राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) द्वारा 4 जून को जारी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा नीट यूजी (NEET UG) का रिज़्लट पर विवाद गर्म हो गया है। छात्र कथित पेपर लीक का मामला बताकर रिज़ल्ट पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। छात्रों का कहना है कि NTA की ग़लती की वजह से इस बार इतने नंबर के बावजूद उन्हें अच्छे मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन नहीं मिल पायेगा।
NEET UG परीक्षा के रिज़ल्ट पर अब सियासत भी शुरू हो गई है। शुक्रवार को कांग्रेस ने कथित NEET UG पेपर लीक को लेकर जांच की मांग कर दी। पार्टी ने एक साथ 67 टॉपर को परीक्षा में 720 में से 720 अंक मिलने पर राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है।
इसके अलावा एक सेंटर के 8 बच्चों के टॉप करने को भी सन्दिग्ध बताते हुए कांग्रेस इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में जांच की मांग कर रही है।
कांग्रेस ने सवाल पूछा है कि क्यों NEET UG परीक्षा का रिज़ल्ट चुनाव के परिणाम वाले दिन ही निकाला गया, जबकि, इसे 14 जून को घोषित होना था।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर पोस्ट के माध्यम से केंद्र की मोदी सरकार को घेरा। जांच की मांग करते हुए खड़गे ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एक उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए जिससे NEET व अन्य परीक्षाओं में भाग लेने वाले हमारे प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को न्याय मिले।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी NEET-2024 के रिजल्ट में अनियमितता की जांच कराने की मांग की। एक्स पर प्रियंका ने एक पोस्ट में लिखा कि पहले नीट परीक्षा में पेपर लीक हुआ और अब छात्र परिणाम में धांधली का आरोप लगा रहे हैं।
क्या है NEET UG रिज़ल्ट पर पूरा विवाद
दरअसल, NTA हर साल देशभर के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिये NEET UG परीक्षा का आयोजन करती है। एमबीबीएस के साथ-साथ भारतीय मेडिकल पद्धति जैसे कि बीएएमएस (आयुर्वेदिक), बीयूएमएस (यूनानी), बीएसएमएस (सिद्ध) और बीएचएमएस (होम्योपैथी) कोर्सेज़ में एडमिशन NEET UG रैंक के आधार पर ही होता है।
NTA ने इस वर्ष भी 5 मई को 571 शहरों के 4,750 परीक्षा केंद्रों पर NEET UG परीक्षा का आयोजन किया था, जिसमें 23,33,297 परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था। लेकिन, अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि इस परीक्षा का पेपर पहले ही लीक हो गया था। उस समय भी इस पर काफ़ी विवाद हुआ था।
विवाद इतना बढ़ा कि कथित पेपर लीक का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर NEET UG परीक्षा के परिणाम पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने परिणामों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
हालांकि, कोर्ट ने परीक्षा में कथित कदाचार और पेपर लीक को लेकर नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी करने पर सहमति व्यक्त की थी। इस बीच मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
14 जून को NEET UG परीक्षा का परिणाम आना था। लेकिन, NTA ने कोई नोटिफिकेशन जारी किये बग़ैर ही 4 जून को यानी कि जिस दिन लोकसभा चुनाव-2024 का परिणाम आना था, उसी दिन अचानक क़रीब 12 बजे छात्रों का ओएमआर रिस्पान्स शीट जारी कर दिया। छात्रों को हैरत तब हुई जब कुछ घंटे बाद ही NTA ने परीक्षा का परिणाम भी जारी कर दिया।
