सिंगल विंडो ऑपरेटर मल्टीपर्पज असिस्टेंट संघ के बैनर तले पांच सूत्री मांगों को लेकर डिस्ट्रिक्ट रेजिस्ट्रेशन एंड कॉउंसलिंग सेंटर (डीआरसीसी) के कर्मचारी 14 मार्च से चार दिनों के लिए हड़ताल पर चले गए हैं। सिंगल विंडो ऑपरेटरों की हड़ताल पर जाने से मेधावी और गरीब छात्र छात्राओं की परेशानी बढ़ गई है। डीआरसीसी दफ्तर पर काम से आए कई छात्र, छात्राओं को बैरंग लौटना पड़ रहा है। इसके अलावा डीआरसीसी का कामकाज भी हड़ताल के कारण पूरी तरह से ठप है।
मुख्यमंत्री के सात निश्चय में शामिल ‘आर्थिक हल युवाओं को बल’ जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने में इन कर्मचारियों की भूमिका अहम रहती है।
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ऑपरेटर संघ के सदस्यों ने कहा कि इन मांगों को लेकर सिंगल विंडो ऑपरेटर संघ के सदस्यों ने पिछले वर्ष काला बिल्ला लगाकर विरोध जताया था, लेकिन मांग पूरी न होने पर उन्हें मजबूरन चार दिवसीय हड़ताल पर जाना पड़ा।
कर्मियों का कहना है कि अगर राज्य सरकार ने इनकी मांगों को अभी भी नज़रअंदाज़ किया तो 17 मार्च के बाद पूरे बिहार के लगभग आठ सौ सिंगल विंडो कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
क्या हैं मांगें
इन कर्मियों की पांच मांगों में सबसे पहली मांग है कि उनके विभाग में चौधरी कमेटी का गठन कर पूर्ण रूप से लागू किया जाए।
दूसरी मांग मानदेय बढ़ाने की है जबकि तीसरी मांग है कि कर्मियों को गृह जिला या निकटवर्ती ज़िलों में स्थानांतरित किया जाए। चौथी मांग है कि क्षति-पूर्ति के रूप में कर्मियों के एक माह के मानदेय की कटौती वाली रकम ब्याज सहित लौटाई जाए।
पांचवी मांग 22 दिन कार्य करने पर एक दिन का अवकाश अर्जित करने का नियम समाप्त करने की है।
हड़ताल पर बैठे सिंगल विंडो ऑपरेटर मल्टीपर्पस असिस्टेंट संघ के सदस्य विकास कुमार पांडे ने कहा, “इन मांगों के लेकर राज्य के सभी ज़िलों के सिंगल विंडो ऑपरेटर 14 से 17 मार्च तक हड़ताल पर बैठे हैं और अगर आगे भी मांगें पूरी नहीं की गई, तो सरकार के आदेश का पालन करते हुए हम लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे।”
“हम लोग 2016 से यहां नियोजित हैं। 2015 में बिहार सरकार ने एक चौधरी कमेटी का गठन किया था, जिस कमेटी ने हमारे पक्ष में अनुशंसा लागू की था। हमें सरकार से कोई शिकायत नहीं है, लेकिन विभागीय पदाधिकारी की उदासीनता के चलते चौधरी कमिटी लागू नहीं हो पाई। और भी कई दिक्कतें हैं। मैं सिवान का हूँ और मुझे किशनगंज में पोस्टिंग दी गई है,” उन्होंने कहा।
वह आग कहते हैं, “सिवान उत्तरप्रदेश की सीमा के पास है और किशनगंज बंगाल की सीमा से सटा है। इतनी दूर परिवार से रहकर काम करते हैं। 20-22 हज़ार रुपए के मानदेय में गुज़ारा करना बहुत मुश्किल हो जाता है। ”
मांगों की सूची वरीय अधिकारियों को भेजी गई
वहीं, किशनगंज जिला निबंधन व परामर्श केंद्र के प्रबंधक कुमार नितिन ने बताया कि उनकी पांच सूत्री मांगों को वरीय अधिकारियों को भेजा जा चुका है और जैसा निर्देश वरीय अधिकारियों से प्राप्त होगा उसपर अमल किया जाएगा। उन्होंने कहा, “दफ्तर का कार्य पूर्ण रूप से बाधित है। कल जिला योजना पदाधिकारी आए थे, उनको सारे मामले से अवगत कराया गया है। यह मामला राज्य सरकार के स्तर का है, उधर से जैसे ही कोई निर्देश आएगा, उस हिसाब से कार्रवाई करेंगे। इसको लेकर हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि हड़ताल खत्म हो जाए। देखते हैं कि 18 तारीख के बाद क्या होता है।”
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