दिल्ली से सटे गुड़गांव में बीते 22 मई को बिहार के एक युवक को बांग्लादेशी होने के शक में दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया। 22 वर्षीय मैनुल हक़ किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत कुट्टी पंचायत स्थित अहमदनगर गांव का रहने वाला है। वह पिछले कुछ महीने से गुड़गांव की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहा है। कुछ समय पहले वह किसी बांग्लादेशी नागरिक से इंटरनेट पर बातचीत करने लगा जिसके बाद दिल्ली पुलिस के स्पेशल ब्रांच ने उसे बांग्लादेशी नागरिक होने के शक में डिटेन कर लिया।
मैनुल हक़ के बड़े भाई मिकाइल ने ‘मैं मीडिया’ से बताया कि उनका भाई किसी बांग्लादेशी नागरिक से बात किया करता था। इंटरनेट पर संभतः फोन नंबर का आदान प्रदान हुआ और फिर दिल्ली पुलिस के स्पेशल ब्रांच ने उसे बांग्लादेशी होने के शक में गुड़गांव से डिटेन किया।
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“बांग्लादेश के किसी नंबर से वह बराबर बात करता है। पुलिस को इस पर शक हुआ। 22 मई को डिटेन करने के बाद मैनुल का हमारे पास फ़ोन आया और उसने अब्बा का आधार कार्ड मांगा। शुरू में उसने कहा कि कंपनी में दस्तावेज़ की ज़रूरत है लेकिन बाद में पूछने पर उसने पूरी बात बताई। इस खबर से हमलोग बहुत घबरा गए थे कि उसको इतने संगीन मामले में स्पेशल ब्रांच वाला उठाके ले गया,” मैनुल के भाई मिकाइल ने कहा।
24 घंटे बाद किया रिहा
मैनुल पिछले 3 वर्ष से बाहर काम कर रहा है। गुड़गांव आने से पहले वह आगरा में काम कर रहा था। उसके पिता किसान हैं और बेटों के साथ मिलकर बीज की छोटी सी दुकान भी चलाते हैं। पैसों की तंगी के कारण मैनुल ने नौवीं से आगे पढ़ाई नहीं की और काम में लग गया।
बांग्लादेशी नागरिक होकर अवैध रूप से देश में रहने के शक में मैनुल को पुलिस ने लगभग 24 घंटे कस्टडी में रखा। इस दौरान स्पेशल ब्रांच की टीम ने मैनुल के घर वालों के दस्तावेज़ जांच किये और फिर उसे छोड़ दिया। पुलिस ने मैनुल को छोड़ने के समय दोबारा विदेशी नागरिक से बात न करने की चेतावनी दी। “विदेश में किसी की दोस्ती हो सकती है लेकिन उसको ऐसे शक करके बांग्लादेशी बोलकर डिटेन कीजियेगा, यह तो सरासर गलत है,” मोहम्मद मिकाइल कहते हैं।
मिकाइल के अनुसार मैनुल पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई और जांच के बाद उसे जाने दिया गया। अब वह नियमित रूप से उसी कॉन्स्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहा है।
जिस समय मैनुल हक़ को हिरासत में लिया गया, उस वक़्त कोचाधामन के पूर्व कोचाधामन विधायक मास्टर मुजाहिद आलम दिल्ली में थे। मैनुल के परिवार ने उनसे मदद मांगी। हमने इस मामले को और गहराई से जानने के लिए पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम से बात की।
उन्होंने बताया कि इस घटना की खबर मिलने पर उन्होंने गुड़गांव में जहां मैनुल काम कर रहा था वहां के एक कर्मचारी से बात की जिसके बाद उन्हें दिल्ली स्पेशल ब्रांच के एक अफसर का नंबर मिला। उस अफसर ने कहा कि मैनुल के दस्तावेज़ जांच किये जा रहे हैं, वह निर्दोष पाया गया तो उसे छोड़ दिया जाएगा।
मुजाहिद आलम बताते हैं, “हमने फिर मैनुल से फ़ोन पर बात की। उस समय लड़का पुलिस कस्टडी में था। उसने बताया कि किसी जानने वाले से वह कभी कभी बांग्लादेश में बात करता था। डिटेन करने की खबर से घर में रोना-पीटना मच गया। एक अफसर से मेरी बात हुई। उन्होंने काफी अच्छे तरीके से हमें उपडेट किया और अगले दिन उसे छोड़ दिया गया। इसमें आपलोग यह अपील कर दीजिये कि किसी अनजान व्यक्ति से विदेश में बात नहीं करना है।”
सीमांचल के मज़दूरों पर ‘विदेशी’ का टैग लगाने की कोशिश?
पूर्व विधायक ने इस घटना पर अपनी चिंता जताते हुए आगे कहा कि देश में नफरत का माहौल फैलाकर एक नैरेटिव बना दिया गया है कि सीमांचल में बांग्लादेशी रहते हैं। इससे पिछड़ेपन का शिकार सीमांचल के जिलों से बड़ी संख्या में पलायन करने वाले मज़दूरों को बाहर और परेशानियां उठानी पड़ रही हैं।
“केंद्र में जब से भाजपा सत्ता में आई है तब से एक समुदाय को हर मामले में निशाना बनाया जा रहा है। वह शेरशाहबादी बिरादरी का एक लड़का है, उसको बांग्लादेशी होने के शक में चौबीस घंटे कस्टडी में रखा। किसी बांग्लादेशी नागरिक से दोस्ती हुई होगी तो वह बात करता था। भाजपा का यही काम होता है कि एक समुदाय को निशाना बनाकर, उसको नीचे दिखा कर दूसरे समुदाय को खुश करके वोट ले,” मुजाहिद आलम बोले।
आगे उन्होंने कहा कि सीमांचल में पलायन का मुद्दा तो सालों से रहा ही है, अब यहां के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को विदेशी बताने की कई घटनाएं भी सामने आ रही हैं।
“यह सिर्फ एक मामला नहीं है। उत्तराखंड, नैनीताल से अपने क्षेत्र के लड़के मुझे फ़ोन कर रहे हैं कि पुलिस उनलोगों को तंग कर रही है कि तुमलोग बांग्लादेशी हो। कह रही है कि थाना से लिखवा कर लाओ। इसी तरह मैं दिल्ली में जहांगीरपुरी में रुका हुआ था, वहाँ पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के कुछ बंगाली भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं उन्हें पुलिस तंग करती है कि तुमलोग बांग्लादेशी हो, ये काग़ज़ लाओ वो काग़ज़ लाओ। वे लोग बांग्ला बोलते हैं इसलिए शक कर रहे हैँ,” मास्टर मुजाहिद बोले।
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