Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

इन 5 चुनौतियों से रामविलास के बाद अब चिराग कैसे पार पाएंगे

केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रहे रामविलास पासवान के बाद बिहार की राजनीति में एक शुन्य की स्थिति बन गई है। वहीं दलित राजनीति की आवाज बुलंद करने वाला एक रहनुमा भी चला गया।

Reported By Sahul Pandey |
Published On :

[vc_row][vc_column][vc_column_text]केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रहे रामविलास पासवान के बाद बिहार की राजनीति में एक शुन्य की स्थिति बन गई है। वहीं दलित राजनीति की आवाज बुलंद करने वाला एक रहनुमा भी चला गया। यानि बिहार की राजनीति का यह एक जगह जिसपर रामविलास का चेहरा था वो अब उनके जाने के बाद सूना हो चुका है। ऐसे में अब इस सूने जगह को भरने की जिम्मेदारी उनके बेटे चिराग पासवान पर आ गई है।

[embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=yEd0adPdBMg[/embedyt]

Also Read Story

“मोदी जी झूठों के सरदार हैं”: किशनगंज में बोले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे

BPSC TRE-3: इस तारीख को होगी रद्द हुई परीक्षा, BPSC ने जारी किया परीक्षा कैलेंडर

एक भी बांग्लादेशी को बिहार में रहने नहीं देंगे: अररिया में बोले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी

UPSC सिविल सर्विसेज़ परीक्षा में 1,016 सफल, आदित्य श्रीवास्तव बने टॉपर

किशनगंज: लोकसभा चुनाव प्रशिक्षण में भाग लेने मारवाड़ी कॉलेज आये एक शिक्षक की मौत

सोने की तस्करी करते किशनगंज का व्यापारी दिनेश पारीक समेत तीन लोग गिरफ्तार

अहमद अश्फाक़ करीम जदयू में हुए शामिल, कहा, “18 परसेंट मुस्लिमों को सिर्फ 2 सीट, यह हक़तल्फ़ी है”

अररिया सीट पर AIMIM उम्मीदवार उतारने पर विचार हो रहा है: इंजीनियर आफताब अहमद

मुसलमानों की हकमारी का आरोप लगाते हुए पूर्व राज्यसभा सांसद अहमद अशफाक करीम ने छोड़ा राजद

साल 1990 के पिछड़ा उभार के दौर से आगे निकल रामविलास ने जिस तरह समाज के हर वर्ग से तालमेल बिठाया और दलित राजनीति को अपना आधार बनाए रखा, उसी तरह क्या चिराग कर पाएंगे यह देखनेवाली बात है। ऐसे वक्त में जब पिता का साया सिर से उठ गया तो सियासत की उस विरासत को कैसे चिराग बररकार रखेंगे यह बड़ी चुनौती है। इसके अलावे भी चिराग के सामने कई सारी और चुनौतियां हैं। आइए ऐसी ही पांच चुनौतियों के बारे में जानते हैं-


पहली चुनौती: रामविलास पासवान के निधन के बाद अब चिराग के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि जिस तरह से रामविलास पासवान अपने पूरे परिवार को जिनमें उनके भाई-भतीजे और तमाम सगे-संबंधी शामिल हैं, उन्हें एकजुट रखा था और अधिकतर लोगों को राजनीति में एंट्री कराई थी. इस स्थिति में चिराग पासवान अपने परिवार को कैसे समेट और सहेज पाते हैं, यह देखने वाली बात होगी.

दूसरी चुनौती: चिराग पासवान के पास दूसरी सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट रखने की होगी. इसके साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को मोटिवेट करने की अब पूरी जिम्मेदारी चिराग पर होगी। अपने पिता की तरह संतुलन बिठाकर चलने वाले नेता के तौर पर अपनी पहचान क्या चिराग बना सकेंगे? यह बड़ा सवाल है।अब तक ऐसा माना जाता रहा है कि चिराग पासवान अपने कार्यकर्ताओं से अधिक घुलते-मिलते नहीं हैं, लेकिन पिता के चले जाने के बाद और उनके लोजपा अध्यक्ष रहने के बाद उनकी अतिरिक्त जिम्मेदारी बन जाती है।