NEET UG परिणाम पर विवाद उस वक़्त शुरू हुआ जब पता चला कि देश में 67 बच्चों को संयुक्त रूप से पहला स्थान मिला है। यानी कि इन सभी बच्चों को 720 में से 720 अंक मिले हैं।
ज़्यादा रैंक ने बढ़ाई छात्रों की परेशानी
4 जून को छात्रों ने अपना रिज़ल्ट चेक किया तो सभी ख़ुश थे, क्योंकि, इस बार बहुत अच्छे मार्क्स आये थे। लेकिन, जब उनकी नज़र अपने रैंक पर पड़ी तो, वे मायूस हो गये। उनको डर सताने लगा कि इतना ज़्यादा रैंक होने से उनको किसी अच्छे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पायेगा।
पूर्णिया के अमौर निवासी सालिक भी उन छात्रों में हैं, जिन्होंने इस वर्ष NEET UG परीक्षा क्वालीफाई किया है। सालिक ने ना सिर्फ क्वालीफाई किया है, बल्कि उनके अच्छे मार्क्स भी आये हैं। सालिक को 720 में से 670 अंक प्राप्त हुए हैं। उनका ऑल इंडिया रैंक 14,905 है, लेकिन, उसके बावजूद वह चिंतित हैं कि शायद उनको अच्छे कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पायेगा।
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सालिक ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि इस बार इतने नंबर लाने का बावजूद उनको बेहतर रैंक नहीं मिला है। सालिक बताते हैं कि अगर पिछले साल (2023) से तुलना करें तो 670 नंबर लाने वालों का चार हज़ार के आस-पास रैंक मिला था, लेकिन, इस साल इतने ही मार्क्स पर 14 हज़ार से अधिक रैंक प्राप्त हुआ है।
दरअसल, NTA द्वारा जारी NEET UG के रैंक के अनुसार ही छात्र को किस कॉलेज में एडमिशन मिलेगा, इसका चयन होता है। अच्छे कॉलेज शुरू के रैंक वाले छात्रों को एडमिशन देते हैं। जिनके जितने कम रैंक होते हैं, उनको उतने अच्छे कॉलेज मिलने के चांसेज़ होते हैं।
किशनगंज के मुख़्तार मसूद ने भी इस परीक्षा में क्वालीफाई किया है। मुख़्तार को 645 अंक मिले हैं और उसका ऑल इंडिया रैंक 33 हज़ार के क़रीब है। मसूद ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि पिछले साल 645 अंक लाने वालों को 6 हज़ार के आस-पास रैंक मिला था और ये ट्रेंड कई सालों से चलता आ रहा था।
“तक़रीबन 35 सालों से नीट परीक्षा हो रही है और लगभग यही ट्रेंड चलता आ रहा है। कई बार स्टूडेंट की संख्या बढ़ी है, लेकिन मार्क्स वर्सेज़ रैंक इतना वैरी कभी नहीं किया। बीच में हमलोगों को सुनने को मिला कि पेपर लीक हो गया। लेकिन NTA तो दबा दिया इस बात को। लेकिन, अब उनलोगों को लग गया होगा कि शायद यह बात हज़म नहीं हो पायेगी,” उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे बताया, “डेट रिलीज़ कर दिया था पहले ही कि 14 जून को रिज़ल्ट आयेगा। लेकिन, 4 जून को बिना कुछ बताये NTA ने आंसर की जारी कर दिया 12 बजे तक। जब जनरल इलेक्शन के रिज़ल्ट पर चर्चा पीक पर थी उसी वक़्त बिना कुछ बताये वेबसाइट पर रिज़ल्ट जारी कर दिया तक़रीबन 4 बजे के टाइम। ये सिर्फ इसलिये किया गया ताकि (पेपर लीक वाली) बात दब जाये।”
ग्रेस अंक देने से बढ़ा विवाद
यहां तक तो सब ठीक चल रहा था, लेकिन, जैसे ही अभ्यर्थियों को पता लगा कि कुछ अभ्यर्थियों को 718 और 719 अंक प्राप्त हुए हैं तो विवाद और गर्म हो गया। छात्रों का मानना है कि किसी भी छात्र को 718 और 719 मिलना मैथमिटिकली मुमकिन नहीं है।
