बिहार का कोसी दियारा इलाका, जहां आने जाने से लोग कतराते हैं और दूर-दूर तक कोई व्यक्ति नहीं दिखता, वहां उत्तर प्रदेश से लगभग 100 किसान आकर खेती कर रहे हैं।
हर साल उत्तर प्रदेश के शामली, बागपत व सहारनपुर जिलों से आए किसान यहां झोपड़ी बनाकर 6 महीने तक रहते हैं, और बाढ़ आने से एक महीना पहले अपने घरों को वापस लौट जाते हैं। किसानों ने बताया कि वह लगभग 150 एकड़ की जमीन को लीज पर लेते हैं और चार पांच प्रकार की फसल उगाते हैं जिसमें तरबूज, खीरा, ककड़ी व कद्दू शामिल हैं। फसल तैयार होने के बाद इसकी सप्लाई बंगाल और असम से लेकर त्रिपुरा तक की जाती है।
उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले से आए किसान इसरान खान बताते हैं कि यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस जमीन पर फसल नहीं रुक सकती है, लेकिन फिर भी हम लोग दिन रात मेहनत कर यहां फसल उगा लेते हैं।
बागपत से आए किसान यामीन बताते हैं कि तरबूज की खेती करना उनका कदीमी काम है जो उनके बाप दादा से चला आ रहा है। वह आगे बताते हैं कि वह परिवार समेत हर साल यहां आकर रहते हैं और यहां तक कि कई बार उनके परिवार के बच्चे भी इसी इलाके में जन्म लेते हैं।
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