सीमांचल में किसानों की आर्थिक समृद्धि का आधार मक्के की फसल को माना जाता है। पूर्णिया नगर क्षेत्र स्थित गुलाब बाग मंडी में पास और दूर दराज़ के कई व्यापारी मक्का खरीदने आते हैं। यहां का मक्का रेलवे के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है, जिससे सीमांचल के किसानों को मक्के का अच्छा मूल्य प्राप्त होता है लेकिन पिछले दिनों मक्के का मूल्य उचित दर से नीचे डोल रहा है जिससे मक्का किसानों में आक्रोश देखने को मिल रहा है।
स्थानीय किसानों का कहना है कि कुछ बड़ी कंपनी मक्का के मूल्य को कम करने के लिए रेक पॉइंट पर लगने वाले इंडेन को खरीद कर फ़र्ज़ी इंडेन लगा कर मक्का के मूल्य को कम कर रहे हैं। उनके अनुसार पूर्णिया जंक्शन पर मक्के का रेक नहीं लगा है जबकि कुछ बड़ी कंपनियों ने रेल विभाग के साथ सांठगांठ कर फेक इंडेन लगाकर बाजार में आने वाले मक्के की कीमत को प्रति कुंटल 300 से ₹400 कम कर दिया है और यही स्थिति रही, तो आने वाले दिनों में मक्के का मूल्य और गिरेगा।
किसान के साथ साथ कुछ स्थानीय व्यापारी भी फ़र्ज़ी रेक लगाने पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है कि बाहर से आने वाले जिन बड़े व्यापारियों को रेक मिलता है, वे अपने मन मुताबिक दाम पर मक्का बेचते हैं। जब तक उनका रेक खत्म नहीं हो जाता दूसरे व्यापारी को रेक नहीं मिल सकता।
स्थानीय व्यापारी सुरेंद्र भगत कहते हैं कि माफियाओं द्वारा फेक इंडेन लगाने की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “रेलवे को 4-5 बड़ी कंपनियों ने हाईजैक कर लिया है। इन बड़ी कंम्पनियों ने गिरोह बना लिया है । 2020 में मक्के का दाम 1400-1500 रुपये (प्रति क्विंटल) तक गिर गया था, मैंने गिरोह माफ़िया के विरुद्ध आवाज़ उठाई तो जांच करायी गयी और 2021 में मेरी बात सही साबित हुई।”
“मई 2021 में फेक इंडेन लगना बंद हुआ, तो दाम 1800-1900 रुपये हुआ। पिछले साल मक्का 2200-2300 रुपये हुआ, वह इसलिए हुआ क्योंकि गुलाब बाग के बहुत से छोटे छोटे व्यापारियों ने भी रेक लोड किया। एनएफ़ रेल में भाव 1500-1700 रुपये गिर गया है, ईसी रेल (EC) में अभी ऐसा नहीं हुआ है, इसमें अभी 2000 रुपये का भाव है। सारा खेल फेक इंडेन का है, पिछली बार जांच में ईसी रेल के घोटाले में कई लोग जेल भी गए थे,” उन्होंने कहा।
सुरेंद्र आगे कहते हैं, “हमने प्रधानमंत्री और रेलमंत्री सहित कई मंत्रियों को पत्र भेजा है। डीआरएम साहब के पास कल रेल मंत्री का पत्र भी आ गया है कि उचित जांच हो। यह 10-50 करोड़ का मामला नहीं है, हज़ारों करोड़ का घोटाला है। यही माफिया लोग मध्य प्रदेश में भी ऐसा किया, वहां भी किसान को उचित मूल्य नहीं मिला। किसान इतनी मेहनत से मक्के की फसल उगाता है कि इस पैसे से बेटी की शादी करेंगे या घर बनाएंगे लेकिन उसको उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।”
पूर्णिया जंक्शन के रेक पॉइंट पर काम कर रहे मजदूरों के ठेकेदार मदन कांत झा ने बताया कि 28 मार्च से अब तक एक भी रेक लोड नहीं हुआ है। मदन कहते हैं, “एक भी रेक लोड नहीं हुआ है। इस सीज़न में बोहनी ही नहीं हुआ है। डमी इंडेन लगा है, डमी इंडेन लगता है और खाली चला जाता है। डमी यानी फेक इंडेन लगा लेता है स्टेशन छेकने के लिए। छेक के रखता है स्टेशन के कोई दूसरा पार्टी प्रवेश न करे। पार्टी लोग 100-200 इंडेन लगाकर स्टेशन छेकता है ताकि दूसरा पार्टी सीज़न में एंटर नहीं कर सके।”
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वहीं माल लोड कर रहे विकास कुमार नामक एक मज़दूर ने कहा, “यहां नमक, चीनी, खाद लोड हो रहा है। मकई लोड नहीं हो रहा है। मकई उधर दूसरी जगह से होता होगा, इधर इस बार एक भी बोरी लोड नहीं हुआ है।”
स्थानीय किसान कैलाश यादव ने कहा कि रोज़ाना 200-300 रुपये तक मूल्य गिर रहा है, ऐसे में किसान बेहद परेशान हैं। कैलाश यादव ने कहा, “प्रत्येक दिन 200-300 कर के माल का रेट गिर रहा है। बाज़ार टूट रहा है और किसान बेचारा मर रहा है। किसान की स्थिति बहुत दयनीय है। इसका कारण है कि यहाँ रेक नहीं लग रहा है, यहां से माल बाहर नहीं जा रहा है इसलिए दाम गिर जा रहा है। इतनी बड़ी मंडी है गुलाब बाग की, लेकिन यहाँ यह स्थिति है। हम लोग यही मांग करेंगे कि किसान को उचित मूल्य मिले। खाद महंगा है, पानी महंगा है, सब कुछ महंगा ही है फिर भी हमको उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।”
कैलाश यादव जैसे दर्जनों मक्का किसान सरकार से उचित मूल्य देने की मांग कर रहे हैं।
एक और किसान सुबोध मेहता ने बताया कि गुलाब बाग मंडी में रोज़ाना हज़ारों टन मक्का पहुँचता है। “8 दिन पहले मक्के का भाव 2400 रुपये घंघंथा लेकिन अब 2000 हो गया है। पिछले साल सुरेंद्र भगत को 2300 में माल दिए थे। हर साल रेट बढ़ता है लेकिन अब रेट घट रहा है, पिछले साल से भी रेट घट गया है। सुरेंद्र भगत से बात किए वह बोले कि हमारा रेक नहीं है, अभी 100 रेक किसी और का लगा हुआ है। जिनका रेक लगा है वह मनमाना रेट में मक्का खरीद रहा है। हम किसान लोग जाए कहां, जिसको पूछ रहे हैं वही बोल रहा है कि 100 रेक उनका खत्म होगा तब हमलोग माल लेंगे। किसान परेशान है, किसान पूरी मंडी में घूम रहा है कि माल कहां बेचे और यहां ‘एकाधिकार चलता है, ” सुबोध ने कहा।
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Narsinghbag
bhai aise Mafia ko to sadak per utar kar maar Dena chahie
हम सरकार मांग करते है की इसके उपर जांच हो अभी गांव सभी छोटे-बड़े बेपारी 1700-1750 ले रहे हे