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सिलीगुड़ी व जलपाईगुड़ी में मची जमीन की लूट, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आग बबूला

सरकारी जमीन या आम लोगों की खाली पड़ी जमीन पर कब्जा कर बेच देने के भू-माफिया के काले कारोबार के विरुद्ध प्रशासन व पुलिस की कार्रवाई शायद ही होती अगर मुख्यमंत्री फटकार न लगातीं।

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administrative officers putting up a board of government ownership on the government land in the possession of trinamool congress leader and ward councilor of siliguri municipal corporation
गजलडोबा मेगा टूरिज्म हब 'भोरेर आलो' के पास तृणमूल कांग्रेस नेता एवं सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड पार्षद के कब्जे की सरकारी जमीन पर सरकारी मालिकाना हक का बोर्ड लगाते प्रशासनिक अधिकारी।

सिलीगुड़ी : पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के बाद राज्य के दूसरे सबसे बड़े शहर और राज्य के उत्तरी हिस्से उत्तर बंगाल की अघोषित राजधानी सिलीगुड़ी और पड़ोस के जलपाईगुड़ी जिला क्षेत्र व आसपास में जमीनों की लूट मची है। कहीं कोई जमीन दिखी, चाहे वह सरकारी हो या गैर सरकारी, अगर खाली है तो उस पर जबरन कब्जा कर लेने, उसकी प्लाटिंग कर उसे बेच देने और उस पर अवैध कॉलोनियां बसा कर मोटी कमाई करने के काले कारोबार में नीचे से ऊपर तक कई बड़े-बड़े दिग्गज शामिल हैं। नेता, जनप्रतिनिधियों, प्रशासन व पुलिस और भूमि व भूमि सुधार विभाग के अधिकारियों संग मिलीभगत कर उनके सरंक्षण पर ही भू-माफिया जमीनों की लूट मचाए हुए हैं। ऐसा केवल आम लोगों का ही नहीं मानना है बल्कि खुद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी कहना है। जमीनों की लूट के ऐसे काले कारोबार को लेकर जहां आम लोगों में खासा रोष व्याप्त था, अब खुद राज्य की मुखिया और राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी भी आग बबूला हो उठी हैं। उन्होंने प्रशासन व पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए इसपर नकेल कसने की सख्त हिदायत दी है। यहां तक कह दिया है कि पुलिस या तो काम करे या फिर हट जाए।


प्रशासन व पुलिस को फ्री-हैंड देते हुए ममता बनर्जी ने दो टूक कह दिया है कि ऐसे काले कारोबार में जो कोई भी शामिल हो, चाहे वह राज्य सरकार या हमारी पार्टी या अन्य किसी भी पार्टी में ही शामिल क्यों न हो, किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए।

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पहली कार्रवाई तृणमूल कांग्रेस के अंचल अध्यक्ष पर

भू-माफिया पर नकेल कसने के लिए फ्री-हैंड मिलते ही प्रशासन, पुलिस और भूमि व भूमि सुधार विभाग हरकत में आ गये हैं। सिलीगुड़ी शहर के निकट डाबग्राम-फूलबाड़ी अंचल के तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष व प्रभावशाली नेता और जलपाईगुड़ी जिला परिषद के निवर्तमान सदस्य देवाशीष प्रमाणिक को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया। आमबाड़ी के एक व्यक्ति की जमीन की हेराफेरी करने के आरोप में उक्त व्यक्ति की शिकायत के आधार पर उन्हें उनके घर से एनजेपी थाने की पुलिस ने बीती 26 जून की रात गिरफ्तार किया। कहीं कोई गड़बड़ी उत्पन्न न हो जाए इसलिए उन्हें गिरफ्तार कर एनजेपी थाना नहीं बल्कि सिलीगुड़ी थाने में रखा गया। वह डाबग्राम-फूलबाड़ी विधानसभा क्षेत्र के निवर्तमान विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान में सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देव के बहुत खास व करीबी माने जाते हैं। उनके विरुद्ध पुलिस ने धारा 307, 384, 467, 477 और 120बी के तहत मुकदमा दायर किया है। उन्हें उक्त मामले में 27 जून को जलपाईगुड़ी अदालत में पेश किया गया तो अदालत ने पुलिस की अर्जी स्वीकार करते हुए उन्हें सात दिनों की पुलिस रिमांड पर दे दिया। उसके बाद अब पुन: एक दूसरे मामले में भी उन्हें पुलिस ने और पांच दिनों की रिमांड पर लिया है और उनसे गहन पूछताछ में जुटी हुई है।


