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केंद्र सरकार आपदा सहायता कार्य में आवंटित राशि में इज़ाफ़ा करे : शाहनवाज़ आलम

बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री शाहनवाज़ आलम ने दिल्ली में आयोजित आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय मंच के तीसरे सत्र में बिहार और खासकर सीमांचल के जिलों में आपदाओं के बढ़ते प्रकोप का ज़िक्र किया।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री शाहनवाज़ आलम ने दिल्ली में आयोजित आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय मंच के तीसरे सत्र में बिहार और खासकर सीमांचल के जिलों में आपदाओं के बढ़ते प्रकोप का ज़िक्र किया।

उन्होंने आपदाओं की रोकथाम के कार्य और पीड़ित इलाकों में मुआवज़े जैसे खर्च के लिए केंद्र सरकार से आवंटित होने वाली राशि को बढ़ाने की मांग की।

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शाहनवाज़ आलम ने अपने संबोधन में कहा, “बिहार एक बहुआपदा प्रवण राज्य है जहां बाढ़, सुखाड़, वज्रपात, अग्निकांड, भूकंप, शीतलहर, लू इत्यादि आपदाओं से हमारे राज्य को जूझना पड़ता है। राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में आपदा प्रबंधन सर्वोच्च है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपदा प्रभावित व्यक्तियों के प्रति बेहद संवेदनशील हैं, राज्य सरकार आपदा से पीड़ित परिवारों को त्वरित गति से सहायता प्रदान करती है।”


उन्होंने आगे कहा कि आपदाओं से निपटने के लिए आपदा से पूर्व राज्य सरकार कई तरह की तैयारियां करती है और विभिन्न कार्यक्रम संचालित करती है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार पहला राज्य है, जहां सेंडई फ्रेमवर्क के अंतर्गत आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यक्रम के तहत बिहार आपदा प्रतिक्रिया रोडमैप बनाया गया है।

राज्य में बाढ़ और सुखाड़ से दर्जनों जिले प्रभावित

बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री ने पिछले वर्ष राज्य में आई बाढ़ और सुखाड़ का ज़िक्र करते हुए कहा कि जहां एक तरफ उत्त्तर बिहार के कई इलाके बाढ़ की चपेट में थे वहीं दक्षिण बिहार के जिले सूखाग्रस्त घोषित किए गए थे।

उन्होंने बिहार में आपदाओं की बढ़ोतरी का बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन बताया और कहा कि सूखाग्रस्त 11 ज़िलों के 96 प्रखंडों के 18 लाख 20 हज़ार परिवारों को 637 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की गई।

शाहनवाज़ ने आगे बताया कि कोरोना महामारी के दौरान मरने वालों के परिवारों को राज्य के एसडीआरएफ विभाग ने 50,000 रुपए की दर से अनुग्रह अनुदान का भुगतान किया, वहीं राज्य संसाधन की तरफ से 14,000 से अधिक मृत व्यक्तियों के परिवारों को 4 लाख रुपए की सहायता प्रदान की गई। उन्होंने एसडीआरएफ यानी स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड के गठन के बाद भवन का निर्माण और अन्य सुविधाओं के निर्माण कार्य में लगने वाले 267 करोड़ रुपए का भी ज़िक्र किया और कहा कि अगले 2 वर्ष में इसका काम पूरा कर लिया जाएगा।

राज्य में खुलेंगे 38 डिस्ट्रिक्ट रिस्पॉन्स इमर्जेंसी सेंटर

बिहार में ऐसे कई जिले हैं जहां आपदा आने पर आपदा रिस्पॉन्स टीम के पहुँचने में काफी देर हो जाती है। इसके लिए आपदा मंत्री ने एक बड़ा एलान करते हुए कहा कि अगले 3 सालों में राज्य के 38 स्थानों पर लगभग 310 करोड़ रुपए की लागत से डिस्ट्रिक्ट इमर्जेंसी रिस्पॉन्स फैसिलिटी एवं ट्रेनिंग सेंटर स्थापित किया जाएगा।

बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री ने आगे कहा कि बिहार को लगातार बाढ़ और सुखाड़ का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण राज्य के संसाधन पर अतिरिक्त बोझ पर रहा है। उन्होंने कहा, “गृह मंत्रालय के द्वारा निर्गत दर में आनुग्रहित राहत की राशि के व्यय की अधिसीमा एसडीआरएफ के आवंटन के 25% के अंदर किए जाने का प्रावधान करने से राज्य को अधिक वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ रहा है। मेरा अनुरोध है कि 25% की अधिसीमा को शिथिल करने पर केंद्र सरकार को विचार करना चाहिए ताकि राज्यों को कुछ हद तक राहत मिल सके।”

‘नदी कटाव से सीमांचल सबसे अधिक प्रभावित’

