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किशनगंज में बहादुरगंज अनुमंडल की मांग को लेकर धरना

बिहार के किशनगंज जिले में एक नए अनुमंडल की मांग जोर पकड़ने लगी है। फिलहाल पूरा किशनगंज जिला एक ही अनुमंडल है।

Ariba Khan Reported By Ariba Khan |
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members of Bahadurganj subdivision demand committee

बिहार के किशनगंज जिले में एक नए अनुमंडल की मांग जोर पकड़ने लगी है। फिलहाल पूरा किशनगंज जिला एक ही अनुमंडल है। इसको लेकर मंगलवार को जिले के बहादुरगंज प्रखंड मुख्यालय के समक्ष अनुमंडल संघर्ष समिति बहादुरगंज के बैनर तले एक दिवसीय धरना दिया गया।


धरने में कई राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ साथ सैकड़ों की संख्या में आमजन शामिल हुए। इसमें महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर भाग लिया।

प्रदर्शन में मौजूद स्थानीय नेता वसिकुर रहमान ने कहा कि किशनगंज को 1990 में जिले का दर्जा मिला था और आज 33 वर्षों के बाद जिले में एक ही अनुमंडल और सात प्रखंड हैं। जिले की आबादी क़रीब 20 लाख है और एक मात्र अनुमंडल होने से लोगों को अनुमंडल पदाधिकारी के कार्यालय में किसी कार्य को लेकर जाने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।


धरने में मौजूद बीजेपी नेता बरुन सिंह ने कहा कि बहादुरगंज किशनगंज जिले का केंद्र बिंदु है। इसके आसपास टेढ़ागाछ, कोचाधामन, दिघलबैंक, ठाकुरगंज प्रखंड पड़ते हैं। बहादुरगंज को अनुमंडल का दर्जा प्राप्त होने से चुनावी कार्यों में आसानी से लेकर राजनीतिक दलों और छात्रों को भी सुविधाएं प्राप्त होंगी।

मौके पर जिला परिषद सदस्य खुसो देवी ने कहा कि यहां सिर्फ एक अनुमंडल रहने से महिलाओं और लड़कियों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसीलिए अब महिलाएं भी जागरूक हो चुकी हैं और इतनी संख्या में धरना प्रदर्शन में शामिल हुई हैं।‌

धरने में शामिल पूर्व कृषि निदेशक डॉ पीपी सिन्हा ने कहा कि किसी भी देश, राज्य, जिले या पंचायत का विकास तब तक नहीं होता है, जब तक कि सत्ता का विकेंद्रीकरण न हो। वह कहते हैं कि यहां अनुमंडल बनने से सबसे ज्यादा फायदा व्यापारियों, छात्रों और आम जनता को ही होगा।

स्थानीय नेता प्रोफेसर मुसव्विर आलम कहते हैं कि बहादुरगंज को अनुमंडल बनाने को लेकर पिछले 25 वर्षों से संघर्ष किया जा रहा है लेकिन हमारे राजनेताओं और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यह मामला अब तक बीच में ही अटका हुआ है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने हमारी मांगों पर विचार नहीं किया, तो आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सीमांचल का नक्शा बदल दिया जायेगा।

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अरीबा खान जामिया मिलिया इस्लामिया में एम ए डेवलपमेंट कम्युनिकेशन की छात्रा हैं। 2021 में NFI fellow रही हैं। ‘मैं मीडिया’ से बतौर एंकर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट जुड़ी हैं। महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर खबरें लिखती हैं।

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