15 सितंबर को जिस वक्त इनकम टैक्स (आईटी) डिपार्टमेंट प्रख्यात बॉलीवुड अभिनेता Sonu Sood के मुंबई और लखनऊ में स्थित संपत्तियों पर ‘छापे’ मार रही थी, ठीक उसी दरम्यान सैकड़ों किलोमीटर दूर बिहार के सीमांचल में कटिहार जिले के दो बच्चों के बैंक खातों में 900 करोड़ रुपए से ज्यादा रकम आई और धीरे-धीरे वापस भी चली गई।
बैक प्रबंधन इसे एक मामूली तकनीकी खामी कह रहा है, लेकिन आईटी के छापे, सोनू सूद का एक कंपनी से जुड़ाव और उस कंपनी का सीमांचल में बैंकिंग सर्विस प्रदाता के रूप में सेवा देना, इन तीनों को एक सूत्र में पिरोने पर पूरा मामला संदेहास्पद जान पड़ता है। उस कंपनी और सोनू सूद के उससे जुड़ाव आदि से संबंधित जानकारियां हम आगे देंगे। पहले समझते हैं कि पूरा मामला आखिर है क्या।
क्या है पूरा मामला
बिहार के कटिहार जिलांतर्गत आजमनगर प्रखंड के पस्तिया गांव मे रहने वाले दो बच्चे असित कुमार और गुरु चरण विश्वास का उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में एकाउंट है। इन खातों में सरकार की तरफ से मिलने वाली पोशाक राशि अन्य स्कीमों का पैसा आता है। 15 सितंबर को दोनों गांव के ही कस्टमर सर्विस प्वाइंट (सीएसपी) में गये थे, ये पता लगाने कि पोशाक राशि आई या नहीं। वहां जब उनका अकाउंट चेक किया गया, तो दोनों बच्चों को एकबारगी यकीन ही नहीं हुआ। सीएसपी चलाने वाले भी भौचक्के रह गये। असित के खाते में लगभग 6 करोड़ रुपए और गुरु चरण के बैंक अकाउंट (बैंक स्टेटमेंट मैं मीडिया के पास है) में लगभग 900 करोड़ रुपए बता रहे थे। दोनों हैरत में पड़ गये कि आखिर ये कैसे हुआ!
गुरुचरण ने बताया कि वो पोशाक राशि के बारे में पता करने के लिए गया था, तो उसे मालूम चला कि उसके अकाउंट 900 करोड़ से ज्यादा रुपए हैं। ये खबर गांव में आग की तरह फैल गई, तो दूसरे लोग भी सीएसपी में अकाउंट चेक करवाने पहुंचने लगे, ये सोचकर कि शायद उनके खातो में भी पैसा आया हो।
सीएसपी या बैंक मित्र सुदूर ग्रामीण इलाकों में जहां बैंक की शाखाएं नहीं हैं, वहां बैंक के एजेंट के रूप में मिनी बैंक की तरह काम करता है। ये व्यवस्था भारत सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान का हिस्सा है। बैंक की तरह इसके पास भी खाताधारकों से जुड़ी सारी जानकारियां होती हैं।
बिहार में जिस सीएसपी से संबद्ध दोनों बैंक खातों में करोड़ों रुपए का लेनदेन हुआ है, वो स्पाइस मनी नामक कंपनी चलाती है। स्पाइस मनी देश की ग्रामीण फिनटेक कंपनी है, जो डिजिस्पाइस टेक्नोलॉजीज के अधीन आती है।
डिजिस्पाइस कंपनी की स्थापना साल 2000 में हुई है। स्पाइस मनी के बारे में डिजिस्पाइस वेबसाइट कहती है, “ये कंपनी 40 लाख ग्राहकों तक सेवा पहुंचा रही है और 70 हजार एजेंट्स की मदद से सालाना 3 करोड़ लेनदेन को अंजाम देती है।”
स्पाइस मनी का सोनू सूद से कनेक्शन
कोविड-19 के वक्त लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को घरों तक पहुंचाने और उन तक भोजन पहुंचाने का बड़ा अभियान चलाकर सोनू सूद अचानक सुर्खियों में आ गये थे। इसके बाद पिछले साल दिसंबर में उन्होंने स्पाइस मनी के साथ साझेदारी की है। इसके तहत वे एक करोड़ ग्रामीण उद्यमियों को आर्थिक रूप से सशक्त करेंगे। स्पाइस मनी ने उन्हें ब्रांड अम्बेसडर भी बनाया है। वे तीन वर्षों तक कंपनी के ब्रांड अम्बेसडर रहेंगे।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, ब्रांड अम्बेसडर के तौर पर सोनू सूद को कंपनी को दो प्रतिशत इक्विटी शेयर मिलेंगे। ब्रांड अम्बेसडर बनाने के साथ ही कंपनी ने सोनू सूद को नॉन-एग्जिक्यूटिव एडवाइजरी बोर्ड का सदस्य भी बनाया है।

