Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

क्या चुनावी रंजिश में भीड़ के सामने काट दी गई लड़की की नाक?

पटना से ढाई सौ किलोमीटर दूर सुपौल जिले की लाउढ़ पंचायत में 19 मार्च की देर रात मोहम्मद मुर्तजा की बेटी आसमीन परवीन को बाल पकड़ कर घसीटते हुए मारा गया।

Rahul Kr Gaurav Reported By Rahul Kumar Gaurav |
Published On :
Girls nose chopped off in Bihar's Supaul Panchayat Election rivalry

बिहार की राजधानी पटना से ढाई सौ किलोमीटर दूर सुपौल जिले (Supaul News) की लाउढ़ पंचायत में 19 मार्च की देर रात मोहम्मद मुर्तजा की बेटी आसमीन परवीन को बाल पकड़ कर घसीटते हुए मारा गया। फिर भाला से हमला कर उसकी नाक काट दी गई। जिस वक्त इस घिनौने काम को अंजाम दिया जा रहा था, उस वक्त घटनास्थल पर 40 से 50 लोग मौजूद थे।


बताया जाता है कि ये सब सिर्फ़ इसलिए किया गया कि पीड़ित महिला के परिवार ने छेड़खानी का विरोध किया था।

Also Read Story

अररिया: जमीन विवाद में मारपीट, 5 जख्मी, दो दर्जन लोगों पर एफआईआर

बिहार: पूर्णिया में कुख्यात इनामी डकैत बाबर का एनकाउंटर, छह अपराधी गिरफ्तार

बिहार: DSP की गाड़ी से हादसे में महिला की मौत, जान की कीमत लगी ₹3.3 लाख

किशनगंज में सक्रिय सेक्सटॉर्शन गैंग, बेडरूम तक ले जाकर ऐंठता है लाखों

बांग्ला पक्खो: पश्चिम बंगाल में हिंदी भाषियों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले लोग कौन हैं?

कटिहार में महादलित बच्चे की निजी स्कूल में जातिसूचक शब्दों के साथ पिटाई का आरोप

पूर्णिया में CBI का फर्जी पहचान पत्र और चार आधार कार्ड के साथ ठग गिरफ़्तार

पूर्णिया में पप्पू यादव के कार्यकर्ताओं पर फायरिंग

बिहार के नवादा में जमीन कब्जाने के लिए जलाई महादलित बस्ती, फायरिंग – बमबारी

पीड़िता आसमीन परवीन ‘मैं मीडिया’ को घटना के बारे में विस्तार से बताती हैं, “उस समय घर में सिर्फ महिलाएं थीं। अब्बा और चाचा बगल में ही एक दावत में शामिल होने गए थे। रात के 9-10 बजे अचानक घर में लाठी और भाला लेकर 30-35 लोग घुस आए और तोड़फोड़ मचाने लगे। भीड़ का नेतृत्व सरपंच मो. मुस्तकीन और उसका भाई नौशाद कर रहा था। भीड़ में शामिल लोगों ने हम लोगों से छेड़खानी और दुष्कर्म का प्रयास करने लगा। हम सहमे थे, इसके बावजूद हमने विरोध किया। उन्होंने मेरे बाल पकड़ कर घसीटना शुरू कर दिया। तभी अब्बा भी आ गए। उन पर फरसा से हमला कर हाथ काट दिया। इसके बाद फिर हम भागने का प्रयास करने लगे, तो सरपंच ने भाला से मेरी नाक काट दी।”


Aasmin Parween

“मैं इंटर में पढ़ती हूं। मेरी छोटी बहन नवमी क्लास में पढ़ती है। कुछ दिन पहले सरपंच के गोतिया इलियास का बेटा मेरी छोटी बहन के चरित्र को लेकर अफवाह फैला रहा था। मेरी अम्मा ने इसका विरोध किया था। इसके बाद दोनों घर की महिलाओं में कहासुनी हुई थी। इसी को लेकर सरपंच ने हमारे और हमारे परिवार के साथ ऐसी बेरहमी की है” आगे पीड़िता बताती हैं।

क्या जमीन विवाद है घटना की वजह?

