बिहार में चल रहे पंचायत चुनावों में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आ रही हैं और कुछेक मामलों में तो मामला पटना हाईकोर्ट में भी जा चुका है।
उम्मीदवारों ने बैलेट पेपर में क्रमांक और चुनाव चिन्ह में गड़बड़ी के साथ ही चुनाव परिणामों की घोषणा में खामियों का आरोप लगाया है।
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ऐसे ही अररिया जिले के भरगामा प्रखंड में पैकपार पंचायत में सरपंच पद के उम्मीदवार बैजनाथ मंडल ने बैलेट पेपर और फिर चुनाव के बाद परिणाम की घोषणा में व्यापक स्तर पर खामियों का आरोप लगाते हुए पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है।
पैकपार पंचायत में सरपंच पद के लिए वोटिंग 29 सितंबर को हुई थी। इस पद के लिए सात उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें एक बैजनाथ मंडल भी थे। उन्हें निर्वाचन आयोग ने क्रमांक संख्या तीन और चुनाव चिन्ह नल दिया था।
बैजनाथ मंडल बताते हैं,
“मैंने प्रचार सामग्रियों में अपना क्रमांक संख्या तीन और चुनाव चिन्ह नल रखा। वोटरों के बीच भी मैंने यही प्रचार किया कि मेरा क्रमांक संख्या तीन और चुनाव चिन्ह नल है। लेकिन वोटिंग के दिन मालूम चला कि बैलेट पेपर में मेरी क्रमांक नंबर और चुनाव चिन्ह बदल दिया गया है।”
वे बताते हैं,
“वोटिंग शुरू होने के तुरंत बाद ही मेरे समर्थकों ने मुझे बताया कि बैलेट पेपर में मेरा नाम दूसरे नंबर पर डाल दिया है और मेरे चुनाव चिन्ह (नल) की जगह मोटरसाइकिल का चिन्ह है। तीसरे क्रमांक पर एक अन्य उम्मीदवार मो. तेतर का नाम था और उनके चुनाव चिन्ह की जगह मेरा चुनाव लगा दिया गया था।”
बैजनाथ मंडल ने इसको लेकर तुरंत निर्वाचन पदाधिकारी को शिकायत की और वोटिंग रद्द करने को कहा, लेकिन उनका कहना है कि निर्वाचन पदाधिकारी ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने कहा,
“निर्वाचन पदाधिकारी ने मुझसे कहा कि वोटिंग होने दीजिए, कोई दिक्कत नहीं होगी।”
वोटों की गिनती दो अक्टूबर को की गई। पहले बताया गया कि बैजनाथ को 528 वोट और मो. तेतर को 1424 वोट मिले हैं। लेकिन बाद में निर्वाचन आयोग ने आंकड़ा जारी कर बताया कि बैजनाथ को 1344 और मो. तेतर को 549 वोट मिले हैं। 1651 वोटों के साथ राजकुमार ने सरपंच पद पर जीत हासिल की है।
मंडल का सवाल है कि मुखिया पद के लिए कुल 5696 वोट पड़े थे, जबकि सरपंच पद के लिए केवल 4958 वोट ही पड़े थे, तो बाकी 768 वोट कहां गये?
वे कहते हैं कि बैलेट पेपर में क्रमांक और चुनाव चिन्ह बदल देने से उनके वोटर दिग्भ्रमित हो गये और इसी कारण उन्हें चुनाव में असफलता मिली।
मंडल के मुताबिक, उन्होंने रिटर्निंग ऑफिसर से मुलाकात कर आपत्ति दर्ज कराई, तो रिटर्निंग अफसर ने कहा कि आप अदालत जाइए, मामले को वहीं देखा जाएगा। इसके बाद उन्होंने डीएम साहब को भी आवेदन दिया, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
“यहां के पदाधिकारियों ने जब कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो तीन अक्टूबर को मैंने कोर्ट में रिट याचिका दायर की है और मैं चाहता हूं कि सरपंच पद के लिए दोबारा चुनाव कराया जाए,”
मंडल बताते हैं।
याचिका में उन्होंने अदालत से अपील की है कि वो निर्वाचन आयोग को पैकपार पंचायत में सरपंच पद पर हुए चुनाव को रद्द करने और चुनाव की नई तारीख घोषित करने का आदेश दे।
इस मामले को लेकर अन्य उम्मीदवार मो. तेतर ने भी निर्वाचन पदाधिकारियों को चिट्ठी लिखकर वोटिंग रद्द कर नई तारीख का ऐलान करने की मांग की है।
दूसरी तरफ, इसी ब्लाॅक की शंकरपुर पंचायत में भी वोटिंग में गड़बड़ी की शिकायत आई है। आरोप है कि इस पंचायत के वार्ड नं 10 में ईवीएम में वार्ड सदस्य के नाम और चुनाव चिन्ह मे उलटफेर हो गया था, तो इस वार्ड में वोटिंग कराये बिना ही परिणाम घोषित कर दिया गया।
