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नदी पार करने को हर साल नया चचरी पुल बनाते हैं लोग

सहरसा के महिषी प्रखंड की राजनपुर पंचायत के घोंघसम घाट पर भी हर साल स्थानीय लोगों द्वारा आपस में चंदा इकट्ठा कर चचरी पुल का निर्माण कराया जाता है।

Sarfaraz Alam Reported By Sarfraz Alam | Saharsa |
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बिहार के सहरसा में हर साल बाढ़ के कारण तबाही का मंज़र देखने को मिलता है। बाढ़ से त्राहिमाम मंच जाता है। सैकड़ों लोगों के घर बर्बाद हो जाते हैं। इलाकों में रह रहे लोगों की मुश्किलें तब बढ़ जाती हैं, जब उनको आने जाने का कोई साधन नहीं मिलता। उनके पास आने जाने का एकमात्र साधन नाव होती है, जिससे सफर करना जोखिम भरा होता है। जब इलाके में जलस्तर कम होता है, नाव का परिचालन भी बंद हो जाता है। इसके बाद स्थानीय लोग आपस में चंदा इकट्ठा कर चचरी पुल का निर्माण करते हैं, जो महज 4 से 5 महीने तक ही चलता है।


सहरसा के महिषी प्रखंड की राजनपुर पंचायत के घोंघसम घाट पर भी हर साल स्थानीय लोगों द्वारा आपस में चंदा इकट्ठा कर चचरी पुल का निर्माण कराया जाता है। बीते दिनों तेजस्वी यादव सहरसा पहुंचे थे, तो उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया था कि यहां पीपा पुल का निर्माण जल्द ही कराया जाएगा। लोग इस आस में बैठे थे कि तेजस्वी यादव अपना वादा पूरा करेंगे, लेकिन जब ऐसा होता दिखाई नहीं दिया, तो स्थानीय लोगों ने चचरी पुल के निर्माण का जिम्मा अपने पर लिया और अब एक बार फिर यहां चचरी पुल का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है।

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यहां चचरी पुल का निर्माण कर रहे विपिन चौधरी बताते हैं कि यह हजार फीट से ज्यादा की लंबाई का है। यहां इमरजेंसी के लिए नाव के अलावा कोई दूसरा वाहन उपलब्ध नहीं हो पाता है इसलिए इस चचरी पुल का निर्माण किया जा रहा है।


निर्माण कार्य में शामिल अन्य ग्रामीण मुकेश यादव बताते हैं कि पुल का निर्माण करने में लाखों रुपए का खर्च आता है और यह पुल लगभग 1 महीने में बनकर तैयार होता है, लेकिन इतनी लागत और समय के बाद यह पुल केवल 5 महीने ही चल पाता है।

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एमएचएम कॉलेज सहरसा से बीए पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर सहरसा से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

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