नदी कटाव की समस्या पर शाहनवाज़ आलम ने सीमांचल के कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज का ज़िक्र करते हुए कहा कि बिहार में हर वर्ष बरसात में लोगों के घर नदी कटाव का शिकार होते हैं जिससे सैकड़ों परिवार विस्थापित हो जाते हैं और कृषि भूमि के कट जाने से वे बहुत अधिक आर्थिक नुकसान भी झेलने पर मजबूर होते हैं।

उन्होने कहा, “नेपाल से आने वाली नदियों में यह समस्या अपेक्षाकृत अधिक है। राज्य के पूर्वोत्तर क्षेत्र खास तौर पर सीमांचल के ज़िलों यथा पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज अधिक प्रभावित हैं। नदी कटाव का असर जहां एक तरफ कृषि और गैर कृषि गतिविधियों और सरकारी योजनाओं पर पड़ता है, वहीं दूसरी तरफ पलायन की समस्या उत्पन्न होती है। नदी कटाव की रोकथाम और पीड़ित लोगों की सहायता हेतु सरकार की एक बड़ी राशि खर्च होती है।”

शाहनवाज़ आलम ने बताया कि नदी कटाव प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में शामिल नहीं है जिस कारण इसके लिए दी जानेवाली सहायता भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानदर के अंतर्गत नहीं आता है। इसके फलस्वरूप राज्य सरकारों पर अधिक वित्तीय बोझ पड़ता है।

उन्होंने केंद्र सरकार से नदी कटाव को प्राकृतिक आपदा में शामिल करने की अपील की ताकि नदी कटाव के मामलों में दी जाने वाली सहायता राशि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानदर के अन्तर्गत पारित हो सके ।

‘वज्रपात से पांच सालों में 1500 लोगों की मौत’

आपदा मंत्री शाहनवाज़ आलम ने अपने संबोधन में राज्य में वज्रपात की बढ़ती घटनाओं का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में वज्रपात की घटनाएं बढ़ी हैं और इसके तीव्रता में भी वृद्धि देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि राज्य में वज्रपात से पिछले पांच सालों में 1500 से अधिक मौतें हुई हैं। वर्ष 2020 में कुल 459 लोगों की मृत्यु हुई जिसमें केवल एक दिन में (25 जून 2020) 100 से अधिक लोग वज्रपात के शिकार हुए। वर्ष 2021 में 280 और 2022 में 392 लोगों की वज्रपात के चपेट में आने से मौत हो गई।

उन्होंने कहा कि उक्त अवधि में जहां बाढ़ के कारण 13% मानव क्षति प्रतिवेदित हैं वहीं वज्रपात से मरने वालों की संख्या 35% है। आपदा प्रबंधन मंत्री ने वज्रपात को एक गंभीर चुनौती बताते हुए अनुरोध किया कि वज्रपात को प्राकृतिक आपदा की सूची में शामिल किया जाए।

उन्होंने एक मोबाइल ऐप ‘इंद्रवज्र’ के बारे में बताया जो कि Earth network Inc. के सहयोग से बनाया गया है। यह ऐप वज्रपात होने के 20-30 मिनट पहले चेतावनी दे देता है। उन्होंने कहा कि राज्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य्रकम के अन्तर्गत इस ऐप को विकसित किया गया है।

बढ़ते तापमान से आगजनी के मामलों में बढ़ोतरी

पिछले कुछ वर्षों से देशभर में बढ़ते तापमान के कारण हीट वेव की समस्या देखी जा रही है। इस बारे में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि बढ़ते तापमान के कारण राज्य में आगजनी के मामले बढ़े हैं। आगजनी के मामलों में गृह क्षति होने पर मुआवजे का प्रावधान है लेकिन दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के आगजनी का शिकार होने पर किसी तरह की की आर्थिक मदद का प्रावधान नहीं है, जिससे छोटे व्यापारी आर्थिक रूप से और कमज़ोर हो जाते हैं। शाहनवाज़ आलम ने केंद्र सरकार से इस मामले में विचार करने का अनुरोध किया है।

आपदा प्रबंधन मंत्री ने राज्य आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा कराए जाने वाले प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों का ज़िक्र करते हुए आधे दर्जन से अधिक कार्य्रक्रम गिनाए। इनमें मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्य्रक्रम, सुरक्षित तैराकी कार्यक्रम, सुरक्षित नौका परिचालन कार्यक्रम और सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं।

शाहनवाज़ आलम ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि बिहार सरकार पूरी क्षमता से आपदा प्रबंधन के लिए आवश्यक कार्य कर रही है लेकिन यह अपने आप में पर्याप्त नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार से आपदा प्रबंधन के लिए अधिक से अधिक राशि निवेश करने की अपील की।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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