कटिहार। बिहार (Bihar News) के सीमांचल (Seemanchal) का एक बेहद पिछड़ा जिला। इसके पिछड़ेपन का अंदाजा इस बात से भी लग जाता है कि बैकवार्ड रिजन्स ग्रांट फंड (Backward Regions Grant Fund) के तहत इस क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए अलग से भी फंड मिलता है।
इस लिहाज से इस जिले का जिक्र विकास कार्यों में तेजी और विकास के मानकों में सुधार के लिए होना चाहिए। मगर इसका जिक्र पूर्वोत्तर भारत में गांजे की तस्करी (Ganja smuggling) का एक बड़ा नेटवर्क चलाने वाले के मुखिया के पनाहगाह के रूप में हो रहा है।
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पिछले साल नवम्बर में किशनगंज (Kishanganj) की पुलिस ने छापेमारी कर लगभग 600 किलोग्राम गांजे की खेप पकड़ी थी। मामले की जांच शुरू हुई, तो इसका नेटवर्क कटिहार (Katihar) जिले से भी जुड़ा था।
पिछले कुछ सालों में एकसाथ इतनी भारी मात्रा में गांजे की खेप की ये संभवतः पहली घटना थी। इस बरामदगी ने पुलिस को भी हैरत में डाल दिया था।
मामला के संगीनता का अंदाजा इस बात से भी लग जाता है कि गांजे की बरामदगी के बाद मामला नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के हवाले कर दिया गया था। पुलिस तो चौकन्ना थी ही, एनसीबी (NCB) के अधिकारी भी कटिहार और किशनगंज में पैनी नजर रखे हुए थे।
एनसीबी के अधिकारियों ने दबिश देकर इस नेटवर्क के सरगना को सोमवार को किशनगंज से दबोच लिया। गिरफ्तार व्यक्ति का नाम राजेश कुमार पंडित उर्फ राजू (Rajesh Kumar Pandit urf Raju) है। एनसीबी के सूत्रों की मानें, तो राजेश से पूछताछ के बाद पूर्वोत्तर में भी कई गिरफ्तारियां हो सकती हैं, क्योंकि राजेश ने पूर्वोतर में गांजे की तस्करी का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया था और इस नेटवर्क से बहुत सारे लोग जुड़े हुए हैं।
ट्रक में विशेष तहखाना बनाकर करता था तस्करी
राजेश गांजे की तस्करी का जो नेटवर्क संचालित कर रहा था, वो न तो छोटा था और न ही राजेश इस धंधे में नया। उसके पास नायाब तरीके थे तस्करी के, जिससे पुलिस को भनक तक नहीं लगती थी और बेहद आसानी से तस्करी का नेटवर्क फूल-फल रहा था। दरअसल, गांजे की तस्करी जिन ट्रकों से की जाती थी, उनमें एक विशेष प्रकार का तहखाना बनाया गया था।
पिछले साल नवम्बर में हुई कार्रवाई के संबंध में एसडीपीओ अनवर जावेद अंसारी ने कहा था, (तत्कालीन) एसपी कुमार आशीष को गांजा तस्करी को लेकर एक गुप्त सूचना मिली थी। इसको लेकर किशनगंज टाउन थाना क्षेत्र के फारींगगोला चेक पोस्ट के समीप पुलिस ने निगरानी तेज कर दी थी, जहां से एक ट्रक को पकड़ा गया था।
जब ट्रक की पड़ताल कि गई तो ट्रक के डाला के ऊपर लोहे की एक चादर को पेंच से टाइट कर एक तहखाना बनाया गया था। चादर को हटाया गया, तो उसके भीतर से 600 किलोग्राम गांजा बरामद हुआ। अंतराष्ट्रीय बाजार में इस गांजे की अनुमानित कीमत लगभग एक करोड़ पच्चास लाख रूपये है।
पुलिस ने बताया कि जांच में ट्रक से दो नंबर प्लेट भी बरामद किये गये, जिससे लगता है कि पुलिस से बचने के लिए ट्रक में अलग अलग समय पर अलग अलग नंबर प्लेट इस्तेमाल किया जाता था। ट्रक को जब्त कर उसके ड्राइवर मोती मोदी को गिरफ्तार कर लिया गया था। गांजे से भरे ट्रक को त्रिपुरा से कटिहार लाया जा रहा था, जहां से अन्यत्र भेजने की योजना थी।