इसको समझने के लिये सबसे पहले हमें समझना होगा कि NEET UG परीक्षा का पैटर्न क्या है? दरअसल, NEET UG परीक्षा में 180 प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रत्येक सही उत्तर के लिये 4 अंक दिये जाते हैं और प्रत्येक ग़लत उत्तर के लिये प्राप्तांक में से एक अंक काट लिया जाता है।
मुख़्तार बताते हैं कि NEET UG परीक्षा में किसी भी छात्र को 717, 718 या 719 अंक मिलना नामुमकिन है, लेकिन, NTA द्वारा जारी परिणाम में कई छात्रों को 718 और 719 अंक प्राप्त हुआ है, जिससे NTA की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है।
“परीक्षा में 717, 718 या 719 अंक पाना पॉसिबल नहीं है, क्योंकि, परीक्षा का पैटर्न इस तरह से है कि टोटल क्वेश्चन सही होने पर 720 मार्क्स आता है। अगर एक ग़लत होगा तो पांच अंक कटेगा। ऐसी स्थिति में 715 अंक आना चाहिये। अगर एक क्वेश्चन आपने छोड़ दिया तो 716 अंक आना चाहिये जो कि मैक्सिमम मार्क्स है एक क्वेश्चन छोड़ने पर,” उन्होंने कहा।
NTA ने पूरे विवाद पर दी सफाई
गुरुवार को NTA ने इस पूरे विवाद पर विस्तृत प्रेस रिलीज़ जारी किया है। छात्रों के मिले 718 और 719 अंकों के विवाद पर NTA का कहना है कि परीक्षा के आयोजन के दौरान कुछ छात्रों का समय नुक़सान हुआ था, जिसको लेकर कुछ उम्मीदवारों से आवेदन प्राप्त हुए थे।
प्रेस रिलीज़ में कहा गया है, “आवेदन पर NTA द्वारा विचार किया गया और जिन उम्मीदवारों के समय का नुकसान हुआ था, उसकी भरपाई के लिये सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये 2018 के एक फ़ैसले के अनुसार सामान्यीकरण (नॉर्मलाइज़ेशन) फॉर्मूला अपनाया गया। परीक्षा के दौरान नुकसान हुए समय का पता लगा कर उन उम्मीदवारों को ग्रेस अंक दिये गये, जिनका समय नुक़सान हुआ था। तो ऐसी स्थिति में उम्मीदवार के अंक 718 या 719 भी हो सकते हैं।”
लेकिन, इस पर मुख़्तार कहते हैं, “NEET जैसी परीक्षा में आप छात्रों को ग्रेस अंक नहीं दे सकते हैं। जहां पर 1 अंक पर एक हज़ार रैंक का फ़र्क पड़ जाता है , वहां एक-एक सौ मार्क्स ग्रेस देने की बात हो रही है। यह सरासर हमारे साथ नाइंसाफ़ी है, क्योंकि, हमलोग एक-एक क्वेश्चन ठीक करने के लिये एक साल लगाते हैं।”
वहीं, वक़्त से पहले रिज़ल्ट जारी करने के सवाल पर NTA का कहना है कि हमेशा की तरह NEET (UG) समेत NTA द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं का परिणाम परीक्षा में पूछे गये प्रश्नों के प्रोविज़नल उत्तरों पर प्राप्त आपत्तियों के समाधान के बाद जितना जल्दी संभव हो, घोषित किया जाता है।
NTA ने प्रेस रिलीज़ में बताया, “NTA लगभग 23 लाख उम्मीदवारों के परिणाम तीस दिन के अंदर घोषित करने में कामयाब रहा। जेईई (मेन) 2024 सत्र-1 का परिणाम 11 दिनों में और सत्र-2 का परिणाम 15 दिन में घोषित किया गया। NEET (UG) 2024 का रिजल्ट भी स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही निकाला गया है।”
परीक्षा का कट-ऑफ अंक ज़्यादा होने पर NTA का मानना है कि इस बार पिछले साल की तुलना में क़रीब तीन लाख अधिक छात्र परीक्षा में बैठे थे। NTA की मानें तो छात्रों के अधिक संख्या में बैठने की वजह से ही कट-ऑफ अंक ज़्यादा गया है।
इसके अलावा 67 छात्रों को 720 में 720 अंक प्राप्त होने पर NTA का कहना है कि इसमें से 44 छात्रों के अंक में कटौती हो सकती है कि क्योंकि, फिज़िक्स के एक प्रश्न के उत्तर पर आपत्ति प्राप्त हुई है, जिस पर NTA विचार कर रही है। वहीं, छः छात्र को ग्रेस अंक मिला है, जिस वजह से उनको 720 मार्क्स आये हैं।
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