कटिहार: 14 साल की रेशमी खातून आजमनगर के प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय में कक्षा नौवीं में पढ़ती है। उसके स्कूल में 21 सितंबर से 28 सितंबर के बीच परीक्षा चल रही थी, लेकिन वह परीक्षा नहीं दे सकी, क्योंकि उसके सिर में काफी दर्द हो रहा है और डॉक्टर ने दवा के साथ आराम करने की सलाह दी है।
रेशमी खातून अपनी चचेरी बहन रोज़ी खातून के साथ स्कूल जाती है। चूंकि दोनों एक ही कक्षा में पढ़ती हैं तो साथ-साथ स्कूल जाती हैं।
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विगत 23 सितंबर को जब वह स्कूल जा रही थी, तब स्कूल से कुछ ही कदम दूरी पर एक मोटरसाइकिल सवार ने जोरदार टक्कर मार दी जिससे वह घायल हो गई। आनन-फानन में सहेलियों द्वारा पास के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया, जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे पूर्णिया ले जाने की सलाह दी।
रेशमी खातून के पिता प्रवासी कारीगर हैं जो दिल्ली में सिलाई का काम करते हैं। घर में कोई मर्द नहीं होने के कारण रेशमी खातून की मां काफी परेशान हैं। वह ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं इसलिए बेटी की हालत, डॉक्टरों के चक्कर, कई तरह की जांच देखकर और अस्पताल में अंग्रेजी के भारी-भरकम शब्दों को सुनकर हताश हो जाती हैं।
रोज़ी खातून बताती हैं, “हर दिन की तरह 23 सितंबर को दोनों स्कूल जा रहे थीं, तभी अचानक एक मनचला लड़का बहुत स्पीड में मोटरसाइकिल चलाते हुए सामने आ गया। रेशमी ने बचने की काफी कोशिश की, लेकिन एक्सीडेंट हो गया। इसके बाद दूसरी छात्राओं के सहयोग से उसे अस्पताल तक ले गए।”
आगे रेशमी खातून की मां कहती हैं कि एक तो लड़कियों का हाई स्कूल है, जिसके लिए स्कूल प्रबंधक को बच्चियों की सेफ्टी का ध्यान रखना चाहिए था, लेकिन स्कूल के नजदीक इतना बड़ी घटना हो जाने के बाद भी किसी शिक्षक ने उसकी खबर नहीं ली और ना ही किसी शिक्षक ने फोन कर हालचाल पूछा। स्कूल में सीसीटीवी भी नहीं लगा है।
मैं मीडिया की टीम जब आजमनगर थाने से कुछ ही दूरी पर स्थित प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय पहुंची और लड़कियों से इस मामले पर बात करना चाहा तो लड़कियों ने स्कूल की कई कमियां गिना दीं और स्कूल प्रबंधन पर सीधे सवाल उठाए।
स्कूल में लगभग 900 छात्राएं पढ़ती हैं लेकिन व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है।
अमन खातून नाम की छात्रा ने बताया कि स्कूल कि एक-दो किलोमीटर के दायरे में मनचले लड़के बैठे रहते हैं और स्कूल आती-जाती छात्राओं पर भद्दे कमेंट करते हैं और अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं।
छात्राओं के मुताबिक, कुछ लड़के मोटरसाइकिल लेकर चक्कर लगाते रहते हैं और स्कूल आती लड़कियों के पास आकर जोर से ब्रेक मारते हैं या हॉर्न मारते हैं या फिर एक्सीलेटर घुमाते हैं। जिग-जैग मोटरसाइकिल चलाकर लड़कियों को परेशान करते हैं। इन्हीं सब को देख कर कुछ लड़कियां सप्ताह में कुछ ही दिन क्लास आती हैं या फिर एग्जाम देने आती हैं।
900 छात्राओं वाले स्कूल के किसी भी शौचालय में पानी नहीं
उसी स्कूल की छात्रा ज्योति कुमारी कहती हैं, “वैसे तो हमारा स्कूल बाहर से बहुत खूबसूरत दिखाई देता है, लेकिन हमारे स्कूल के अंदर शौचालय में कभी पानी नहीं रहता है। स्कूल के ग्राउंड में एकमात्र चापाकल है वहां से बाल्टी में पानी लेकर आना पड़ता है।”
स्कूल की एक अन्य छात्रा हनी खातून और कुछ छात्राओं ने बताया कि वे लोग स्कूल के शौचालय इस्तेमाल नहीं करते हैं। कभी शौचालय इस्तेमाल करना हुआ तो घर चले जाते हैं या आसपास जान पहचान वाले घर में जाते हैं क्योंकि स्कूल के शौचालय में नल तो लगा है लेकिन उसमें पानी नहीं है।
लड़कियों के स्कूल में पुरुष यूरिनल
‘मैं मीडिया’ की टीम जब शौचालय में गई तो वहां की हालत बेहद खराब दिखी। शौचालय के अंदर मिनरल वाटर की खाली बोतलें पड़ी हुई थीं, जिनका इस्तेमाल इमरजेंसी में छात्राओं द्वारा किया गया था।
