लोक आस्था का महापर्व चैती छठ मंगलवार की सुबह उगते सूर्य के अर्घ्य के साथ संपन्न हो गया।
चार दिवसीय इस अनुष्ठान के अंतिम दिन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने अन्न जल ग्रहण कर पारण किया। इस मौके पर अररिया शहर के ज्यादातर छठ व्रतियों ने अपने घर के आंगन, नहर, त्रिसुलिया घाट आदि जगहों पर भगवान भास्कर की पूजा अर्चना की। शहर के विभिन्न इलाकों में छठी मैया के लोक गीत बजाए गए।
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बिहार में छठ मुख्यरूप से दो प्रकार से मनाया जाता है। पहला चैत्र मास में मनाया जाता है वहीं, दूसरा छठ कार्तिक मास में। मान्यता है कि इस पर्व को सबसे पहले कर्ण ने सूर्य की पूजा कर शुरू किया था।
कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और घंटों पानी में खड़े होकर उनको अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने थे। तभी से छठ में सूर्य का अर्घ्य देने की परंपरा प्रचलित है।
बता दें कि बिहार में चैती छठ कम लोग ही मनाते हैं। इस वर्ष अधिकांश छठ व्रतियों ने घर के आंगन में तालाब का निर्माण कर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया।
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