उनकी गिरफ्तारी के बाद भी तृणमूल कांग्रेस में उनके पद पर बने रहने को लेकर जब विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने सवाल उठाना शुरू किया तो उन्हें पार्टी से भी बहिष्कृत कर दिया गया है।

कई नेता अंडरग्राउंड, एक को स्पेशल आपरेशन ग्रुप ने पकड़ा

तृणमूल कांग्रेस के प्रभावशाली नेता देवाशीष प्रमाणिक की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही तृणमूल कांग्रेस के कई नेता व जनप्रतिनिधि अंडरग्राउंड हो गए और अभी भी अंडरग्राउंड ही हैं। उन्हीं में एक डाबग्राम-फूलबाड़ी अंचल तृणमूल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी डेवलपमेंट अथॉरिटी (एसजेडीए) के सदस्य गौतम गोस्वामी भी शामिल थे। अंतत: सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया। कोई गड़बड़ी उत्पन्न न हो जाए इसलिए उन्हें भी एनजेपी थाने नहीं ले जाया गया बल्कि माटीगाड़ा थाने में ही रखा गया।

trinamool congress leader gautam goswami caught by police at bagdogra airport in land grabbing case
जमीन पर कब्जा मामले में बागडोगरा एयरपोर्ट पर पुलिस की गिरफ्त में तृणमूल कांग्रेस नेता गौतम गोस्वामी (पीली टी-शर्ट में)।

पुलिस सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री के निर्देश पर भू-माफिया के खिलाफ पुलिस का एक्शन शुरू होते ही गौतम गोस्वामी शहर छोड़ कोलकाता चले गए। वहां से वह हैदराबाद गए और फिर वहां से दिल्ली पहुंचे थे। उनका पीछा करते हुए पुलिस दिल्ली पहुंची और उन्हें वहीं पकड़ा और फिर फ्लाइट से लेकर बागडोगरा एयरपोर्ट पर उतरी। वह बीती पांच जुलाई को सिलीगुड़ी के बागडोगरा एयरपोर्ट पर उतरे तो वहां पहले से ही तैयार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, उन्होंने दावा किया है कि वह अंडरग्राउंड नहीं थे बल्कि अपना इलाज कराने हैदराबाद गए हुए थे। उन्हें जब पता चला कि उनके खिलाफ मुकदमा है और पुलिस उनकी तलाश कर रही है तब उन्होंने खुद ही इलाज करा कर वहां से यहां लौटने के बाबत पुलिस को सूचित कर आत्मसमर्पण किया है। उन्हें भी जमीन पर जबरन कब्जा करने और एक परिवार को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार कर पुलिस ने बीती छह जुलाई को जलपाईगुड़ी अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 10 दिनों की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। पुलिस उनसे भी गहन पूछताछ में जुट गई है। वैसे अदालत में पेशी के दौरान, मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए गौतम गोस्वामी ने कहा कि मुख्यमंत्री के एक निर्देश के बाद डाबग्राम-फूलबाड़ी में ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

