अपनी मामूली जरूरतों को पूरा करने के लिए भी अंजिला परवीन को आसपास के गावों में मांगने के लिए निकल जाना पड़ता है। कुल तीन लोगों के परिवार में अंजिला का पति बीमार है जो कोई काम नहीं करते, दस वर्षीय बेटा भी बीमार रहता है और पैसे के अभाव के कारण स्कूल नहीं जाता है।

चैन से सोने के लिए एक चारपाई तक मयस्सर नहीं हैं। ऊपर से घर की छत रिसने के कारण तीनों लोग घर के अहाते में सोने को मजबूर हैं। घर और आँगन में रात की रौशनी के लिए अहाते में एक LED बल्ब है और यही वह LED बल्ब है, जिसने NBPDCL के 9 हज़ार रुपये की बिजली खा गई।
आर्थिक तंगी और पाई-पाई को मोहताज इस परिवार पर विभागीय तुग़लकी का डर ऐसा सवार है कि लोगों से चंदा इकट्ठा कर बिजली बिल जमा किया है।
मामला दरअसल ऐसा है कि बिहार के किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत परलाबाड़ी पंचायत के लगभग 18 सौ उपभोक्ताओं के साथ विभागीय कर्मचारी ने लाखों रुपये का कथित घोटाला किया था। यानी की बिजली का मीटर रीड कर उपभोक्ताओं से पैसे तो वसूले जाते थे, लेकिन मीटर रीडर द्वारा विभागीय डेटाबेस में इसे जमा नहीं किया जाता था।
जब इसकी भनक परलाबाड़ी पंचायत के कुछ उपभोक्ताओं को लगी तो मामला पूरी पंचायत में आग की तरह फ़ैल गई। बात विभाग तक पहुंची तो आनन-फानन में मीटर रीडर को बहार का रास्ता दिखा कर नए मीटर रीडर की नियुक्ति कर दी गई। इसके बाद भी ग्रामीणों का विरोध जारी रहा। ग्रामीणों की एकमुश्त मांग थी कि घोटाला करने वाले शख्स को सजा हो और इस पंचायत के उपभोक्ताओं के नुकसान की भरपाई की जाए।
मामले को बढ़ता देख विभाग ने पूरी पंचायत के उभोक्ताओं के मीटर रीड करने का काम सितम्बर 2021 के बाद रोक दिया। इसी बीच ग्रामीणों के आवेदन पर विभाग की ओर से एक्शन लेते हुए 7 मई 2022 को छतरगाछ के कन्नीय अभियंता आज़ाद कुमार ने पहाड़कट्टा थाने में आवेदन दिया और नामजद आरोपित अमित कुमार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की गुजारिश की।
आवेदन के आधार पर 7 मई 2022 को ही FIR दर्ज हो गई। पुलिस ने एक्शन लेते हुए बाप्पा दास नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। आपको बता दें कि नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के लिए मेगा कैलिबर नामक कंपनी अपने नेटवर्क के जरिये बिजली बिल का रसीद देती और पैसा वसूलती है। इसी कंपनी के लिए अमित कुमार मीटर रीडिंग का काम करता था और बाप्पा दास एग्जीक्यूटिव के रूप में कार्यरत था।
इन कार्रवाई के बाद ही बिजली विभाग ने मीटर रीडिंग का काम दोबारा मई 2022 से शुरू कर दिया। उपभोगशक्ताओं को लगभग 8 महीनों बाद बिजली बिल मिल रही थी जिसे लेकर लोगों में काफी ख़ुशी थी, लेकिन यह ख़ुशी ज्यादा समय न टिक सकी। क्योंकि मात्र चंद महीनों का बिजली बिल हज़ारों में देख उपभोगताओं के होश उड़ गए।
मोहम्मद कासिम परलाबाड़ी पंचायत के ड़ेंगापार में रहते हैं। घर में मात्र दो लोग यानी मियां बीबी रहते हैं। अँधेरे कमरे में एक पंखा है और बरामदे में एक LED बल्ब। यही दो चीजों ने मात्र 8 महीनों में 58 हज़ार रुपये की बिजली खा गई।
बुजुर्ग कासिम मुश्किल से अपने घर का हल्का फुल्का काम कर पाते हैं, लेकिन 58 हजार रुपये का बिल आने से इस कदर परेशान हैं कि कमजोर लाचार होते हुए भी कई बार कार्यालय का चक्कर लगा चुके हैं और हताश हैं।
जन्नतुन निशा रोजाना एक हजार बीड़ी तैयार करती हैं, तो 150 रुपये मिलते हैं। उनके परिवार की कमाई बेहद कम है, इसलिए निशा को यह काम करना पड़ता है। अगर अचानक से किसी तरह का मोटा खर्च उन्हें करना पड़े, तो परिवार आर्थिक तौर पर धराशाई हो जाएगा।
अब इनका बिजली बिल 7 हजार रुपये से ज्यादा आ गया है। परिवार पशोपेश में है कि आखिर बिल कैसे चुकाया जाये।

सइदूर रहमान के घर में लगा बिजली मीटर पिछले 3 वर्षों से ख़राब है, इसके बावजूद उन्हें हर महीने औसतन 150 रुपये का बिजली बिल दिया जाता था। लेकिन मई 2022 में उन्हें हज़ारों में बिल थमाया गया है।
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जानकारी के लिए बता दें कि बिजली बिल में लिखे इस “MD” से तात्पर्य है कि बिजली मीटर डिफेक्टिव है यानी कि इसके द्वारा बताया गया कोई भी आकड़ा बिलकुल भी सही नहीं है।
ख़राब मीटर को लेकर हमने छतरगाछ के कनीय अभियंता से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके पास मीटर उपलब्ध नहीं है इसीलिए वह ख़राब मीटर बदल नहीं पा रहे हैं। नया मीटर आते ही ख़राब मीटर बदल दिए जाएंगे।
अधिक बिजली बिल को लेकर जब बिजली विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह बिल सुधार का मामला है। उन्होंने कहा कि जिनका भी आवेदन आएगा, उनकी जांच कराई जाएगी।
ख़राब मीटर की बात करें, तो परलाबाड़ी पंचायत के लगभग हर तीसरे उपभोक्ता का मीटर ख़राब है। ऐसे में यह सवाल जरूर उठता है कि विभाग द्वारा थमाया गया बिजली बिल शत प्रतिशत सही कैसे हो सकता है। और अगर सही नहीं है तो विभाग की ओर से पंचायत के उपभोक्ताओं के लिए कोई शिविर का आयोजन अब तक क्यों नहीं किया गया है।
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