सबसे अजीब बात यह रही कि लड़कियों के लिए बनाए गए हाईटेक स्कूल भवन के सभी शौचालयों में पुरुषों वाले यूरिनल लगे हुए हैं।
पांच सालों से धूल फांक रहा 50 बेड का छात्रावास
लगभग 5 साल पहले इसी स्कूल में 50 बेड का एक शानदार छात्रावास भवन बनकर तैयार हुआ, लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी छात्रावास शुरू नहीं हो पाया है।
उस समय के विधायक विनोद सिंह ने इस छात्रावास का उद्घाटन किया था। स्कूल के मेन गेट के ऊपर लगे बोर्ड में भी पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह का नाम लिखा है।
आसपास के कुछ ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल मेन मार्केट से दूर शांत जगह में होने के कारण बहुत कम लोगों की नजर इस पर जाती है। इस कारण इसका फायदा स्थानीय विधायक और नेताओं के लोग उठाते हैं। वे शादी विवाह में भी स्कूल के कैंपस और भवन का उपयोग करते हैं। बड़े नेताओं से स्कूल प्रशासन पर दबाव बनाया जाता है, ताकि डर कर स्कूल प्रशासन अनुमति दे दे।
स्कूल के एक कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जिले से बड़े नेता और विधायक के लोग फोन कर शादी विवाह के लिए चाबी मांगने का दबाव बनाते हैं और कई बार ऐसा हुआ भी है।
पानी की टंकी कई सालों से खराब है, लेकिन कई बार प्रिंसिपल को कहने के बावजूद ठीक नहीं करवाया गया।
प्रिंसिपल ने क्या कहा
जब हमने इन सभी बिंदुओं पर स्कूल के प्रिंसिपल विनोद कुमार से बात की, तो उन्होंने स्कूल का उपयोग शादी विवाह के मौके पर करने के आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि ऐसी कोई बात हमारे यहां रहते नहीं हुई है। जहां तक स्कूल में पानी की व्यवस्था की बात है तो एक महीने के अंदर ठीक कर दिया जाएगा।
“लॉक डाउन के दौरान जब स्कूल को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था, उसी दौरान मजदूर ने टंकी को तोड़ दिया था, लेकिन अब इसे एक महीने के अंदर ठीक कर लिया जाएगा,” उन्होंने कहा।
वह आगे कहते हैं, “छात्रावास के लिए हमने कई बार विभाग को चिट्ठी लिखी है कि छात्रावास में बेड नहीं है। साथ ही गार्ड, वार्डन और रसोइया देने की मांग विभाग से की है जिसका जवाब नहीं मिला है।”
“जहां तक मनचलों की बात है, तो वे कई बार हम लोगों को भी गाली देकर मोटरसाइकिल से भाग जाते हैं। हमने थाने को भी इस बारे में बताया था, लेकिन चौकीदार के जाने के बाद वे फिर बदमाशी करने लगते हैं। कुछ लड़कियां शिक्षकों की बात ना मानते हुए स्कूल के बाहर आइसक्रीम या गोलगप्पे के दुकान पर चली जाती हैं, जिससे मनचलों का काम आसान हो जाता है,” उन्होंने बताया।
क्या कहती है आजमनगर पुलिस
मनचलों की बदमाशी को लेकर जब हमने आजमनगर के थाना प्रभारी राजीव कुमार झा से पूछा तो उन्होंने बताया कि मामला संज्ञान में आते ही पुलिस गश्ती गाड़ी को स्कूल के आस-पास विशेष रूप से जाने के लिए कहा गया है और साथ ही चौकीदारों को भी लगाया गया है।
कुछ दिन पहले दो मनचलों को पुलिस ने पकड़ा था, जो सालमारी के थे। उनसे जरूरी पूछताछ के बाद चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।
स्थानीय नेता शाह फैसल और समाजसेवी अजहर निजामी ने कहा कि प्रोजेक्ट हाई स्कूल आजमनगर का एक बेहतरीन स्कूल है, लेकिन इसमें कुछ कमी है। जैसे गर्ल्स स्कूल में सिर्फ दो ही महिला शिक्षक हैं और पूरे स्कूल में सिर्फ एक ही चापाकल है।
“वर्तमान समय में सीसीटीवी महिला सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है इसलिए स्कूल में सीसीटीवी को प्राथमिक जरूरत मानते हुए लगाया जाए। साथ ही स्कूल के पीछे अधूरी बाउंड्री को पूरा किया जाए और बुनियादी जरूरतों को बहाल किया जाए ताकि लड़कियां भयमुक्त होकर शिक्षा ग्रहण कर सकें,” उन्होंने कहा।
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