सोनू सूद की संपत्तियों पर आईटी की रेड, सोनू सूद का स्पाइस मनी का ब्रांड अम्बेसडर व नॉन-एग्जिक्यूटिव एडवाइजरी बोर्ड का सदस्य होना और स्पाइस मनी के सीएसपी से संबद्ध दो बैंक खातों में सोनू सूद पर आईडी रेड चलने के दौरान 900 करोड़ से ज्यादा रकम का लेनदेन हो जाना कई तरह के संदेह पैदा कर रहा है।
यहां बता दें कि सोनू सूद का नाम 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए कोबरा पोस्ट स्टिंग में आ चुका है। इस स्टिंग ऑपरेशन में वे पैसे के एवज में भाजपा के पक्ष में प्रचार करने पर सहमति जताते हुए दिखे थे।
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मैं मीडिया ने इस संबंध में सोनू सूद और स्पाइस मनी का पक्ष जानने के लिए उन्हें सवालों की फेहरिस्त मेल किया है। जवाब आने पर स्टोरी अपडेट कर दी जाएगी।
वहीं, कटिहार के डीएम उदयन मिश्रा ने कहा कि शाम (15 सितंबर) को उन्हें खबर मिली थी कि दो स्कूली छात्रों के अकाउंट में बड़ी रकम ट्रांसफर हो गई है। उन्होंने कहा, “अगली सुबह बैंक की शाखा को खोला गया और जांच की गई। शाखा प्रबंधक ने बताया कि सीबीएस (सेंट्रलाइज्ड बैंकिंग सिस्टम) में कुछ त्रुटि हुई थी। इसी वजह से स्टेटमेंट में पैसा दिख रहा था, लेकिन खाते में पैसा नहीं आया था। उस गलती का समाधान कर लिया गया है।” उन्होंने आगे बताया कि इसकी जांच के लिए बैंक को कहा गया है।
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के जिला को-ऑर्डिनेटर, सनत कुमार ने भी इसे महज तकनीकी खामी बताया। उन्होंने कहा, “करोड़ों रुपए अकाउंट में आने की सूचना के बाद मैंने दोनों अकाउंट चेक किया, तो एक बच्चे का में असित के अकाउंट में 100 रुपए बैलेंस हैं, गुरुचरण के अकाउंट में 128 रुपए थे।”
ये पूछे जाने पर कि सीएसपी से निकाले गये बैंक स्टेटमेंट में दोनों अकाउंट्स को मिलाकर 900 करोड़ से ज्यादा रकम की आवक दिख रही थी, उन्होंने कहा, “हो सकता है कि किसी तकनीकी खामी से ऐसा हुआ हो।”
इसे तकनीकी खामी मानना क्यों गलत है
स्थानीय मुखिया ललन विश्वास आर्थिक गड़बड़ी आशंका देख रहे हैं। उन्होंने कहा, दोनो बच्चों के अकाउंट में करोड़ रुपए ट्रांसफर हुए, लेकिन ये रुपये किसके हैं और कहां से आये हैं, इसका पता नहीं है।” “मैं प्रशासन से अपील करता हूं कि इसकी पारदर्शिता के साथ जांच की जाये”, उन्होंने कहा।
मैं मीडिया ने इस कथित तकनीकी खामी को लेकर बैंकिंग फर्जीवाड़े के विशेषज्ञ से बात की। उन्होंने हमें जो बातें बताईं, वे तकनीकी खामी के दावे को कमजोर करती है।
वेदांत संगीत, इंडिया फॉरेंसिक कंसल्टेंसी सर्विसेज में एजुकेशन हेड हैं। ये कंपनी फॉरेंसिक अकाउंटिंग, बैंक फॉरेंसिक व मनी लॉन्ड्रिंग का सर्टिफिकेशन करती है।
वेदांत संगीत ने मैं मीडिया के साथ बातचीत में इस घटना को गंभीर मामला बताया और इसकी फॉरेसिंग ऑडिट कराने पर जोर दिया। मैं मीडिया ने उन्हें बैंक स्टेटमेंट भेजा। स्टेटमेंट का अध्ययन करने के बाद उन्होंने मैं मीडिया से कहा, “मैंने बैंक स्टेटमेंट पढ़ा है। स्टेटमेंट से पता चलता है कि खाते में पैसा कहीं जमा नहीं हुआ है, बल्कि सिर्फ ट्रांजेक्शन (लेनदेन) हुआ है।”