पीड़िता के पिता मोहम्मद मुर्तजा बताते हैं, “उस भीड़ का मकसद मेरी बेटी का इज्जत लूटना था। हो-हल्ला होने पर ग्रामीण जुटने लगे, इसलिए सब भाग गए। जाते-जाते भी वे लोग घर से नगद 50 हजार और बक्शा लेकर फरार हो गये। हम लोग न्याय की उम्मीद लिए बैठे हुए हैं।” पूरे मामले में लड़की के पिता ने सरपंच मो. मुस्तकीम सहित सात लोगों को नामजद किया है।

Aasmin's father Murtaza

लड़की के परिवार के गोतिया जाकिर बताते हैं, “सच बात यह है कि दोनों परिवारों के बीच जमीन विवाद का मसला चल रहा है। लेकिन उस दिन तो ऐसी कोई बात नहीं थी। औरतों के बीच लड़ाई हो रही थी। इसमें भीड़ लाकर किसी दूसरे के घर पर हमला करना कौन सी मर्दानगी है। पता नहीं उस दिन की लड़ाई को क्यों जमीन विवाद से जोड़ा जा रहा?”

इस घटना के बाद आसमीन के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। नाक कट जाने के चलते वह और उसका परिवार सदमे में है कि अब उससे शादी कौन करेगा और इस स्थिति में वह सार्वजनिक जगहों पर कैसे जा सकेगी।

पीड़िता की चाची रोते हुए बताती हैं, “इस सारी लड़ाई में उस लड़की की क्या गलती है? लड़ाई पहले भी होती थी, लेकिन इस तरह 30-40 लोग लेकर किसी के घर चले जाना और बच्ची का नाक काट देना काफी शर्मनाक है। क्या सरपंच अब अपने बेटे या भतीजा से इस लड़की की शादी कराएगा?”

क्या कहते हैं सरपंच व पुलिस

लगातार चार बार से पंचायत के सरपंच मो. मुस्तकीम खुद पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए ‘मैं मीडिया’ को बताते हैं, “वे लोग मेरी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। यह सारी घटना चुनावी रंजिश और जमीन विवाद को लेकर है ना कि रेप और लूटपाट को लेकर। मेरे विरोध में खड़ा हुआ सरपंच प्रत्याशी फिरोज आलम और पंचायत समिति प्रत्याशी भी इस सारे कांड में शामिल हैं। चुनाव के बाद गांव का माहौल ही बदल चुका है। लड़की का पिता मोहम्मद मुर्तजा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर दीवार बना रहा था। इस बात की शिकायत मैंने सीओ से भी की थी।”

Sarpanch Mustaqim

“साथ ही इस घटना से पहले तीन लड़कियाें को गलत हरकत करते मेरे परिवार के लड़कों ने पकड़ा था। इसके बाद से ही साजिश और गुटबाजी का खेल शुरू हो गया था। 19 मार्च को मैं उसके घर पहुंचा तो वे लोग अपशब्द कहने लगे और मारपीट की। उस बच्ची के नाक काटने का आरोप बेबुनियाद है। सब साजिश का एक हिस्सा है। हमारे भी सात लोग घायल हो चुके हैं। लेकिन मीडिया और अखबारों में इस बात को कहीं भी दिखाया नहीं जा रहा है। कोई भी मीडिया मेरा पक्ष नहीं रख रहा है,” सरपंच बताते है।

सदर थानाध्यक्ष मनोज महतो ने घटना के संबंध में कहा, “पीड़िता के पिता की शिकायत पर केस दर्ज कर पुलिस कार्रवाई में जुट गई है। सरपंच की ओर से भी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। जिसके अनुसार उन पर और उनके समर्थकों पर भाला और लाठियों से हमला किया गया। इस हमले में तीन लोग घायल हो गए हैं। हम लोग सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं। आरोपी जल्द से जल्द सलाखों के भीतर होंगे।”

पंचायत चुनाव के बाद क्या वर्चस्व का संघर्ष बढ़ा है?