इससे पूर्व जलपाईगुड़ी अदालत ले जाए जाने से पहले माटीगाड़ा थाना परिसर में मीडिया से गौतम गोस्वामी ने कहा था, “हमारी नेत्री ममता बनर्जी के जनकल्याण व समाजसेवा के आदर्शों से प्रेरित हो कर ही मैं राजनीति में आया। मेरा राजनीति में आने का ध्येय ही समाजसेवा था। मुख्यमंत्री के एक निर्देश के बाद डाबग्राम-फूलबाड़ी में ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है। वैसे मुख्यमंत्री ने भी सही नीति ही अपनाई है। अभिषेक बनर्जी हमारे नेता हैं। तृणमूल कांग्रेस पार्टी के प्रति मेरी गहरी आस्था है। पार्टी जो भी फैसला करेगी मैं उसे नतमस्तक होकर स्वीकार करूंगा।” उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता जुलापी राय को मैं पहचानता तक नहीं हूं। शिकायत में मेरा नाम घसीटने के पीछे उनका क्या उद्देश्य है? यह भी मुझे नहीं पता। वैसे सिलीगुड़ी पुलिस के प्रति मेरी आस्था है और मुझे न्याय मिलेगा।’

उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी शहर से थोड़ी ही दूर जलपाईगुड़ी जिले के राजगंज प्रखंड अंतर्गत गजलडोबा इलाके में ‘मेगा टूरिज्म हब’ के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘भाेरेर आलो’ (सुबह का उजाला) के पास पघालु पाड़ा निवासी जुलापी राय नामक महिला ने उनकी जमीन हड़पने का आरोप जलपाईगुड़ी जिला परिषद के निवर्तमान सदस्य देवाशीष प्रमाणिक और गौतम गोस्वामी समेत तृणमूल कांग्रेस के अन्य कई लोगों पर लगाते हुए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई है। इसके तहत यह भी आरोप है कि उन लोगों ने उन्हें व उनके पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी और घर-परिवार पर हमला भी किया। पुलिस पूरे मामले की पड़ताल में जुटी हुई है।

सरकारी जमीन पर कब्जा कर रेस्टोरेंट चलाने के आरोप में भाजपा नेता भी गिरफ्तार

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भू-माफिया पर कार्रवाई की कड़ी में गजलडोबा इलाके में मेगा टूरिज्म हब ‘भाेरेर आलो’ थाने की पुलिस ने स्थानीय एक भाजपा नेता उत्तम राय को भी बीती पांच जुलाई को गिरफ्तार किया। उन पर गजलडोबा में ही सरकारी जमीन पर कब्जा कर रेस्टोरेंट चलाने का आरोप है। राजगंज के बीडीओ प्रशांत बर्मन और बीएलएलआरओ सुखेन राय भारी पुलिस बल और अर्थ-मूवर लेकर उत्तम राय के रेस्टोरेंट को ढहाने पहुंचे लेकिन फिर बैरंग लौट गए। बीएलएलआरओ सुखेन राय ने कहा कि आरोपित की पत्नी ने जमीन से संबंधित कागजात मजिस्ट्रेट को सौंपा है। मजिस्ट्रेट ने मामले की जांच का निर्देश दिया है। वह स्वयं भी दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। इसलिए फिलहाल रेस्टोरेंट को तोड़ा नहीं गया है। कागजात की जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इधर गिरफ्तार भाजपा नेता उत्तम राय को पांच जुलाई को ही जलपाईगुड़ी अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें भी पांच दिनों की पुलिस रिमांड पर दे दिया है। पुलिस उनसे भी पूछताछ करने में जुट गई है। पुलिस के अनुसार, भूमि व भूमि सुधार विभाग के रायगंज प्रखंड कार्यालय ने सर्वे में पाया कि ‘भोरेर आलो’ मेगा टूरिज्म हब से सटे जंगल महल मौजा के खाता नंबर-18 के खतियान नंबर-1 के प्लाट नंबर-1 में दर्ज 724.06 एकड़ जमीन में से 0.82 एकड़ जमीन पर कब्जा कर उत्तम राय अवैध रूप में एक रेस्टोरेंट चला रहे हैं। इस बाबत राजगंज बीएलएलआरओ की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर ही उत्तम राय को गिरफ्तार किया गया है। उनके विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 111(2), 329 (3) और 244 के साथ पश्चिम बंगाल एलआर एक्ट की धारा 4 के तहत मुकदमा किया गया है। वहीं, उत्तम राय की पत्नी मायारानी राय का दावा है कि वह जमीन 1998 से ही उन लोगों के कब्जे में है। उन्होंने पैसे देकर जमीन खरीदी है। उन्होंने पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि सिलीगुड़ी नगर निगम के 36 नंबर वार्ड के तृणमूल कांग्रेस पार्षद रंजन शील शर्मा ने भी गजलडोबा इलाके में ही सरकारी जमीन पर कब्जा कर ‘बागान बाड़ी’ (फार्म हाउस) बना रखा था जिस पर प्रशासन ने अब सरकारी मालिकाना का बोर्ड लगा दिया है और उनके निर्माण को ढहा दिया है लेकिन पार्षद को गिरफ्तार नहीं किया है। मगर मेरे पति को भाजपा का समर्थक होने की वजह से फंसाया जा रहा है।

