बाल श्रमिक विशेष विद्यालय के शिक्षकों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर बुधवार को समाहरणालय परिसर में धरना दिया। इन शिक्षकों की मांग है कि 48 महीने से रुके उनके मानदेय का जल्द से जल्द भुगतान किया जाए। बाल श्रमिक विशेष विद्यालय शिक्षक एवं कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि ये विद्यालय भारत सरकार की विशेष परियोजना थी।अररिया जिले में इसका संचालन वर्ष 2007 में शुरू किया गया था।
उस समय इसके लिए जिले में 90 स्कूल स्थापित किये गए थे। केंद्र सरकार का उद्देश्य था कि बाल श्रमिकों को शिक्षा देकर मुख्य धारा से जोड़ा जाए हालांकि सरकार ने राष्ट्रीय बाल श्रमिक विशेष विद्यालयों को 2010 में बंद कर दिया। जब दोबारा इसकी जरूरत महसूस हुई तो वर्ष 2013 में फिर से 60 स्कूलों का संचालन शुरू किया गया जो 2016 तक चला।
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2007 से 2012 तक शिक्षकों को मानदेय के रूप में 1500 रुपए प्रति माह दिया जाता था। 2013 से संचालित हुए विद्यालयों के शिक्षकों का मानदेय बढ़ाकर चार हजार रुपये कर दिया गया। शिक्षा संघ के जिला अध्यक्ष अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि इन स्कूलों के 445 शिक्षकों का 48 माह का मानदेय बकाया है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 14 फरवरी 2022 में पत्र जारी कर सभी राज्यों को सूचित किया था कि राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना को समग्र शिक्षा अभियान शिक्षा विभाग में सम्मिलित करने का निर्णय लिया गया है। जिस कारण बाल श्रमिक विशेष विद्यालयों का संचालन बंद कर दिया गया। तभी से इन विद्यालयों के शिक्षक व कर्मी बेरोजगार हो गए।
अनिल कुमार मिश्रा ने धरनास्थल पर कहा, “शिक्षक कर्मचारियों के समायोजन के लिए हमने प्रदेश में कई बार धरना प्रदर्शन किया, उसके बाद नई दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रधानमंत्री के समक्ष भी हम लोगों ने प्रदर्शन किया। उसमें यह तय हुआ था कि हम लोग 15 मार्च को अनिश्चितकाल के लिए जंतर मंतर में दोबारा प्रदर्शन शुरू करेंगे। आज एक मार्च को देश के हर ज़िले में हमारा संगठन एकदिवसीय धरना प्रदर्शन कर रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारे संगठन के आॕल इंडिया अध्यक्ष का निर्देश है कि इस धरना प्रदर्शन में प्रत्येक जिले में जिला पदाधिकारी के मार्फ़त भारत सरकार को मांगपत्र उपलब्ध कराईये। अगर फिर भी हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो 15 मार्च को जंतर मंतर पर हम विशाल प्रदर्शन करेंगे।”
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