गांव के 65 वर्षीय जैबार बताते हैं, “चुनाव के बाद से ही गांव में दो गुट बन चुका है। इस सारी घटना से पहले सरपंच और पीड़िता के परिवार के बीच जमीन विवाद का मामला भी चल रहा था। कुछ दिन पहले ही दोनों गुटों के बीच लड़ाई भी हुई थी, जिसमें 7 लोगों का सर फूट गया था। आज जो हुआ, इस नफरत का बीज चुनाव के बाद ही बोया जा चुका था।”

बिहार में पिछले साल हुए पंचायत चुनावों के बाद अब तक 6 मुखिया की हत्या हो चुकी है। कई वार्ड मेंबर भी मारे गए हैं। वार्ड सचिव के चुनाव को लेकर कई जगह मारपीट का सिलसिला लगातार जारी रहा। वार्ड मेंबर के वित्तीय अधिकारों में हुई बढ़ोतरी के चलते अब तक बेमतलब पद समझे जाने वाले वार्ड मेंबर और पंच के लिए चुनावी संघर्ष तेज हो गये।

Bihar Panchayat Election Violence

सुपौल जिले के सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आरके मिश्रा भागलपुर पुलिस अधिक्षक और दरभंगा में आईजी पद पर लंबे समय तक कार्य कर चुके हैं। आरके मिश्रा ‘मैं मीडिया’ से बताते हैं, “पंचायत चुनाव में पहले भी बाहुबल और धनबल का खेल होता था। लेकिन इस चुनाव ने सबको पीछे छोड़ दिया है। ग्राम पंचायतों के विकास के लिए सरकार की तरफ से फंड की व्यवस्था पहले से ज्यादा की गई है। साथ ही कोरोनावायरस की वजह से देश में बेरोजगारी चरम पर है। इन दोनों वजहों ने बिहार पंचायत चुनाव को युद्ध मैदान बना कर छोड़ दिया है। इन सब के बावजूद इस बार पंचायत चुनाव में 80 से 90% नए मुखिया बनकर आए हैं।”

वहीं, बिहार की राजनीति को नजदीक से जानने वाले ‘केवल सच’ पत्रिका के संपादक बृजेश मिश्रा कहते हैं,”पहले वार्ड चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं लेता था। लोग निर्वरोध चुने जाते थे, लेकिन इस बार बहुत लोग खड़े हुए। इस सब के बाद वार्ड सचिव का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से कराने के फैसले ने गांवों के माहौल को और बिगाड़ दिया है। आज बिहार का शायद ही कोई ऐसा गांव है, जहां मतभेद अपने चरम सीमा पर नहीं हो।”

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

एल एन एम आई पटना और माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर बिहार से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

Related News

पूर्णिया में युवक ने पत्नी को बंधक बना कर की फायरिंग, पुलिस ने 5 घंटे बाद किया गिरफ्तार

कटिहार में मुखिया पति-पुत्र को ग्रामीणों ने बंधक बनाया, पुलिस ने कराया मुक्त

बिहार: 31 किलो गांजा के साथ तीन तस्कर गिरफ्तार, रेल की चादर भी बरामद

किशनगंज में बजरंग दल की दबंगई, प्रेमी युगल व गॉर्ड से की अभद्रता!

अररिया से भाजपा सांसद प्रदीप सिंह को जान से मारने की धमकी, 10 लाख रंगदारी की मांग

अररिया रानीगंज मार्ग पर युवक की गोली मारकर हत्या

अररिया: बाइक चोरी के आरोपी युवक के गुप्तांग में डाला मिर्च पाउडर, एक गिरफ्तार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

चचरी के सहारे सहरसा का हाटी घाट – ‘हमको लगता है विधायक मर गया है’

अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस पर प्रदर्शन – सिर्फ 400 रुपया पेंशन में क्या होगा?

फिजिकल टेस्ट की तैयारी छोड़ कांस्टेबल अभ्यर्थी क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन?

बिहार में पैक्स अपनी ज़िम्मेदारियों को निभा पाने में कितना सफल है?

अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती किशनगंज की रमज़ान नदी