तृणमूल कांग्रेस के पार्षद के कब्जे से छुड़ाई गई सरकारी जमीन

मेगा टूरिज्म हब ‘भोरेर आलो’ व उसके आसपास की जमीन की भी खूब लूट हुई है। यहां तक कि गजलडोबा डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीडीए) के दफ्तर के लिए जो जमीन सरकार ने चिन्हित कर रखी थी उस पर भी कब्जा हो गया था। जीडीए के वाइस चेयरमैन और राजगंज के तृणमूल कांग्रेस विधायक खगेश्वर राय का कहना है कि उन्हें एसडीओ सदर का फोन आया था कि ऊपर से आदेश आया है कि जीडीए के दफ्तर के लिए चिन्हित जमीन पर कब्जा है उसे मुक्त कराया जाए। वे लोग जब निरीक्षण करने गए तो पाया कि सचमुच वहां चहारदीवारी करके रखी गई है और टीन का घर भी बना कर रखा हुआ है। यह किसने किया? वह उन्हें नहीं पता चल सका लेकिन प्रशासन की मदद से उन सब को तोड़ कर हटा दिया गया है और वहां अब सरकारी मलिकाना का बोर्ड लगा दिया गया है। इसी तरह सिलीगुड़ी नगर निगम के 36 नंबर वार्ड के तृणमूल कांग्रेस पार्षद रंजन शील शर्मा ने भी उसी इलाके में कुछ जमीन पर कब्जा कर अपना फार्म हाउस जैसा बना रखा था जिसे प्रशासन ने तोड़ गिराया है और उस पर भी सरकारी मालिकाना का बोर्ड लगा दिया है। इस बारे में रंजन शील शर्मा का कहना है कि सिर्फ उनके विरुद्ध ही कार्रवाई क्यों? औरों के विरुद्ध क्यों नहीं? यहां तक कि उन्होंने अपने ही पड़ोसी 38 नंबर वार्ड के तृणमूल कांग्रेस पार्षद दुलाल दत्त का भी नाम लिया है कि उनकी भी जमीन उनके बगल में एकदम सटी हुई है, उस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? हालांकि दुलाल दत्त ने इससे इनकार किया है। उन्होंने रोष जताते हुए कहा है कि आखिर रंजन शील शर्मा मेरा नाम क्यों ले रहे हैं? मुझे नहीं पता लेकिन वहां मेरी एक इंच भी जमीन नहीं है। पहले हम चार लोगों ने मिलकर चार-पांच बीघा जमीन ली थी जो कि फिर बाद में ‘भोरेर आलो’ प्रोजेक्ट में सरकार को ही छोड़ दी गई। सिलीगुड़ी नगर निगम के 15 नंबर वार्ड तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुब्रत साहा ने तो साफ स्वीकार कर लिया है कि गजलडोबा इलाके में सब कुछ इसी तरह से चल रहा है। जो कोई भी रेस्टोरेंट, रिसॉर्ट वगैरह चला रहे हैं वह उनकी अपनी जमीन नहीं है। यहां तक कि उन्होंने खुद अपने बारे में भी ऐसी ही बात कही और कहा कि यह वैध नहीं है, अवैध है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में उनकी गहरी श्रद्धा है और वह जैसा कहेंगी वैसा ही होगा। ऐसी ही बात उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के बहुत ही प्रभावशाली नेता और सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देव के पड़ोसी व करीबी पड़ोसी परिमल बोस ने भी कही है। राजनीतिक, प्रशासनिक व पुलिस संरक्षण के तहत भू-माफिया से सांठ-गांठन कर रसूखदारों द्वारा गजलडोबा मेगा टूरिज्म हब क्षेत्र में बीघा-बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध रूप में रेस्टोरेंट व रिसॉर्ट चलाने के मामलों को लेकर आम लोगों में भी खासा रोष व्याप्त है।

