बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य में धुर्वीकरण की राजनीति के लिए तमाम हथकंडे अपनाये जा रहे हैं। बिहार में जब जब चुनाव करीब आता है, सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से मुस्लिम बाहुल्य जिला किशनगंज को बदनाम करने की तमाम कोशिशें की जाती हैं, ताकि बाकी जगहों पर इसका भय दिखा कर वोटों का धुर्वीकरण किया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी करते हैं फॉलो
बीते 10 फ़रवरी से X यानी ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफार्म पर कुछ ऐसा ही प्रयास किया जा रहा है। सोमवार को करीब 3 बजे दोपहर को जीतेन्द्र प्रताप सिंह नामक एक व्यक्ति ने अपने ट्विटर आईडी @jpsin1 पर किशनगंज से सम्बंधित एक अफवाह फैलायी। उसने एक पेपर कटिंग के साथ ट्वीट किया। दैनिक भास्कर की इस पेपर कटिंग में एक खबर छपी है, जिसका शीर्षक है – “किशनगंज में पिता को बंधक बना गांव के ही छह युवकों ने बेटी से किया सामूहिक दुष्कर्म।” इस खबर के साथ उसने एक घिनौना कैप्शन जोड़ा है, जिसमें लिखा है, “दिमाग के सारे दरवाजे खोल कर पढ़ लो, एक बेटी से बलात्कार के सभी वहशी, फ़ैज़ आलम (21 वर्ष), अब्दुल मन्नान (27 वर्ष), कालू (27 वर्ष), मोहम्मद कासिम (35 वर्ष), मोहम्मद तकसीर (24 वर्ष), अंसार (35 वर्ष), सभी आरोपियों के नाम और उम्र पर ध्यान दीजिए। सभी वहशीयो ने मिलकर 19 साल की एक बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार, उसी के पिता के सामने किया। यह घटना किशनगंज बिहार की है, जहां हिन्दू अल्पसंख्यक होते चले गए।”
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जीतेन्द्र प्रताप सिंह ने अपने ट्वीट में आगे लिखा है, “इस ख़बर पर ना ही Ravish Kumar का ध्यान जाएगा, ना ही इसपर Rahul Gandhi, Akhilesh Yadav, Arvind Kejriwal, Tejashwi Yadav, Sitaram Yechury जैसे तथाकथित लोगों के मुंह से शब्द निकलेंगे। यह ख़बर न कभी प्रिंट मीडिया के मुख्यपृष्ठ पर स्थान पाएगी, ना इसको इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्राइम टाइम डिस्कशन के लायक मानेगा। यही दोगलापन मुझे अखरता है। अब भी समाज न जगा तो… एक दिन ये ही चुप्पी बहुत महँगी पड़ने वाली है।”
जीतेन्द्र प्रताप सिंह के ट्वीटर पर 97,000 से ज़्यादा फाॅलोअर्स हैं। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के कई जाने माने चेहरे फॉलो करते हैं। उसने ट्वीटर पर अपने परिचय में लिखा है, “Blessed to be followed by shri @narendramodi ji PM of India.. Proud to be a hindu.”
पीड़ित और आरोपी एक ही समुदाय से
उक्त पोस्ट को पढ़कर ऐसा लगता है कि पीड़ित हिन्दू थी और सारे दोषी मुस्लिम। पोस्ट पर आये कॉमेंट्स से भी ऐसा ही लगता है।
इस खबर को लिखने तक 20 घंटे के अंदर जितेंद्र के इस ट्वीट को 3800 लोगों ने रीट्वीट किया है, और इस पर 200 से ज़्यादा कमेंट्स हैं।
अजय चौधरी नामक एक व्यक्ति ने कमेंट किया है, “सब डेमोग्राफी चेंज का नतीजा है, जब तक हिन्दू बहु संख्यक है तभी तक, नहीं तो किशनगंज जैसे हालात कोई आश्चर्य की बात नहीं रहेगी। अभी भी समय है, हिंदुओं की एक मात्र पार्टी बीजेपी जिसको 400 सीट देकर इस डेमोग्राफी चेंज से हमेशा के लिए छुट्टी मिल जाएगी, दूसरे किसी में दम नहीं जो कानून बना सके।”
वहीं, प्रशांत भारती नाम के एक व्यक्ति ने रिप्लाई किया है, “किशनगंज बिहार और बंगाल का बॉर्डर एरिया है, वहां ये सब आम है। और झोला भर भर के बांग्लादेशी और रोहिंग्या भरे पड़े हैं।”
उधर, फेसबुक पर इसे ‘जितेंद्र कुमार यादव’ और ‘सतेंद्र हिन्दू’ नाम के प्रोफइल ने वायरल किया। जितेंद्र कुमार यादव के पोस्ट को 400 से ज़्यादा बार शेयर किया गया था, लेकिन अब इसे डिलीट कर दिया गया है।
जितेंद्र यादव के पोस्ट पर और भी घिनौने कमेंट थे। संदीप तिवारी नाम के एक यूजर ने लिखा था, “जहां जहां हिन्दू अल्पसंख्यक होगा वहां वहां हिंदुओं की बहन बेटियों के साथ यही हश्र भविष्य में होगा, न कानून, न संविधान, सिर्फ जबरजस्ती और शरीया से पाकिस्तान, बांग्लादेश की तरह सब चलेगा, ये छिटपुट घटना अभी हो रही है, भविष्य में बढ़ोत्तरी होगा, संभले नहीं तो।”
इस पोस्ट को देखने के बाद जब हमने मामले की छानबीन की, तो हमारी नज़र पेपर कटिंग में ज़िक्र किये गए एसपी के नाम पर पड़ी। खबर में एसपी का नाम कुमार आशीष है, जो 2018-19 के दौरान किशनगंज के पुलिस अधीक्षक थे। हमने उस दौरान की अपनी ख़बरें ढूंढीं, तो पता चला कि ये मामला छह साल पुराना है। इसको लेकर हमने 8 फ़रवरी, 2019 को खबर चलायी थी, जिसका शीर्षक था – “बाप को पेड़ से बांध कर उसके सामने 6 लोगों ने किया बेटी का गैंगरेप।” दरअसल, 4 फ़रवरी, 2019 को किशनगंज ज़िले के कोढ़ोबाड़ी थाना अंतर्गत पत्थरघट्टी गाँव में एक युवती के साथ छह दरिंदों ने गैंगरेप किया था। सभी आरोपियों ने मिलकर युवती के पिता को रस्सी से बांधकर उसके सामने ही इस सामूहिक दुष्कर्म को अंजाम दिया था। साथ ही राज से पर्दा उठाने पर अपराधियों ने पिता-पुत्री को जान से मारने की धमकी भी दी थी।
मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस ने कुछ दिनों के अंदर ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। आठ माह के भीतर स्पीडी ट्रायल चलाकर सात आरोपियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी। साथ ही पचास-पचास हज़ार रुपये जुर्माना भी लगाया गया था। मामले में शामिल छह बलात्कारियों और षड्यंत्र के लिए एक व्यक्ति को ये सजा सुनाई गई थी।
इस दौरान तत्कालीन किशनगंज एसपी कुमार आशीष ने ये भी स्पष्ट कर दिया था की आरोपी और पीड़ित एक ही समुदाय से हैं।
इस मामले में आरोपियों को आजीवन कारावास के साथ ही युवती को 10 लाख रुपये मुआवजा दिलवाया गया था। लेकिन, जितेंद्र जैसे लोग इस मामले को गलत तरीके से पेश कर साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश में लगे हैं। प्रशासन को स्वतः संज्ञान लेकर ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
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