किशनगंज टाउन थाने के थानाध्यक्ष सतीश कुमार हिमांशु 10 नवंबर की कार्रवाई के संबंध में अपने आवेदन में लिखते हैं, “10 नवम्बर की शाम 6.20 बजे टीम फारिंगगोला पहुंची और बैरियर लगाकर वाहन की चेकिंग करने लगी। शाम करीब 7 बजे सिलीगुड़ी से एक ट्रक आता दिखा। उस ट्रक को रुकने का इशारा किया गया, तो ट्रक ड्राइवर ने ट्रक नहीं रोका और भागने की कोशिश की। कुछ दूर पीछा करने के बाद ट्रक को पकड़ लिया गया और ड्राइवर को गिरफ्तार ट्रक की जांच की गई, तो तहखाने से गांजे के 57 पैकेट बरामद हुए।”
गांजे की बरामदगी को लेकर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 414/467/468/120(बी) और एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/20(बी)(ii)(सी)/25 के तहत किशनगंज टाउन थाने में एफआईआर दर्ज कराई।
200 किलोमीटर दूरी तय करने के लिए एक लाख रुपए
ड्राइवर मोती मोदी को गांजे की खेप सिलीगुड़ी से कटिहार पहुंचाने के लिए एक लाख रुपए देने का वादा किया गया था। सिलीगुड़ी से कटिहार की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है मगर इतनी दूरी के लिए इतनी बड़ी रकम मोती के लिए फायदे का सौदा लगा और वह आसानी से इसके लिए तैयार हो गया।
पुलिस सूत्रों ने कहा, “इस गिरोह का एक सदस्य मंटू भी है, जो अगरतल्ला का रहने वाला है। जो ट्रक बरामद हुआ था, वो मंटू और एक अनाम व्यक्ति का था।”
मोती मोदी ने पुलिस को बताया था कि ट्रक में उसके साथ मंटू और एक अन्य व्यक्ति भी था, लेकिन फारिंगगोला पहुंचने से ऐन पहले दोनों ट्रक से उतर गये थे और कटिहार में मिलने की बात कही थी। इससे लगता है मंटू को इसकी भनक लग गई थी कि रास्ते में पुलिस की जांच चल रही है।
एनसीबी के हवाले हुआ केस
इस भारी खेप की बरामदगी ने पुलिस को अचम्भे में डाल दिया था और उन्हें एहसास हो गया था कि इसका नेटवर्क बड़ा हो सकता है। इसलिए पुलिस ने मामले को एनसीबी के हवाले कर दिया। एनसीबी ने भी मामले की गंभीरता समझी और एनसीबी की टीम सीमांचल में सक्रिय हो गई। ड्राइवर से मिले इनपुट्स और जांच में तस्करी गिरोह के सरगना के किशनगंज में छिपे होने की सूचना मिली। इन पुख्ता सूचनाओं के आधार पर सोमवार को एनसीबी की टीम ने किशनगंज में छापेमारी कर गांजा तस्कर गिरोहों के मुख्य सरगना राजेश कुमार पंडित उर्फ राजू को गिरफ्तार कर लिया।
एनसीबी के मुताबिक, राजेश कुमार पंडित कटिहार जिले के फलका थाना क्षेत्र के विष्णुचक का रहने वाला है और लंबे समय से गांजा तस्करी नेटवर्क चला रहा है। वह बिहार के साथ साथ पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय, असम व अन्य राज्यों में भी तस्करी को अंजाम दे रहा था। वह लंबे अरसे से कटिहार में बैठकर गांजा तस्करी का नेटवर्क चला रहा था।
एनसीबी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गिरफ्तार राजू का नेटवर्क काफी मजबूत था। एनसीबी ने मंगलवार को सदर अस्पताल में राजेश का मेडिकल कराया और किशनगंज न्यायालय में पेश कर पूछताछ के लिए रिमांड पर ले लिया। एनसीबी के टीम उसे पटना ले गई है, जहां उससे गहन पूछताछ की जाएगी। माना जा रहा है कि पूछताछ और भी कई सनसनीखेज खुलासा हो सकता है और पूर्वोत्तर से भी इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां की जा सकती हैं।
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