“तकनीकी खामियां होती हैं, लेकिन इतनी बड़ी खामी नहीं हो सकती। एक ट्रांजेक्शन 900 करोड़ का होता, तो समझ में आता कि तकनीकी खराबी हुई होगी, लेकिन यहां श्रृंखलाबद्ध तरीके से ट्रांजेक्शन हो रहा है और सुबह तक वह जीरो भी हो जाता है”, उन्होंने कहा, “इतना बड़ी खामी हो रही है, तो बैंक को पड़ताल करनी चाहिए।”
वेदांत संगीत, एजुकेशन हेड, इंडिया फॉरेंसिक कंसल्टेंसी सर्विसेज
मैं मीडिया के पास सीएसपी से निकाला गया बैंक स्टेटमेंट है। स्टेटमेंट से पता चलता है कि 15 सितंबर की सुबह 8.16 बजे से शाम 6 बजे के बीच 7-8 बार बैंक बैलेंस चेक किया गया और हर बार करोड़ो की अलग-अलग रकम खाते में नज़र आई। मसलन, 15 सितंबर की सुबह 8.16 बजे 32 करोड़ रुपए अकाउंट में थे, जबकि उसी तारीख़ को सुबह 8.52 बजे चेक करने पर 604 करोड़ रुपए, दोपहर 1.30 बजे 905 करोड़ रुपए और शाम 5.21 बजे बैंक खाते में 509 करोड़ रुपए दिखे। वहीं, 16 सितंबर की सुबह 8.09 बजे अकाउंट में शून्य रुपया हो गया।

वेदांत ने कहा, “900 करोड़ का ट्रांजेक्शन हुआ है, ये टाइपिंग में गलती करने से नहीं हो सकता है।”
सोनू सूद के स्पाइस मनी से जुड़ाव, आईटी रेड और उसी दिन दोनों अकाउंट को मिलाकर 900 करोड़ से ज्यादा रुपये आने के बीच के संबंधों पर वेदांत कहते हैं, “एकबार फॉरेंसिक ऑडिट हो जाए, तो सारे राज खुल सकते हैं। फॉरेसिंक ऑडिट सामान्य ऑडिट नहीं है। इसमें पैसा किन माध्यमों से आया और इसके पीछे क्या उद्देश्य है, आदि पता लगाया जाता है। ये गंभीर मामला है, बैंक से जुड़ी नियामक प्राधिकरण को कार्रवाई करनी चाहिए।”

मैं मीडिया ने सीएसपी संचालित करने वाले कुछ एजेंटों से बात की, तो उन्होंने बताया कि सीएसपी बिना खाताधारकों की सहमति के सीएसपी से खाताधारकों के अकाउंट में लेनदेन किया जा सकता है।
अपना नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर उन्होंने मैं मीडिया से कहा, “जब बैंक अकाउंट के साथ आधार लिंक नहीं हुआ था, तब ज्यादातर सीएसपी संचालक हर बैंक खाते में अपनी एक अंगूली का निशान जरूर देता था। इससे वे ग्रामीण खाताधारकों के अकाउंट को नियंत्रित रखते थे। लेकिन, अब आधार से लिंक हो गया है, तो सीएसपी संचालक अलग तरह का हथकंडा अपनाते हैं।”
सीएसपी संचालक बताते हैं, “अब अगर किसी के खाते को अपने कंट्रोल में लेना होता है, तो सीएसपी संचालक खाताधारक की अंगूली का निशान मोम पर लेता है और उस छाप को फेविकॉल से कॉपी कर लिया जाता है। फेविकॉल के सख्त हो जाने पर मशीन आसानी मे उस छाप को स्वीकार कर लेती है और इस तरह सीएसपी संचालक खाताधारक को अंधेरे में रखकर लेनदेन कर सकता है।”
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर ग्रामीण स्तर पर संचालित सीएसपी इतनी आसानी से आम लोगों के खाते का इस्तेमाल कर सकता है, तो क्या सीएसपी चलाने वाली कंपनियां बड़े स्तर पर संदिग्ध लेनदेन नहीं कर सकती है? सवाल ये भी है कि क्या इस बड़ी लेनदेन का संबंध सोनू सूद और आईटी रेड से तो नहीं है? इन सवालों के जवाब तो तभी मिलेंगे, जब मामले की सघनता से जांच की जाएगी, लेकिन डीएम और बैंक प्रबंधक की प्रतिक्रिया से लगता है कि जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की कोशिश हो रही है।
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