अपनी-अपनी जमीन तलाशने व बचाने में जुटे कई सरकारी विभाग

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की फटकार के बाद राज्य भर की भांति सिलीगुड़ी व जलपाईगुड़ी क्षेत्र में भी वन विभाग, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, भूमि व भूमि सुधार विभाग व अन्य कई विभाग अपनी-अपनी जमीन तलाशने और उसे बचाने में जुट गए हैं। वन विभाग ने वन क्षेत्र से सटे इलाकों और पारिस्थितिकी संवेदी क्षेत्र (इको सेंसिटिव जोन) में सर्वे कर विभाग की जमीन को चिन्हित कर अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया है। सिलीगुड़ी के निकट डाबग्राम-फूलबाड़ी क्षेत्र अंतर्गत फाड़ाबाड़ी-नेपाली बस्ती इलाके में वन विभाग की दो एकड़ जमीन पर वर्षों से अवैध रूप में हो रही चाय की खेती को बुलडोजर से उजाड़ कर बीती तीन जुलाई को वन विभाग ने जमीन अपने कब्जे में ले लिया।

बताया जाता है कि 15 वर्षों से अधिक समय से आशीघर मोड़ निवासी मंटू चंद्र राय वन विभाग की जमीन पर कब्जा कर वहां चाय बागान चला रहा था और चाय की खेती से मोटी कमाई कर रहा था। इसे लेकर 2009 से ही अदालत में मुकदमा भी चल रहा था। इधर हाई कोर्ट से वन विभाग के पक्ष में फैसला आते ही वन विभाग ने कार्रवाई कर जमीन अपने कब्जे में ले ली। ऐसे ही लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी भी अपनी जमीन चिह्नित करने में जुट गया है। भूमि व भूमि सुधार विभाग की ओर से भी जगह-जगह सरकारी जमीनों को चिन्हित करने, उनकी पैमाइश कर‌ सीमांकन करवाने और उन पर सरकारी मालिकाना हक का बोर्ड लगवाने का काम शुरू कर दिया गया है। सिलीगुड़ी महकमा के नक्सलबाड़ी प्रखंड अंतर्गत दक्षिण चागडोगरा मौजा क्षेत्र में लगभग 2.47 एकड़ सरकारी जमीन चिन्हित की गई है। भूमि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल सरकारी जमीन को चिन्हत कर, उनकी पैमाइश कर उनका सीमांकन कराया जा रहा है। अभी कुछ जमीनों पर ही सरकारी मालिकाना का बोर्ड लगवाया गया है। आने वाले दिनों में तमाम सरकारी जमीन को चिन्हित कर ऐसा किया जाएगा। हालांकि, इस अभियान को अधिकांश लोग केवल औपचारिकता पूरी करना ही करार दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि केवल खाली पड़ी जमीनों को ही कब्जे में लेकर उस पर सरकार के मालिकाना का बोर्ड लगाए जाने तक की कार्रवाई ही हो रही है। ठीक है कि यह जरूरी है लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी कब्जे वाली सरकारी जमीनों को चिन्हित कर वापस लेते हुए बचाना और उन पर अवैध कब्जा करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करना है। मगर, यह सब नहीं हो रहा है।

