सिक्किम में यूं तो कई दिनों से ही गाहे-बगाहे मौसमी बारिश हो रही थी लेकिन बीते बुधवार की रात लगातार हुई बारिश काल साबित हुई। एक ही रात में 220 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई। उसकी वजह से तीस्ता नदी खतरे के स्तर से भी ऊपर उफन गई। इसे इसी से समझा जा सकता है कि गहरी खाई में बहने वाली नदी कई जगहों पर राजमार्ग के बराबर आ गई। यहां तक कि कई सड़कों पर भी चढ़ गयी। पहाड़ों पर जगह-जगह भूस्खलन होने लगे। कई घर नदी में समा गये।
कोसी नव निर्माण मंच ने बीते 30 जनवरी को सुपौल के बैरिया मंच से सत्याग्रह पदयात्रा की शुरुआत की जिसमें दर्जनों लोग ढाई सौ किलोमीटर पैदल चलकर राजधानी पटना पहुंचेंगे।
प्रदर्शन में शामिल भाकपा माले के नेता कुंदन यादव ने बताया कि बाढ़ पीड़ित परिवारों को मिलने वाली बाढ़ सहायता राशि में अंचल कर्मियों द्वारा जमकर धांधली कर हजारों राशन कार्डधारी लोगों को राशि से वंचित कर दिया है, जो बाढ़ पीड़ित परिवार के साथ सरासर अन्याय है।
महादलित बिनटोला में रह रहे कई परिवार लगातार हो रहे कटाव से चिंतित हैं। एक स्थानीय युवक ने बताया कि एक-डेढ़ महीने पहले अंचलाधिकारी ने कटावस्थल का निरीक्षण करने के बाद कहा था कि जल्द ही इसकी रोकथाम को लेकर काम शुरू किया जायेगा, लेकिन इतने दिन गुज़रने के बाद भी कुछ नहीं हुआ।
किशनगंज शहर के धर्मगंज, हॉस्पिटल रोड, रुईधासा, धोबी पट्टी और कजलामनी जैसे निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन चुके हैं। गृहिणी निरमा देवी ने बताया कि उनके घर में काफी पानी आ चुका है जिस कारण घर का सामान भीग चुका है और खाने पीने की कुछ व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
मंच ने अपनी 17 मांगों को लेकर इस धरना प्रदर्शन का आयोजन किया था। प्रदर्शन के बाद मंच ने डीएम के उपस्थित नहीं रहने की स्थिति में अंचल पदाधिकारी को अपना मांग पत्र सौंपा।
बाढ़ का पानी लोगों के मिट्टी के चूल्हों में घुस गया है, जिससे महिलाओं को खाने बनाने में काफी दिक्कत हो रही है। हर साल लोगों को अपना आशियाना छोड़ कर दूसरी जगह पलायन करना पड़ता है।
पानी में मोहल्ले का कूड़ा करकट रहता है जिससे बीमारी फैलने का खतरा रहता है। उन्होंने आगे कहा कि इस बात की जानकारी प्रशासन को दी गई थी, जिसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने खुद आकर स्कूल कैंपस में मिट्टी भरवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक इस पर कार्यवाई नहीं हुई।
कोसी बराज से 4 लाख 62 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण व्यथा का यह गीत लोगों की जुबां पर फिर से आ गया है। बराज से पानी छोड़े जाने से कोसी दियारा क्षेत्र में बाढ़ की प्रबल आशंका बन गई है। कोसी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि मुसलाधार बारिश से सैकड़ों लोगों के घरों में पानी घुस गया है। पानी का निकास नहीं होने से इलाके में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जलजमाव से ही पानी लोगों के घरों में घुस रहा है। ग्रामीणों का मानना है कि अगर जलजमाव की स्थिति उत्पन्न नहीं होती तो यह हादसा टल सकता था।
लोगों का कहना है कि यहाँ तक कि आपदा की घड़ी में भी यहाँ के सांसद या विधायक अवाम की समस्या से रूबरू नहीं होना चाहते हैं।स्थानीय लोगों ने प्रशासन से जल्द निर्माणाधीन सड़क की मरम्मत करने की गुहार लगाई है।
नाव पर कई शिक्षक भी सवार थे। नाव के पलटने से स्कूल की चाबी, लोगों का मोबाइल और बाकी सामान भी पानी में डूब गया। स्थानीय लोगों की मदद से कई महिलाओं और बच्चों को बचाया गया। नाव में सवार सभी यात्रियों को सफलतापूर्वक नदी से निकाल लिया गया है।