तीसरी चुनौती: चिराग पासवान के समक्ष तीसरी बड़ी चुनौती यह है कि जिस तरह हाल में ही उन्होंने सीएम नीतीश पर हमला बोलते हुए बिहार एनडीए से अलग होने का फैसला लिया। इससे सीएम नीतीश और चिराग के बीच काफी खटास पैदा हो चुकी है। सीएम नीतीश की हाल में कही गई बातों से लगता है कि आने वाले समय में वह केंद्र पर यह दबाव भी बना सकते हैं कि चिराग की पार्टी को केंद्र में भी एनडीए से निकाला जाए। हालांकि, यह कयास हैं, लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ऐसी किसी भी आशंका से निपटने के लिए भी चिराग को तैयार रहना होगा जो उनके लिए चुनौती है।

चौथी चुनौती: जिस तरह से रामविलास पासवान बिहार की राजनीति की हर नब्ज से परिचित थे, ऐसी ही अपेक्षा लोजपा के कार्यकर्ता चिराग पासवान से भी करते हैं। जिस तरीके से रामविलास पासवान ने बिहार की राजनीति और केंद्र की सियासत के साथ तालमेल बिठाया और दोनों को एक साथ साधा वह शायद ही कोई और नेता कर सके, ऐसे में अब चिराग के सामने अपने पिता की इस छवि को बरकरार रखने की भी चुनौती होगी।

पांचवीं चुनौती: जब से चिराग पासवान अपनी पार्टी के अध्यक्ष बने हैं, उन्होंने 2 बड़े फैसले किए हैं. पहला झारखंड चुनाव में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का और दूसरा बिहार में सीएम नीतीश के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उनके खिलाफ आवाज बुलंद की।

बिहार एनडीए से अलग होना भी चिराग का एक साहसिक कदम है। जाहिर तौर पर रामविलास पासवान भी उनके इस निर्णय के साथ थे। लेकिन, अब जब रामविलास नहीं रहे तो सियासत का संतुलन चिराग कैसे बिठा सकेंगे, यह उनके लिए बड़ी चुनौती है। साथ ही उनके लिए चुनौती है कि बिहार विधानसभा चुनाव में जिस नए तेवर और कलेवर के साथ उन्होंने पार्टी को उतारा है उससे पार्टी को नए आयाम पर ले जा सकें।

[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column][vc_separator border_width=”4″ css_animation=”bounceInUp”][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column][vc_single_image image=”3718″ img_size=”full” alignment=”center” onclick=”custom_link” img_link_target=”_blank” link=”https://pages.razorpay.com/support-main-media”][/vc_column][/vc_row]

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Related News

बिहार : राजद ने प्रत्याशियों की सूची जारी की, लालू की दो बेटियां चुनाव मैदान में उतरीं

पूर्णिया: राजद प्रत्याशी बीमा भारती ने निर्दलीय पप्पू यादव को बताया बीजेपी का एजेंट

कटिहार: पूर्व विधायक हिमराज सिंह ने नामांकन लिया वापस, जदयू को करेंगे समर्थन

अररिया: पुलिस की गाड़ी पर बैठ रील बनाने वाले दो युवक गिरफ्तार

नीतीश के मंत्री महेश्वर हजारी के पुत्र सन्नी कांग्रेस में शामिल, समस्तीपुर से लड़ सकते हैं चुनाव

हम लोगों के आने के बाद बिहार में हिंदू-मुस्लिम झगड़ा बंद हो गया: नीतीश कुमार

पूर्णिया: पप्पू यादव-बीमा भारती के बाद संतोष कुशवाहा ने भी की उदय सिंह से मुलाक़ात

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

मूल सुविधाओं से वंचित सहरसा का गाँव, वोटिंग का किया बहिष्कार

सुपौल: देश के पूर्व रेल मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के गांव में विकास क्यों नहीं पहुंच पा रहा?

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?

सुपौल: घूरन गांव में अचानक क्यों तेज हो गई है तबाही की आग?