तस्वीर, 1000 शब्दों से ज्यादा अहमियत क्यों रखती है!

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बात अगर इतने पर ही रुक हो जाती तो हम भी मान लेते कि नीतीश कुमार के राज में बिहार में रामराज्य चल रहा है। लेकिन इसके अलावा दो और FIR कराई गई हैं। एक FIR उन ग्रामीणों पर कराई गई है जो सड़क बहने के बाद हाय-हाय का नारा लगा रहे थे। इन लोगों की हाय सुनकर स्थानीय सर्किल ऑफिसर की अंतरात्मा जाग गई और LOCKDOWN के उल्लंघन के आरोप में जिला परिषद के सदस्य विजय बहादुर यादव समेत अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज करा दिया।

बात इतने पर भी थम जाती तो कहा जा सकता था कि नीतीश कुमार का सुशासन अभी जिंदा है। लेकिन तीसरी FIR उस शख्स के खिलाफ की गई है जिसने पुल ढहने की चेतावनी 24 घंटे पहले ही दे दी थी। मैं मीडिया ने कल आपको संजय राय का वीडियो दिखाया था जिसमें उन्होंने न सिर्फ पुल का हिस्सा गिरने की चेतावनी दी थी बल्कि निर्माण कार्य में हुई अनियमिताओं की भी कलई खोल दी थी। वो सोच रहे होंगे कि प्रशासन और सरकार उनकी तारीफ करेगा, वाहवाही करेगा लेकिन ऐसा हो न पाया। ठेकेदार उदय कुमार सिंह ने संजय राय समेत अज्ञात लोगों पर काम में बाधा पहुंचाने और उनसे खतरा होने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करा दी।

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संजय राय स्थानीय मुखिया कुंती देवी के पति हैं, पुल और बांध निर्माण में हो रही अनियमिता को लेकर वो लगातार अपनी आपत्ति जताते रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ 14 जुलाई को पुल गिरने की चेतावनी दी थी बल्कि 15 जुलाई को पुल गिरने के बाद उसकी मरम्मत में हो रही हीलाहवाली का भी विरोध किया था। उनका आरोप है कि उनके ऊपर ये FIR JDU नेता और बैकुंठपुर के पूर्व विधायक मंजीत सिंह के कहने पर की गई है।

हालांकि, JDU नेता मंजीत सिंह ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए इन्हें पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है।

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