बिहार सरकार राज्य के बुनियादी ढांचे में सुधार करने का ख़ूब ढिंढोरा पीटती है, लेकिन ऐसा लगता है कि सीमांचल में आते ही विकास की गति धीमी हो जाती है। सीमांचल के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं। किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड स्थित दल्लेगांव में मेची नदी पर पुल नहीं होने से शव को ले जाने के लिये एम्बुलेंस भी गांव तक नहीं पहुंच पाती है।
दल्लेगांव के कलीमुद्दीन किशनगंज में इलाज के दौरान इंतकाल कर गये। लेकिन, नदी में पुल नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी। नाव के ऊपर चारपाई पर शव को रखकर नदी के उस पार ले जाया गया। स्थानीय लोग बताते हैं कि पुल नहीं रहने के कारण वे ज़िल्लत की ज़िंदगी जीने को मजबूर हैं।
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समाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद जहुर आलम रज़वी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जहां एक तरफ डिजिटल इंडिया की बात कही जा रही है, वहीं दूसरी ओर दल्लेगांव पंचायत, आजादी के 75 साल गुजरने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। उन्होंने आगे बताया कि 2019 में मुख्यमंत्री ग्रामीण विकास योजना के तहत 24 करोड़ की लागत से पुल निर्माण का कार्य चालू हुआ था, जो 2021 से बंद है।
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