मुखिया पद के उम्मीदवार मो. इस्माइल ने पत्र लिखकर कहा है कि पूरे वार्ड में वोटिंग कराये बिना ही रिजल्ट घोषित कर दिया गया है, जिस कारण वार्ड के वोटर मतदान के अधिकार से वंचित रह गये हैं।
इसी पंचायत के मुखिया पद के उम्मीदवार नगेंद्र कुमार ने निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि वार्ड नं. 10 में ईवीएम में उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिह्न में गड़बड़ी की शिकायत किये जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि उल्टे वोटरों पर चुनाव का बहिष्कार करने का आरोप लगाकर निर्वाचन पदाधिकारी ईवीएम लेकर चले गये।
इस वार्ड में तकरीबन 800 के आसपास वोटर हैं, जो वोट ही नहीं कर पाये।
यहां मुखिया, जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम कचहरी के सरपंच पद पर जीते उम्मीदवारों में जीत का अंतर बेहद कम है, इसलिए अन्य उम्मीदवारों का कहना है कि अगर 10 नंबर वार्ड में चुनाव हुआ होता, तो परिणाम बदल सकता था।
मुखिया पद पर जीते उम्मीदवार के वोट का अंतर केवल 95 है। नगेन्द्र कुमार को 555 वोट मिले हैं और वे दूसरे नंबर पर रहे। जीते उम्मीदवार को 650 वोट मिले हैं। वहीं, ग्राम कचहरी के सरपंच पद पर जीत का अंतर सिर्फ 198 वोट है। पंचायत समिति के पद पर सिर्फ़ 134 वोटों से कम के अंतर से जीत हुई है। जिला परिषद के पद पर भी 300 से कम वोटों के अंतर से जीत हुई है।
नगेन्द्र कुमार ने बताया कि पूरी पंचायत में मुखिया पद के लिए 22 उम्मीदवार मैदान में थे, इनमें से 7 उम्मीदवार वार्ड नंबर 10 से खड़े थे। वार्ड नं.10 मुस्लिम बहुल इलाका है।
10 नंबर वार्ड में चूंकि वोटिंग नहीं हो पाई, इसलिए वार्ड सदस्य और वार्ड पंच का चयन नहीं हो पाया है।
नगेन्द्र कुमार ने पत्र में लिखा है कि दोबारा वोटिंग न करवाना अधिकारियों के तानाशाही रवैये को दर्शाता है और ये लोकतंत्र पर आघात है।
वहीं, इसी प्रखंड की मनुलाहपट्टी पंचायत में ग्राम कचहरी के सरपंच पद की उम्मीदवार हलीमा खातुन ने कहा है कि वोटों की गिनती के वक्त उन्हें विजेता घोषित किया गया और बाद में परिणाम बदल कर किसी और को विजेता बना दिया गया।
उन्होंने निर्वाचन पदाधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि वोटों की गिनती से पहले प्रत्याशी और प्रस्तावक को कोई सूचना नहीं दी गई और उनकी गैर मौजूदगी में ही वोटों की गिनती शुरू कर दी गई थी।
उन्होंने कहा कि वोटों की गिनती के बाद उन्हें बताया गया कि वे जीत गई हैं और उन्हें जल्द ही सर्टिफिकेट दिया जाएगा, लेकिन कुछ देर बाद ही किसी और प्रत्याशी को विजेता घोषित कर दिया गया। “हमने जिला पदाधिकारी से दोबारा वोटिंग की मांग की, तो आश्वासन मिला कि वोटिंग होगी, लेकिन अब तक इसकी घोषणा नहीं हुई है,” उन्होंने कहा।
इस संबंध में मैं मीडिया ने जब बीडीओ रेखा कुमारी से संपर्क किया, तो सवाल सुन कर उन्होंने कहा कि बड़े अधिकारी का फोन आ रहा है, इसलिए वे थोड़ी देर में बात करेंगी। बाद में कॉल करने पर उन्होंने फोन नहीं उठाया।
ये सभी उम्मीदवार दोबारा वोटिंग की मांग पर अपने समर्थकों के साथ भरगामा प्रखंड कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं।
गौरतलब हो कि बिहार में ग्राम पंचायत और ग्राम कचहरी के 2.59 पदों के लिए चुनाव चल रहा है। इसके लइए 24 अगस्त को चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी की थी।
पिछले 24 सितंबर से चुनाव शुरू हुआ है और आखिरी चरण की वोटिंग 12 दिसम्बर को होनी है।
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