किशनगंज नगर क्षेत्र के बिलायतीबाड़ी स्थित मदरसा दारुस्सलाम में प्रबंध समिति के गठन को लेकर दो पक्षों में जमकर बवाल हुआ। मदरसा बोर्ड के आदेश पर जांच करने पहुंचे जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी दोनों कमेटियों के लोगों के हंगामे का सामना करना पड़ा।
बताया जाता है कि दारुस्सलाम मदरसे में नयी प्रबंध समिति के गठन को लेकर वर्ष 2016 से विवाद चल रहा है। मदरसा के प्रबंध के लिए पुरानी समिति को मदरसा बोर्ड दो बार भंग कर चूका है, लेकिन पुरानी समिति मदरसा बोर्ड के द्वारा गठित नए्ई समिति को मानने से इंकार करती रही है।
क्या है इस मदरसे का विवाद
नई समिति के सचिव शमीम अख्तर ने बताया कि 23 अक्टूबर 2016 को नई समिति के गठन को लेकर मदरसा दारुस्सलाम में एक आम सभा का आयोजन कर पुरानी समिति को भंग कर दिया गया था। इसके बाद 29 अक्टूबर को नई समिति का गठन किया गया। नवगठित समिति को पुरानी समिति के लोगों ने मानने से इंकार कर दिया।
18 सितंबर 2017 को मदरसा दारुस्सलाम में दूसरी बार आम सभा हुई और नई समिति के पक्ष में ग्रामीणों का समर्थन प्राप्त हुआ, जिसके बाद पुनः पुरानी समिति को भंग कर दिया गया।
शमीम का कहना है कि पुरानी समिति में अध्यक्ष पद से शमसुल हक और सचिव निजामुद्दीन को हटाकर नई समिति में अध्यक्ष दिलदार आलम और सचिव पद पर खुद शहीम अख्तर को नियुक्त किया गया था, लेकिन ऐसा करने से मदरसे के प्रबंध से जुड़ा विवाद थमने के बजाये और बढ़ता चला गया।
दरअसल बीते दिनों दो गुटों ने अपनी-अपनी समिति बनाकर बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के समक्ष अपनी अपनी दावेदारी पेश की थी। इसके जवाब में मदरसा बोर्ड ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया कि ज़मीनी स्तर पर जांच कर यह पता लगाएं कि किस समिति को स्थानीय जनता का समर्थन प्राप्त है।
किशनगंज जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष गुप्ता ने दारुस्सलाम मदरसे में पहुंच कर दोनों पक्षों के बीच एक हस्ताक्षर मतदान कराया। इस प्रक्रिया में दोनों पक्षों को अपने समर्थकों द्वारा काग़ज़ पर हस्ताक्षर करने को कहा गया जिसमें पुरानी कमिटी को 52 लोगो का समर्थन और नई कमेटी को 81 लोगों का समर्थन मिला।
हस्ताक्षर मतदान के दौरान पुरानी कमेटी के लोगों ने जांच अधिकारी पर भेदभाव का आरोप लगाया जिसके बाद दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए। यह देख शिक्षा पदाधिकारी जांच स्थल से वापस लौटने लगे, तभी भीड़ ने उन्हें रोक कर खूब हंगामा किया।
बहरहाल, किसी तरह मामले को शांत कराया गया और फिर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने लोगों के हस्ताक्षार गिन कर मतदान का परिणाम सुनाया।
दोनों पक्षों ने क्या कहा
नई कमेटी ने पुरानी कमेटी को 29 वोटों से हरा दिया। नई कमेटी के सचिव मोहम्मद शमीम अख्तर ने हस्ताक्षर मतदान के बाद कहा कि वह कुल मिलाकर इस प्रक्रिया से संतुष्ट हैं और चाहते हैं कि मदरसे के विकास के लिए काम किया जाए।
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शमीम अख्तर ने कहा, “मतदान तो सही ढंग से हुआ है, आखिर में बताया गया है कि किसका कितना काउंटिंग (वोट) हुआ है। हमारा काउंटिंग 81 हुआ है और निज़ामुद्दीन साहब का काउंटिंग 52 हुआ है। वोटिंग की प्रकिर्या से हम संतुष्ट हैं। बहुत अच्छा लगा हमको। मदरसा का विकास हो, उन्नति हो हम यही चाहते हैं।”