a bulldozer of the forest department destroying tea cultivation which has been going on illegally for years
सिलीगुड़ी के निकट डाबग्राम-फूलबाड़ी क्षेत्र अंतर्गत फाड़ाबाड़ी-नेपाली बस्ती इलाके में सरकारी दो एकड़ जमीन पर वर्षों से अवैध रूप में हो रही चाय की खेती को उजाड़ता वन विभाग का बुलडोजर।

 

मुख्यमंत्री फटकार न लगातीं तो शायद ही हरकत में आता सरकारी अमला

सरकारी जमीन या आम लोगों की खाली पड़ी जमीन पर कब्जा कर बेच देने के भू-माफिया के काले कारोबार के विरुद्ध प्रशासन व पुलिस की कार्रवाई शायद ही होती अगर मुख्यमंत्री फटकार न लगातीं।

इस मुद्दे को लेकर गत 24 जून को राज्य सचिवालय ‘नवान्न’ में राज्य भर की नगर पालिका, नगर निगम व जिला परिषद के प्रतिनिधियों और प्रशासन व पुलिस के वरीय अधिकारियों की बैठक कर मुख्यमंत्री ने जम कर फटकार लगाई। उन्होंने कहा, “अधिकारी, पुलिस सब मिले हुए हैं। एक गिरोह तैयार हो गया है। खाली जगह देखते ही लोगों को बसा दे रहे हैं। बोलिए तो, एक तो सेंट्रल गवर्नमेंट रुपये नहीं दे रही, फिर उसके बाद मैं कितने राज्यों को टान पाऊंगी? बंगाल की पहचान खत्म होती जा रही है। क्यों समझ नहीं पा रहे हैं? आप लोगों के रुपये खाने की वजह से जहां जमीन पाते हैं वहीं बेच देते हैं। राज्य सरकार की जमीन जहां पाते हैं वहीं दखलदारों को दखल करवा देते हैं, बहुत बुरी हालत है। नगर पालिकाएं क्यों तैयार की गई थीं? समझ नहीं पा रही। सब ने कहा था, नगर पालिका तैयार कर दें, क्यों? क्या लाभ है? अच्छे से विजिलेंस करने पर सब साफ हो जाएगा। किसने कितना लिया है, और जो सब रुपये लेकर चले जा रहे हैं वे वोट भी पा जा रहे हैं, औरों को चोर बोल रहे हैं, खुद बड़े डकैत हैं।”

उसी बैठक में मुख्यमंत्री ने सिलीगुड़ी के मेयर गौतम देव को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, ”किस मामले में क्या हो रहा है, जमीन के अवैध कारोबार में कौन-कौन शामिल हैं, उनके पास सबकी खबर है। शहर के साथ सिलीगुड़ी महकमा और डाबग्राम-फूलबाड़ी इलाके में जमीन पर अवैध कब्जा व हेराफेरी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसके लिए आप अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते।” वहीं मुख्यमंत्री ने राज्य के पुलिस सलाहकार मनोज मालवीय को संबोधित करते हुए भी कहा था कि भू-माफिया को गिरफ्तार करें, किसी एक को भी न छोड़ें। एक ‘कौआ’ को न मार के टांग के रखना होता है ताकि अन्य ‘कौए’ समझ जाएं कि एक ‘कौआ’ मारा जा चुका है।

विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथों लिया

राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेताओं व जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जा करने के एक से एक गोरखधंधा उजागर होने को ले विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है। सिलीगुड़ी के भाजपा विधायक शंकर घोष ने कहा है कि यह सब तृणमूली कांग्रेस नेत्री के प्रश्रय अथवा निर्देश पर ही हुआ। अपनी पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को लूट मचाने की इतनी खुली छूट देने के बाद भी जब उनकी पार्टी दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी लोकसभा क्षेत्र समेत उत्तर बंगाल में नहीं जीत पाई तो अब बौखला कर यह सब कार्रवाई करवा रही है। मुख्यमंत्री को गुस्सा इसी बात का है कि इतनी छूट देने के बाद भी दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी लोकसभा क्षेत्र व उत्तर बंगाल के लोगों ने तृणमूल कांग्रेस को नकार दिया। वह स्वयं कह चुकी हैं कि भू-माफिया ने भी भाजपा को वोट दिया है, इसलिए किसी को छोड़ा नहीं जाएगा।

वहीं, माकपा नेता और राज्य के पूर्व मंत्री व सिलीगुड़ी के पूर्व मेयर अशोक भट्टाचार्य ने कहा है कि नीचे से ऊपर तक मिलीभगत के बिना ऐसा बड़ा-बड़ा काला कारनामा संभव नहीं है। मुख्यमंत्री जो यह सब कार्रवाई करवा रही हैं, वह वास्तव में सिर्फ दिखावा मात्र है। आम लोगों को गुमराह कर अपनी छवि को चमकाने के लिए ही वह यह सब करवा रही हैं। कुछ दिनों बाद यह सब शांत पड़ जाएगा।

कांग्रेस के दार्जिलिंग जिला अध्यक्ष शंकर मालाकार ने भी कहा है कि केवल एक देवाशीष का बहिष्कार करने से काम नहीं चलने वाला। तृणमूल कांग्रेस में अनेक देवाशीष भरे पड़े हैं। वे जगह-जगह पूरे सम्मान के साथ जमीन कब्जाने और उससे कमाने का काला कारोबार करते हैं। वैसे सारे देवाशीष का बहिष्कार करना होगा। पुलिस-प्रशासन उन सारे देवाशीष को खोजे और आवश्यक कार्रवाई करे। यदि प्रशासन को वे नहीं मिलते हैं, प्रशासन के पास उनके नाम नहीं हैं, प्रशासन उन्हें नहीं जानता है तो मुझे बताए, मुझसे मांगे, मैं सारे के सारे नाम बता दे सकता हूं।

मुख्यमंत्री की कार्रवाई और विपक्ष के सवाल

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कड़ी फटकार के बाद प्रशासन व पुलिस द्वारा सिलीगुड़ी व जलपाईगुड़ी क्षेत्र में भू-माफिया के विरुद्ध कार्रवाई पर विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि इक्का-दुक्का कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। हर एक दोषी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई हो। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पश्चिम बंगाल राज्य सचिव मंडली के सदस्य व दार्जिलिंग जिला वाममोर्चा के संयोजक जीवेश सरकार ने कहा है कि जगह-जगह जमीन पर अवैध कब्जे और उसकी खरीद-बिक्री के भू-माफिया के काले कारोबार के विरुद्ध मुख्यमंत्री ने जब बैठक की तो पत्रकारों की मौजूदगी में पुलिस से कहा कि यदि ‘कौवा’ को डराना है तो एक-दो ‘कौवों’ को मार कर उल्टा लटका दीजिए तो बाकी सारे ‘कौवे’ भी डर जाएंगे, तो यह सब क्या वह सिर्फ दिखावे के लिए करवा रही हैं?

माकपा नेता ने यह भी कहा कि भू-माफिया व उनके काले काराेबार के विरुद्ध पूरी कार्रवाई होनी चाहिए। किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए। इस मुद्दे को लेकर वाममोर्चा लगातार आंदोलन करेगा।

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