बिहार के अररिया जिले के फारबिसगंज में एक निजी अस्पताल के डॉक्टर और कर्मियों के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार के बाद अस्पताल को सील कर दिया गया, जिसके विरोध में फारबिसगंज के डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इस हड़ताल के कारण स्थानीय मरीजों को इलाज में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
फारबिसगंज के शकुंतला आरोग्य केंद्र में दो दिन पहले इलाज के दौरान एक मरीज की मौत हो गई थी, जिसके बाद आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों के साथ मारपीट की। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया और फारबिसगंज के एसडीओ के आदेश पर अस्पताल को सील कर दिया। प्रशासन का कहना है कि अस्पताल बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहा था, जबकि अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि उन्होंने सिविल सर्जन कार्यालय में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर रखा है, लेकिन अभी तक लाइसेंस जारी नहीं किया गया है।
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डॉक्टरों की हड़ताल और प्रदर्शन
इस घटना के बाद फारबिसगंज के सभी डॉक्टर एकजुट होकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। डॉक्टरों का आरोप है कि प्रशासन की कार्रवाई गैरकानूनी है और बिना उचित जांच के अस्पताल को सील कर दिया गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और भासा संगठनों ने डॉक्टरों के प्रदर्शन का समर्थन किया है। डॉक्टरों ने प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करते हुए इसे अवैध बताया।
हड़ताल के कारण फारबिसगंज के सभी निजी अस्पताल और क्लीनिक बंद हैं, जिससे इलाज के लिए आए मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि जब तक डॉक्टर के साथ मारपीट करने वालों पर कार्रवाई नहीं होती और अस्पताल से सील नहीं हटाया जाता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
प्रशासन की कार्रवाई और पुलिस की जांच
जिला पुलिस कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों पक्षों ने फारबिसगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई है। प्राथमिक जांच में शकुंतला आरोग्य केंद्र को अवैध रूप से चलाए जाने की पुष्टि की गई है, जिसके आधार पर फारबिसगंज एसडीएम ने अस्पताल को सील करने का आदेश दिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
फारबिसगंज के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एमपी गुप्ता ने कहा कि नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन सिविल सर्जन कार्यालय में लंबित है और इसके लिए सिविल सर्जन कार्यालय जिम्मेदार है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जिला स्तर पर समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो हड़ताल राज्यव्यापी भी हो सकती है।
इस घटना के कारण फारबिसगंज के मरीजों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और स्थिति को लेकर प्रशासनिक और चिकित्सा संगठनों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।
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