कटिहार जिले के कदवा प्रखंड अंतर्गत शेखपुरा गांव में महानंदा नदी पर बने तटबंध को लेकर स्थानीय ग्रामीण भयभीत हैं। लोगों का दावा है कि इसी साल मई-जून महीने में करोड़ों की लागत से तटबंध की मरम्मत की गई, लेकिन तटबंध और कमज़ोर हो गया है। यहाँ तक कि 40 साल पहले तटबंध पर बने असपर को भी काट दिया गया और तटबंध के आसपास के पत्थर को भी हटा दिया गया। ग्रामीणों ने स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि के परिवार के साथ-साथ सम्बंधित विभाग पर अनियमितता के आरोप लगाए हैं।
आधा दर्जन गांवों का अस्तित्व खतरे में
शेखपुरा पंचायत के वार्ड नंबर 1 के वार्ड सदस्य मोहम्मद माहे आलम खान ने बताया कि मरम्मत कार्य में काफी लापरवाही हुई है, विभाग द्वारा बांध को मजबूत करने के बजाए कमजोर कर दिया गया है। वह कहते हैं, असपर नदी को बांध से दूर रखने का काम करता है, लेकिन विभाग के अधिकारियों की वजह से बांध पर खतरा बढ़ गया है। असपर के पत्थरों को हटा कर मिट्टी काट दी गयी है, जिससे असपर देने का उद्देश्य व्यर्थ हो गया और पानी का प्रेशर तटबंध पर ज्यादा हो गया है। अगर यह तटबंध कट जाता है, तो कई गांवों का अस्तित्व मिट जाएगा, जिसका जिम्मेदार सीधे तौर पर विभाग के अधिकारी होंगे।
Also Read Story
ग्रामीण मोहम्मद क़ासिम कहते हैं, जब काम हो रहा था, हमने बोरी डालते देखा, लेकिन एक महीने बाद ही वो कहाँ चला गया, पता नहीं। वह कहते हैं, आसपास के आधा दर्जन गाँव के लोग भयभीत हैं। तटबंध कटने से इन गांवों पर सीधा असर पड़ेगा।
“नदी का रूप देखकर पक्का मकान छोड़ा अधूरा”
भयभीत ग्रामीण तटबंध पर भीड़ लगाए रहते हैं। सैकड़ों महिलाएं और बच्चे तटबंध पर खड़े हैं। आस पास के गांव से भी लोग आए हुए हैं। इस भीड़ के बीच शमीमा खातून की आंखें किसी उम्मीद की तलाश कर रही हैं, जो उनके दर्द को कम कर सके। शमीमा खातून के घर के कुछ ही फीट की दूरी पर महानंदा नदी उफनती हुई बह रही है। घर का जरूरी सामान, कपड़े और अनाज समेट लिए गए हैं, पर पानी की आवाज दिल की धड़कन बढ़ा रही है। उनके चारों बेटे प्रवासी मजदूर हैं और दिल्ली में सरिया ढोने का काम करते हैं। पति बीमार हैं। सालों से बिस्तर पर हैं। कुछ ही साल पहले उन्होंने पक्का मकान बनवाया था, जिसमें छत देना बाकी था, लेकिन नदी का रूप देखकर अधूरा ही छोड़ दिया गया।
शमीमा खातून ने बताया कि नदी हमारे घर के इतने करीब नहीं थी, जितना अभी है। इसका सबसे ज्यादा जिम्मेदार विभाग और हमारे पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि का भाई है। उन्होंने बताया कुछ दिनों पहले हमारे घर के पास तटबंध मरम्मत कार्य चल रहा था। इसमें जेसीबी द्वारा मिट्टी बराबर किया जा रहा था, उसी क्रम में हमारे खाते के जमीन का कुछ हिस्सा भी काट कर नदी में गिरा दिया गया। हमारे घर के पीछे बांस की 2 छोटी झाड़ियां भी थीं, उन्हें भी काट कर गिरा दिया गया और कहा गया कि यहां बोरा डाला जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
यह भी पढ़ें: कटिहार: नगर पंचायत बनने के बाद भी जर्जर बारसोई बाज़ार की सड़क
शमीमा खातून का कहना है कि बांस को काटने से जब मना किया गया तो काम की देखरेख कर रहे शेखपुरा पंचायत के मुखिया का भाई नहीं माना और विभाग के अधिकारियों का साथ दिया। वह कहती हैं, घर में कोई मर्द नहीं होने की वजह से विभाग और ठेकेदार के लोगों ने हमारी बात नहीं मानी और मनमाने तरीके से अर्थ मूवर से बांस तहस नहस कर दिया लेकिन तटबंध का काम नहीं हुआ। अगर बांस को न काटा जाता और समय पर बोरी डाली जाती तो आज नदी हमारे घर के इतने करीब नहीं आती।
इस मामले पर महानंदा बाढ़ नियंत्रण के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर सियाराम पासवान ने बताया कि ग्रामीणों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। तटबंध मरम्मत का कार्य मजबूती से किया गया है। आगे उन्होंने बताया कि जल्द ही जगह-जगह टीम बनायी जाएगी, जिसमें विभाग के कर्मचारी के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधि और जागरूक ग्रामीणों को शामिल किया जाएगा ताकि सुचारू रूप से तटबंध की देखरेख की जा सके।
SDRF की एक टीम के भरोसे सीमांचल के 1.08 करोड़ लोग
प्रदर्शन के लिए 60 घण्टे में बनाया बांस और ड्रम का पुल
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।
किशनगंज बिहार ko Jyada UN Prakhand Kutti panchayat