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बिहार में स्ट्रॉबेरी की खेती कर आत्मनिर्भर हो रहे किसान रहमान

जहां चाह वहां राह को साक्षात जीते अररिया के किसान अब्दुल रहमान स्ट्रॉबेरी की खेती कर सीमांचल के किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।

ved prakash Reported By Ved Prakash |
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जहां चाह वहां राह को साक्षात जीते अररिया के किसान अब्दुल रहमान स्ट्रॉबेरी की खेती कर सीमांचल के किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।

अररिया के आज़ाद नगर में रहने वाले किसान अब्दुर रहमान एन एच 57 टोल टैक्स प्लाज़ा के करीब रेतीली मिट्टी पर बेहद संयोजित तरीके से स्ट्रॉबेरी उगाते हैं। रहमान बताते हैं कि वह किसी काम से महाराष्ट्र गए थे, जहां उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती देखी और किसानों से बातचीत की‌। वहां उन्हें जानकारी मिली कि स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बलुआही या दोमट मिट्टी चाहिए। यह मिट्टी उन्हें अररिया में उनके खेत में ही मिल गई। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र से एक हज़ार पौधे लाकर 2022 में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती की।

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अब्दुर रहमान रोज़ाना खेत से 10 से 15 किल स्ट्रॉबेरी तोड़ कर बाजार में सप्लाई करते हैं। अभी वह केवल अररिया शहर के बाज़ारों में स्ट्रॉबेरी बेच रहे हैं, लेकिन वह आगे आसपास के अनुमंडल और ज़िलों में भी सप्लाई करना चाहते हैं।


अब्दुल रहमान बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए ख़ास ढंग से मट्टी को तैयार करना पड़ता है। खेती की मिट्टी को बारीक करने के बाद क्यारियां बनाई जाती हैं फिर उन क्यारियों की चौड़ाई डेढ़ मीटर और लंबाई 3 मीटर के आसपास रखी जाती है और उन्हें जमीन से 15 सेंटीमीटर ऊंचा बनाया जाता है। इन्हीं क्यारियों पर स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए जाते हैं। इसके बाद काले रंग की 50 माइक्रोन मोटाई वाली पॉलीथीन से क्यारियों को ढक दिया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसा करने से पैदावार में बढ़ोतरी होती है और मिट्टी में ज्यादा देर तक नमी बरकरार रहती है।

आमतौर पर स्ट्रॉबेरी की खेती पहाड़ी इलाकों में की जाती है क्योंकि इसके उत्पादन के लिए ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है। इसका पौधा कुछ ही महीनों में फल देने लायक हो जाता है। भारत में कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में खास तौर पर स्ट्रॉबेरी उगाए जाते हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों में भी स्ट्रॉबेरी का उत्पादन होता है। अब बिहार के अररिया में भी खेती की शुरुआत हो चुकी है।

स्ट्रॉबेरी दिल के मरीज़ों और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।

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अररिया में जन्मे वेद प्रकाश ने सर्वप्रथम दैनिक हिंदुस्तान कार्यालय में 2008 में फोटो भेजने का काम किया हालांकि उस वक्त पत्रकारिता से नहीं जुड़े थे। 2016 में डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। सीमांचल में आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं।

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