मदरसा में चल रहे विवाद के बारे में शमीम आगे कहते हैं, ” ये मोटामोटी 4-5 साल से परेशानी चल रही है। परेशानी यह है कि मदरसा का कोई विकास नहीं हुआ है और इसमें कोई अतिरिक्त बहाली भी नहीं हुई। इससे पहले दो बार हमलोग इलेक्शन में जीते भी हैं, इसके बावजूद हमलोगों को नकारा जा रहा है। इस बार तीसरी बार इलेक्शन हुआ है।”
वहीं, पुरानी समिति के अध्यक्ष शमसुल हक इस चुनावी प्रक्रिया से नाराज़ हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नई कमिटी के लोगों ने क्षेत्र के बाहर से लोगों को एकत्रित कर हस्ताक्षर करवाया है। उन्होंने कहा, “बाहर के लोगों को बुलाकर ज़बरदस्ती हुई है, इसमें वोटिंग का कोई सवाल ही नहीं था। एक एक कर आदमी बुलाता जा रहा है, फ़ोन कर आदमी मंगवाता जा रहा है। लिमिट होता है न कि इतने टाइम तक वोट होगा, दो घंटा लगा दिए, दो घंटा में वोटिंग होता है?”
“पहले बताया कि जो प्रस्तुति है, वो वोट करेगा लेकिन फ़ोन कर कर आदमी बुलाते गए वे लोग। पहले तो बोला था कि जितने आदमी मौजूद होंगे, उन्हीं में वोटिंग होगी, लेकिन फिर वो लोग फ़ोन कर आदमी बुलाते रहे और टाइम बढ़ाते रहे।”
हमने जब शमशुल हक़ से यह पूछा कि ऐसा क्यों हुआ कि इससे पहले जितनी बार वोटिंग हुई उसका परिणाम नकार दिया गया, तो उन्होंने कहा कि यह फैसला तो बोर्ड करता है इसमें हमारे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।
पुरानी समिति के अध्यक्ष शम्सुल का कहना है कि अधिकारी और मदरसा बोर्ड का जो फैसला होगा, वह उनके लिए भी मान्य होगा और वह चाहते हैं कि मदरसे में शिक्षकों की बहाली हो और मदरसा सुचारु रूप से चलाया जाए।
विवाद पर क्या बोले जिला शिक्षा पदाधिकारी
इस पूरे मामले में दोनों पक्षों के विवाद को वोटिंग द्वारा हल करने पहुंचे किशनगंज जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष गुप्ता ने ‘मैं मीडिया’ से बताया कि जांच प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। स्थलीय जांच में नई समिति के पक्ष में 81 जबकि पुरानी समिति के पक्ष में 52 लोगो ने हस्ताक्षार किए हैं।
उन्होंने आगे बताया कि अधोहस्ताक्षरियों के आधार कार्ड मंगवा कर, उनका सत्यापन कर जांच रिपोर्ट बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड पटना को भेजा जाएगा।
सुभाष गुप्ता ने आगे कहा, “यह मदरसा में प्रबंध कमिटियों के बीच प्रबंधं को लेकर विवाद का मामला था। मदरसा बोर्ड से पत्र आया हुआ था कि प्रबंध कमिटियों के बीच के विवाद की जाँच कर लेनी है और यह देखना है कि किस प्रबंध कमिटी को आम जनता का समर्थन प्राप्त है। इसी उद्देश्य से हम आज बिलायतीबाड़ी मदरसा में जांच करने पहुंचे थे। इस प्रक्रिया में जो मौजूद थे उनमें दोनों पक्ष के समर्थनों की हाजिरी बनाई गई है। उस आधार पर हम लोग आगे की कार्रवाई करेंगे।”
जांच स्थल में हुए विवाद के बारे में सुभाष गुप्ता ने कहा, “नियमनुसार जिस पक्ष के समर्थन में अधिक हस्ताक्षर किये गए हैं, उनके पक्ष में फैसला जाना चाहिए, लेकिन कुछ आपत्तियां भी थीं कि इसमें कुछ बाहरी लोग थे। इस दिशा में हमलोग विचार कर रहे हैं कि इस पर हम क्या उचित कार्रवाई कर सकते हैं।”
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